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आर्थिकी/व्यापार

जनजाति समाज के लिए चलाई जा रही आर्थिक विकास की योजनाएं

जनजाति समाज बहुत ही कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए देश में दूर दराज इलाकों के सघन जंगलो के बीच वनों में रहता है। जनजाति समाज के सदस्य बहुत ही कठिन जीवन व्यतीत करते रहे हैं एवं देश के वनों की सुरक्षा में इस समाज का योगदान अतुलनीय रहा है। चूंकि यह समाज भारत के […]

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भारत की आर्थिक प्रगति में समाज से अपेक्षा

विश्व के लगभग समस्त देशों में पूंजीवादी मॉडल को अपनाकर आर्थिक विकास को गति देने का प्रयास पिछले 100 वर्षों से भी अधिक समय से हो रहा है। पूंजीवाद की यह विशेषता है कि व्यक्ति केवल अपनी प्रगति के बारे में ही विचार करता है और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी के एहसास को भूल […]

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भारत के लिए वैश्विक स्तर पर बदल रहे हैं राजनैतिक एवं रणनीतिक समीकरण

वैश्विक स्तर पर आज परिस्थितियां, विशेष रूप से राजनैतिक, रणनीतिक एवं आर्थिक क्षेत्र में, तेजी से बदल रही हैं। नए नए समीकरण बनते हुए दिखाई दे रहे हैं। जी-7, जी-20 एवं नाटो के सामने ब्रिक्स अपने पांव पसारता नजर आ रहा है। अमेरिका के साथ साथ यूरोपीयन देश अपनी चमक खो रहे हैं। इन देशों […]

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भारत के आर्थिक विकास में जनजाति समाज का है भरपूर योगदान

भारत भूमि का एक बड़ा हिस्सा वनों एवं जंगलों से आच्छादित है। भारतीय नागरिकों को प्रकृति का यह एक अनोखा उपहार माना जा सकता है। इन वनों एवं जंगलों की देखभाल मुख्य रूप से जनजाति समाज द्वारा की जाती रही है। जनजाति समाज की विकास यात्रा अपनी भूख मिटाने एवं अपने को सुरक्षित रखने के […]

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भारतीय सनातन संस्कृति के विरुद्ध गढ़े जा रहे है झूठे विमर्श

भारत में विभिन्न क्षेत्रों में विकास से सम्बंधित हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों को देखने के पश्चात ध्यान में आता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब पटरी पर तेजी से दौड़ने लगी है। परंतु, देश के मीडिया में भारत के आर्थिक क्षेत्र में लगातार बन रहे नित नए रिकार्ड का जिक्र कहीं भी नहीं […]

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स्वर्ण ऋण के प्रति बढ़ता भारतीयों का रुझान

किसी भी देश के आर्थिक विकास को गति देने हेतु पूंजी की आवश्यकता रहती है। तेज आर्थिक विकास के चलते यदि किसी देश में वित्तीय बचत की दर कम हो तो उसकी पूर्ति ऋण में बढ़ौतरी से की जा सकती है। भारत में ऋण : सकल घरेलू अनुपात अन्य विकसित एवं कुछ विकासशील देशों की […]

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भारत के संदर्भ में हमें गढ़ने होंगे अपने विमर्श

आज वैश्विक स्तर पर भारत के विरुद्ध कई झूठे विमर्श गढ़े जा रहे हैं। हाल ही के समय में इस प्रक्रिया ने कुछ रफ्तार पकड़ी है। विमर्श के माध्यम से जनता के मानस को प्रभावित करने का प्रयास किया जाता है। विमर्श सत्य, अर्द्धसत्य अथवा झूठ भी हो सकता है। यह, विमर्श गढ़ने वाले व्यक्ति […]

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विश्व के वित्तीय एवं निवेश संस्थान भारत के आर्थिक विकास के अनुमानों को बढ़ा रहे हैं

आज जब विश्व में कई विकसित एवं विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं में विभिन्न प्रकार की आर्थिक समस्याएं दिखाई दे रही है, वैश्विक स्तर पर कई प्रकार की विपरीत परिस्थितियों के बीच भी भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी हुई है। कई विदेशी एवं निवेश संस्थान भारत के सकल घरेलू […]

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वन नेशन वन इलेक्शन आज के भारत की आवश्यकता

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत में लोकसभा एवं विभिन्न प्रदेशों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ ही होते रहे हैं। परंतु केंद्र सरकार द्वारा कुछ विधानसभाओं को 1950 एवं 1960 के दशक में इनकी अवधि समाप्त होने के पूर्व ही भंग करने के चलते कुछ विधानसभाओं के चुनाव लोकसभा से अलग कराने की आवश्यकता पड़ी […]

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ब्याज दरों को कम करने का चक्र हुआ प्रारम्भ

प्रह्लाद सबनानी – अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जर्मी पोवेल ने दिनांक 19 सितम्बर 2024 को यूएस फेड दर में 50 आधार बिंदुओं की कमी करने की घोषणा करते हुए यूएस फेड दर को 5.5 प्रतिशत से घटाकर कर 5 प्रतिशत कर दिया है। 4 वर्ष पूर्व पूरे विश्व में फैली कोविड महामारी के खंडकाल […]

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