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आर्थिकी/व्यापार

विकास की चाह रखने वालों को बलिदान करना ही पड़ता है

विमल भाई नदियां हमारी संस्कृति और सभ्यता की प्रतीक हैं। पूरी दुनिया में सभ्यताएं नदियों के किनारे ही विकसित हुईं हैं। मानव सभ्यता के विकास में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। हमारे देश में तो नदियों को पूजने की परंपरा रही है। हमारे यहां कहा गया है कि गंगा के जल से यदि आचमन भर कर […]

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रोजगार की भरमार से ही संभल सकती है आर्थिक व्यवस्था

सुरेश सेठ आम आदमी के लिए पिछले डेढ़ बरसों में जीना दूभर होता जा रहा था। पिछले साल के प्रारंभिक महीनों से जिंदगी असामान्य हो गयी थी। कोरोना महामारी के प्रकोप और उसके नित्य बढ़ते विस्तार की दहशत तब इतनी थी कि इसका सामना पूर्णबंदी की घोषणा के साथ जीवन को किसी अन्धकूप में डाल […]

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प्रकाश संश्लेषण से खाद्यान्न चुनौती का मुकाबला

मुकुल व्यास दुनिया में 2050 तक 9 अरब लोगों को खाद्यान्नों की आवश्यकता पड़ेगी। इसका अर्थ यह हुआ कि किसानों को सीमित कृषि भूमि पर 50 प्रतिशत अधिक अन्न उगाना पड़ेगा। इस बड़ी चुनौती से निपटने के लिए वनस्पति वैज्ञानिक पौधों में कुछ ऐसी फेरबदल करने की कोशिश कर रहे हैं जिससे उनमें प्रकाश-संश्लेषण (फोटोसिंथेसिस) […]

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पैंडोरा-पेपर्सः काले पन्नों के सफेद दागी

प्रमोद भार्गव टैक्स हैवन यानी कर के स्वर्ग माने जाने वाले देशों में गुप्त संपंत्ति बनाने की पड़ताल से जुड़े दस्तावेजों में 300 प्रतिष्ठित भारतीयों के नाम हैं। इनमें प्रसिद्ध व्यवसायी अनिल अंबानी, विनोद अडाणी, समीर थापर, अजीत केरकर, सतीश शर्मा, किरण मजूमदार शॉ, पीएनबी बैंक घोटाले के आरोपी नीरव मोदी की बहन पूर्वी मोदी, […]

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भारत में ग्रामीण एवं शहरी अर्थव्यवस्थाओं का तेजी से औपचारीकरण हो रहा है

अभी हाल ही में अखिल भारतीय ऋण एवं निवेश सर्वे का प्रतिवेदन वर्ष 2018 के लिए जारी किया गया है। इस प्रतिवेदन के अनुसार वर्ष 2012 एवं 2018 के बीच ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में औसत ऋण की राशि में काफी सुधार देखने में आया है। ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण की राशि में 84 प्रतिशत […]

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आर्थिकी/व्यापार

पश्चिम और दक्षिण भारत के राज्यों में उच्च प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय

डॉ. हनुमन्त यादव भारत की छठवीं पंचवर्षीय योजना के समाप्त होने पर भी भारत के सभी सामान्य राज्यों में इन राज्यों द्वारा निचली पायदान पर कायम रहने के कारण प्रो. राजकृष्णा ने अपने आलेख में इन राज्यों को बीमारू राज्य शब्द से इंगित किया था। बिहार, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के विभाजन के बावजूद बिहार के […]

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मोदी सरकार के आर्थिक सुधार कार्यक्रमों के सुखद परिणाम अब नजर आने लगे हैं

प्रह्लाद सबनानी  राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण रखने के कारण मुद्रास्फीति पर भी अंकुश पाया जा सकता है। जोकि अगस्त 2021 माह में खुदरा मुद्रास्फीति की दर में दर्ज की गई कमी के रूप में दृष्टिगोचर हुआ है। अगस्त 2021 माह में खुदरा मुद्रास्फीति की दर घटकर 5.3 प्रतिशत तक नीचे आ गई है। वर्ष 2014 […]

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विकास की बलिवेदी पर वनों की आहुति

पंकज चतुर्वेदी मध्य प्रदेश में वर्ष 2014-15 से 2019-20 तक 1638 करोड़ रुपये खर्च कर 20 करोड़ 92 लाख 99 हजार 843 पेड़ लगाने का दावा सरकारी रिकार्ड करता है, अर्थात‍् प्रत्येक पेड़ पर औसतन 75 रुपये का खर्च। इसके विपरीत भारतीय वन सर्वेक्षण की ताजा रिपोर्ट कहती है कि प्रदेश में बीते छह सालों […]

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भारत में रोजगार के मोर्चे पर अंततः आई अच्छी खबर

कोरोना महामारी के दौर में भारत ही नहीं बल्कि विश्व के लगभग सभी देशों में बेरोजगारी की दर में बेतहाशा वृद्धि दृष्टिगोचर हुई थी। परंतु, भारत ने कोरोना महामारी के द्वितीय दौर के बाद जिस तेजी से अपनी अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी की दर को कम करने में सफलता पाई है, वह निश्चित ही तारीफ के […]

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आर्थिकी/व्यापार

भारतीय अर्थव्यवस्था ने अप्रेल-जून 2021 तिमाही में लगाई ऊंची छलांग

मार्च 2020 के बाद कोरोना महामारी के प्रथम दौर के दौरान पूरे देश में लगाए गए लॉकडाउन के कारण भारत में आर्थिक गतिविधियां, कृषि क्षेत्र को छोड़कर, लगभग ठप्प सी पड़ गई थीं। इसके कारण अप्रेल-जून 2020 में आर्थिक विकास दर ऋणात्मक 25 प्रतिशत रही थी। देश की 60 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्था पर विपरीत […]

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