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आय बढऩे से ही मिटेगी देश की गरीबी

डॉ. भरत झुनझुनवाला केन्द्रीय आवास एवं शहरी, गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने गरीबों के लिये मकान बनाने को राज्य सरकारों से आग्रह किया है। मंत्रालय ने तीस लाख घर प्रति वर्ष बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस योजना को राज्य सरकारों के माध्यम से लागू किया जायेगा। योजना के अंतर्गत गरीब परिवारों को ब्याज पर […]

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देश के लिए खतरनाक है नौकरी में आरक्षण

सुरेश हिंदुस्थानी देश में किसी भी समाज को प्रगति करने से रोकना है तो उसे आरक्षण की वैसाखियों का सहारा प्रदान कर दीजिये। वह समाज अपने आप ही पतन की ओर अपने कदम बढ़ा देगा। वास्तव में देखा जाये तो आरक्षण समाज की धरातलीय प्रगति और विकास का आधार कभी बन ही नहीं सकता। जो […]

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तब भारत के करोड़ों युवा भी हार्दिक का हार्दिक समर्थन करते !

श्रीराम तिवारी एक उत्साही युवा हार्दिक पटेल भी उन्ही सरदार पटेल की जाति -समाज के नाम पर गुजरात में कोहराम मचाने को आतुर है। पटेल -पाटीदार समाज के आरक्षण आंदोलन की अगुआई कर रहे हार्दिक पटेल का नारा है – “पटेलों-पाटीदारों को आरक्षण दो या आरक्षण को ही समाप्त करो ,वरना आइन्दा गुजरात में कमल […]

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मध्य पूर्व की अंतहीन त्रासदी

एस. निहाल सिंह जिस तरह के पागलपन ने मध्य पूर्व के देशों को अपनी चपेट में ले लिया है, क्या वह किसी पद्धति का हिस्सा है? यह सारी दुनिया जानती है कि अमेरिका और ईरान के बीच हुए एटमी करार की वजह से उनके बीच में जो पुनर्मिलन की स्थिति पैदा हुई है, उससे सऊदी […]

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जिंदगी का राज जानने का औचित्य मानव-डीएनए संरचना विधेयक

प्रमोद भार्गव केंद्र सरकार देश के प्रत्येक नागरिक की कुण्डली तैयार करने की दृष्टि से ‘मानव डीएनए सरंचना विधेयक-2015‘ लाने की कवायद में लगी है। कालातंर में यदि यह विधेयक पारित हो जाता है तो देश के हरेक नागरिक का जीन आधारित कंप्युटरीकृत डाटाबेस तैयार होगा। चुनांचे एक क्लिक पर मनुष्य की आतंरिक जैविक जानकारियां […]

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इन्सानियत की आवाजाही का पुल

मीरा गौतम ‘आज की उर्दू कहानी’ आशा प्रभात द्वारा सम्पादित कहानी संग्रह है। उन्होंने इसमें संगृहीत कहानियों का अनुवाद उर्दू से हिन्दी में किया है। वह स्वयं उर्दू और हिन्दी की समर्थ लेखिका हैं। अत: इस अनुवाद की गुणवत्ता पर भरोसा किया जा सकता है। यही कारण है कि आशा प्रभात के हिन्दी अनुवाद में […]

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पैसा और संस्कृति

देखो भई ऐसा है, सबसे बड़ा पैसा है- यह पंक्तियां हमारी नहीं बल्कि एक विज्ञापन की है जिसे इस वक्त का सबसे बड़ा तथाकथित हंसोड़ बोलता है। इस बेचारे किराए के विदूषक की भी यही मजबूरी है क्योंकि यह एक छोटे से शहर के नितांत मध्यमवर्गीय परिवार का लडक़ा है जो अपने द्विअर्थी हाजिर जवाबी […]

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सच्चे कर्म-योगी संत थे सोहन सिंह जी

विनोद बंसल आज के जमाने में यह बात बडी काल्पनिक सी लगती है कि जब कोई कहे कि एक व्यक्ति जिसने अपने जीवन के 92 वर्ष देश को समर्पित कर दिए और आजीवन न शादी की, न अपना घर बनाया, न ग़ाडी, न पैसा जोडा, न कोई बैंक खाता खोला किन्तु अनेक विपरीत परिस्थितियों का […]

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विनाश की ओर बढ़ती मानवता

अनिल कुमार पाण्डेय विश्व जनसंख्या दिवस कोई साधारण दिवस नहीं, बल्कि सयुंक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस है। विश्व में सुपर सोनिक गति से बढ़ती जनसंख्या के प्रति लोगों में जागरुकता लाने के उद्देश्य से ही यह दिवस मनाया जाता है। ये बात अलग है कि इस तरह के उद्देश्यपूर्ण दिवसों की जानकारी […]

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ऐसी फिजूलखर्ची क्यों?

एक आरटीआई के तहत जानकारी मिली है कि कुछ समय पूर्व वित्त मंत्रालय द्वारा फिर से शुरू किए गए एक रुपये के नोट की कीमत 1.14 रुपये बैठ रही है। सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी में यह तथ्य सामने आया है। आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल ने भारत प्रतिभूति मुद्रणालय तथा मुद्रा निर्माण निगम […]

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