प्रह्लाद सबनानी भारत से निर्यात किए जा रहे उत्पादों की टोकरी में शामिल विभिन्न उत्पादों का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि देश से रोजगारोन्मुखी उद्योगों के उत्पाद तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। यह देश के लिए हर्ष का विषय होना चाहिए। कोरोना महामारी की प्रथम एवं द्वितीय लहर के दौरान पूरे […]
Category: आर्थिकी/व्यापार
डॉ. हनुमन्त यादव यदि निवेशकों ने मुनाफा बिकवाली के लिए बड़ी मात्रा में शेयरों की बिकवाली नहीं कि तो सेंसैक्स के 10 सितंबर से पहले 59 हजार बिंदु और सितंबर माह के पखवाड़े में सेंसैक्स के कोराना काल के बावजूद 60 हजारी बन जाने की पूरी संभावना है। अगस्त माह के पहले सप्ताह तक किसी […]
प्रह्लाद सबनानी उद्योग क्षेत्र ने कमाल कर दिया है एवं इस क्षेत्र ने अप्रैल-जून 2021 तिमाही के दौरान 46.6 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की है। विनिर्माण क्षेत्र ने 49.6 प्रतिशत एवं निर्माण क्षेत्र ने 68.3 प्रतिशत की वृद्धि दर अर्जित की है। इसी प्रकार सेवा क्षेत्र ने भी 11.4 प्रतिशत की विकास दर हासिल […]
भरत झुनझुनवाला विश्व बाजार में वर्ष 2015 में कच्चे तेल का मूल्य 111 डॉलर प्रति बैरल था। साल 2020 में यह घटकर 23 डॉलर प्रति बैरल रह गया। जैसे-जैसे तेल का मूल्य घटता गया, वैसे-वैसे केंद्र सरकार तेल पर वसूली जाने वाली एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि करती रही। इस कारण देश में पेट्रोल के दाम […]
प्राचीन समय में भारत में प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार उपलब्ध था। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में कृषि के साथ साथ हथकरघा उद्योग भी फल फूल रहा था। इसके कारण ग्रामीणों का गावों से शहरों की ओर पलायन नहीं के बराबर होता था। बल्कि, शहरों की तुलना में ग्राम ज्यादा खुशहाल थे। हथकरघा उद्योग के […]
पश्चिमी देशों में उपभोक्तावाद के धरातल पर टिकी पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाओं पर आज स्पष्टतः खतरा मंडरा रहा है। 20वीं सदी में साम्यवाद के धराशायी होने के बाद एक बार तो ऐसा लगने लगा था कि साम्यवाद का हल पूंजीवाद में खोज लिया गया है। परंतु, पूंजीवाद भी एक दिवास्वप्न ही साबित हुआ है और कुछ समय […]
कोरोना महामारी की दो लहरों को झेलने के बाद भारत में अर्थव्यवस्था अब धीरे-धीरे पटरी पर आती दिख रही है। भारत में, अप्रैल-मई 2021 के महीनों में महामारी की दूसरी लहर का सामना करने के बाद, जून 2021 में आर्थिक गतिविधियां तेज गति से पुनः प्रारम्भ हो गई हैं, जिसका असर अब जुलाई 2021 माह […]
किसी भी देश के आर्थिक विकास को गति देने में तीन क्षेत्रों, कृषि क्षेत्र, उद्योग क्षेत्र एवं सेवा क्षेत्र का योगदान रहता है। विकास के शुरुआती दौर में कृषि क्षेत्र का योगदान सर्वाधिक रहता है परंतु जैसे जैसे देश में विकास की गति तेज होने लगती है वैसे वैसे कृषि क्षेत्र का योगदान कम होता […]
***********************?** स्थानीय कॉलेज में अर्थशास्त्र के एक प्रोफेसर ने अपने एक बयान में कहा – “उसने पहले कभी किसी छात्र को फेल नहीं किया था, पर हाल ही में उसने एक पूरी की पूरी क्लास को फेल कर दिया है l” …….. क्योंकि उस क्लास ने दृढ़तापूर्वक यह कहा था कि “समाजवाद सफल होगा और […]
“सहकारिता से विकास” का मंत्र
प्रह्लाद सबनानी विभिन्न राज्यों के सहकारी क्षेत्र में लागू किए गए कानून बहुत पुराने हैं। अब, आज के समय के अनुसार इन कानूनों में परिवर्तन करने का समय आ गया है। सहकारी क्षेत्र में पेशेवर लोगों की भी कमी है, पेशेवर लोग इस क्षेत्र में टिकते ही नहीं हैं। भारत में आर्थिक विकास को गति […]