प्रो. कुसुमलता केडिया लेख का शीर्षक शायद अटपटा लगे, क्योंकि हम सभी – सामान्य जन हों या अर्थशास्त्री, पत्रकार हों, राजनेता या प्रशासक, इतिहासकार हों या समाजशास्त्री या वैज्ञानिक – हम सभी इस बहस में उलझे हैं कि देश का विकास कैसे हो? इसे सबके लिए उपलब्ध कराने हेतु कौन सा मार्ग अपनाया जाय? पूंजीवादी, […]
Category: आर्थिकी/व्यापार
देश में कोरोना महामारी के चलते दिनांक 27 नवम्बर 2020 को वर्ष 2020-21 की द्वितीय तिमाही में, सकल घरेलू उत्पाद में, वृद्धि सम्बंधी आंकड़े जारी कर दिए गए हैं। विभिन्न वित्तीय एवं शोध संस्थानों के पूर्वानुमानों को पीछे छोड़ते हुए भारत में सकल घरेलू उत्पाद में तेज़ गति से वृद्धि दर्ज की गई है। जहां […]
एक अनुमान के अनुसार, कोरोना महामारी के चलते देश में लगभग 20 लाख रोज़गारों पर विपरीत प्रभाव पड़ा था। अतः केंद्र सरकार के सामने अब सबसे महत्वपूर्ण सोच का विषय यह है कि किस प्रकार देश में औपचारिक क्षेत्र में रोज़गार के अधिक से अधिक अवसर, निर्मित किए जायें। साथ ही, कोरोना महामारी के दौरान […]
प्रह्लाद सबनानी हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। देश में रोज़गार एक महतवपूर्ण क्षेत्र है जिस पर अब फ़ोकस किया जा रहा है। लॉकडाउन की अवधि के दौरान देश में कई उद्योगों पर विपरीत असर पड़ा था एवं रोज़गार के लाखों अवसरों का नुक़सान हुआ था। एक अनुमान […]
मोदी है तो मुमकिन है, यह जुमला मोदी सरकार में बार-बार सच हो रहा है, लेकिन केवल नकारात्मक अर्थों में। ताजा उदाहरण देश की अर्थव्यवस्था का है जिसमें लगातार गिरावट देखी जा रही थी और आरबीआई समेत देश-विदेश की तमाम वित्तीय संस्थाएं, अर्थशास्त्री इस बात की चेतावनी दे रहे थे कि देश के विकास में […]
अर्थशास्त्र में V आकार की बहाली से आश्य यह है कि जिस तेज़ी से अर्थव्यवस्था में ढलान देखने में आया था उतनी ही तेज़ी से अर्थव्यवस्था में वापिस बहाली देखने को मिलेगी। पूरे विश्व में कोरोना वायरस महामारी के चलते आर्थिक गतिविधियां ठप्प पड़ गई थीं। भारत भी इस प्रभाव से अछूता नहीं रहा था। […]
भारत से कृषि उत्पादों के निर्यात को लेकर लगातार चिंताएं जताईं जाती रही हैं। परंतु, हाल ही के समय में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए कई निर्णयों के चलते कृषि उत्पादों का निर्यात बहुत तेज़ी से वृद्धि दर्ज करता देखा जा रहा है। अप्रेल-सितम्बर 2019 के बीच 6 माह के दौरान भारत से कृषि उत्पादों […]
भारत में ग़रीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों की संख्या में भारी कमी देखने में तो आई है परंतु क्या उन्हें स्वास्थ्य, शिक्षा एवं मकान की सुविधायें ठीक तरीक़े से उपलब्ध हो पा रही हैं एवं क्या सरकार द्वारा इन मदों पर उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं को ग़रीबी आंकने का पैमाने […]
डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा फेरीवाले अपनी किस्म-किस्म की आवाजों और बोलियों के बहाने भाषा को समृद्ध बनाते थे। सच्चे अर्थों में वे भाषा का विकास करने वाले व्यावहारिक प्रोफेसर थे। उनके शब्द-भंडार, वाक्य, संदर्भ और अनुच्छेद किसी प्रवाहमय सरिता का स्मरण कराती थी। एक समय था जब फेरीवाले अपनी किस्म-किस्म की आवाजों से हमारा ध्यान […]
प्रो. कुसुमलता केडिया गत 150 वर्षों में भारत क्यों इतना कम विकसित हो सका अथवा पहले से अधिक विपन्न क्यों हो गया, इंग्लैंड की तरह आगे क्यों नहीं बढ़ा, इसके उत्तर की जिन्हें तलाश है, उन्हें ब्रिटिश-पूर्व अखण्ड भारत की परिस्थिति की वास्तविकता को ठीक तरह से जानना होगा। के.एन. चौधुरी, रादरमुंड, धर्मपाल, तपन राय […]