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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) बनामआर्य समाज-

।।ओ३म्।। 1-आर्य समाज पूर्ण रूप से स्वदेशी राष्ट्रीय आंदोलन था,जिसमें बड़े-बड़े क्रांतिकारी उत्पन्न हो रहे थे,जिसे समाप्त करने के लिए अंग्रेज़ों ने संघ को खड़ा किया और संघियों ने छद्दम राष्ट्रवाद के नाम पर जोशीले युवाओं को भर्ती किया,ताकि स्वदेशी आंदोलन को दबाया जा सके। 2-आर्य समाज ने जिन स्वदेशी वस्त्र धोती और कुर्ता का […]

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क्या प्रवासी मजदूरों के बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार नहीं है?

मुकेश कुमार योगी उदयपुर, राजस्थान वर्ष 2009 में बच्चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम प्रदान कर उन्हें शिक्षा से जोड़ने का बहुत बड़ा कदम उठाया गया. इससे शिक्षा से वंचित देश के लाखों बच्चों को लाभ जरूर हुआ लेकिन अधिनियम लागू होने के 15 साल बाद भी यदि हम धरातल पर […]

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कैसा हो बढ़ते बच्चों का भोजन*

(सुदर्शन भाटिया – विनायक फीचर्स) बारह-तेरह वर्ष की आयु में लड़के तथा लड़कियों के शरीर तथा मस्तिष्क का विकास तीव्रता से होने लगता है। कुछ की यह अवस्था दस वर्ष को पार करते-करते आ जाती है। कुछ भी हो, यदि इस समय सही, सुपाच्य, पौष्टिक आहार की पूरी मात्रा उन्हें नहीं मिलेगी तो उनके विकास […]

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कुमाऊनी बोली और भाषा से कैसे जुड़ेगी नई पीढ़ी?

श्रुति कपकोट, उत्तराखंड “बेडू पाको बारो मासा, नारायण ! काफल पाको चैता मेरी छैला” (बेडू तो बारह माह पकते हैं, लेकिन काफल तो केवल चैत माह में ही पकता है) उत्तराखंड के इस प्रसिद्ध कुमाऊनी लोकगीत को गाते हुए 95 वर्षीय बछुली देवी के चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान तैरने लगती है. वह उत्साह […]

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मृत्यु पर विजय

प्रियांशु सेठ हम सभी को ज्ञात है कि जो इस सृष्टि में जन्म लिया है उसे एक दिन मरना ही होगा। यही सृष्टि का नियम है किन्तु क्या मृत्यु पर भी विजय प्राप्त किया जा सकता है? यह प्रश्न स्वामी दयानन्द जी की भी आत्मकथा का एक हिस्सा है तो आइए पढ़ें कि किस प्रकार […]

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” भारतीय लोकतंत्र लोकगाथा”*

“1- भारतं भारते भाति,भारते भाति भारती।” ” विभाति भारते भानुः,भक्ताः विभान्ति भारते।।” भावार्थ- मेरा भारत (भा में निरंतर रत रहने वाला )भारत में विभासित हो रहा है,भारती ( सरस्वती ) भारत में भासमान हो रही है,भानु ( भास्कर अपनी आभा से )भारत में विभासित हो रहा है और भक्तगण ( अपनी भक्ति से ) भारत […]

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जब पादरी बन गया था वैदिक धर्म का उपदेशक

पादरी आर्य उपदेशक बन गया (यह एक पादरी की सत्य कथा है। जिसमें पादरी ने सत्य का ज्ञान होते ही अपनी आत्मा के साथ न्याय करते हुए असत्य को त्याग कर न केवल सत्य मार्ग का वरण किया अपितु औरों को भी सत्य मार्ग बताने में अपने जीवन को समर्पित किया) यह घटना सन् 1954 […]

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7 जून वैश्विक खाद्य सुरक्षा दिवस पर विशेष- खाद्यान्नों के मामले में आत्मनिर्भर होता भारत

– सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” ‌‌ एक समय था जब भारत अपनी खाद्यान्न आपूर्ति के लिये दूसरे देशों की दया पर निर्भर था। हमारे पास न उस समय कृषि के साधन थे, और न ही उन्नत तकनीक थी। फलतः आज का वही कृषक पहले अपनी कृषि से वैसा उपज नहीं प्राप्त कर पाता था, जैसा […]

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06  जून वट सावित्री व्रत पर विशेष- सती के तेज से विधाता को विधि का विधान भी बदलना पड़ा

           – सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”           इस व्रत की असीम महिमा है। इस वृतांत में सतीत्व के प्रताप से कालपुरुष को भी बेबस होते देख सकते हैं ,तो वहीं इसके  साथ – साथ पर्यावरण की सुरक्षा और दैवीय शक्ति का प्रमाण भी मिलता है। आज इस प्रदूषित वातावरण में स्वांस […]

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संकट में ब्रिटिशकालीन ऐतिहासिक धर्मशालाएं

दीपक नौगांई – विनायक फीचर्स गुलामी के दौर में जब पहाड़ों में पक्की सड़कों का निर्माण नहीं हुआ था और यात्राएं पैदल ही की जाती थी तब पिथौरागढ़ जनपद के धारचुला से आगे सीमांत गाँव दातू की दानवीर जसुली देवी शौकयानी द्वारा दान दिए धन से हल्द्वानी से लेकर नेपाल, कैलाश मानसरोवर मार्ग और पश्चिम […]

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