ललित गर्ग गांधी के तीन बंदरों की तरह-वक्त देखता नहीं, अनुमान लगाता है। वक्त बोलता नहीं, संदेश देता है। वक्त सुनता नहीं, महसूस करता है। आदमी तब सच बोलता है, जब किसी ओर से उसे छुपा नहीं सकता, पर वक्त सदैव ही सच को उद्घाटित कर देता है। हम वही देखते हैं, जो सामने घटित […]
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विनय सीताराम यदि अटल बिहारी वाजपेयी श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सांचे में ढले वक्ता थे तो एलके आडवाणी कराची की महानगरीय दुनिया के बाशिंदे। दीनदयाल ने आडवाणी की इस खासियत पर गौर किया था और यही वजह थी कि 1957 के चुनावों के बाद आडवाणी को दिल्ली लाया गया। उनका काम दिल्ली के लुटियंस में […]
डॉ. वेदप्रताप वैदिक कुछ की मान्यता थी कि सच्चा भारतीय वही हो सकता है, जो हिंदू है या हिंदीभाषी हैं इस तरह की बात कहने वाले कौन लोग हो सकते हैं ? यह सर्वेक्षण इस प्रश्न का जवाब नहीं देता है लेकिन हम अंदाजा लगा सकते हैं। ये लोग वे हो सकते हैं, जिन्हें हम […]
अशोक मधुप आज प्रदेश में भाजपा सत्ता में है। उसकी स्थिति बहुत मजबूत है। कांग्रेस और रालोद का अपना अकेले कोई वजूद नहीं। बसपा जिला पंचायत चुनाव लड़ नहीं रही। सपा ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे। चुनाव लड़ने की घोषणा तो की, किंतु आधे−अधूरे मन से चुनाव लड़ा जा रहा है। उत्तर प्रदेश में […]
आदिवासियों का गौरवशाली इतिहास
विशद कुमार बोकारो के जैना बस्ती में मनोज हेम्ब्रम रहते हैं, जो आदिवासियों का गांव है। मनोज को नहीं पता कि आदिवासियों के नायक सिदो मुर्मू और कान्हू मुर्मू कौन थे, क्यों शहीद हुए? इसी गांव के लोबेसर मांझी सिदो-कान्हू को तो जानते हैं, लेकिन शहादत की वजह उन्हें भी नहीं पता। आज हूल (विद्रोह) […]
कश्मीरी नेताओं के ढीले पड़ते ‘तेवर’
डॉ. वेदप्रताप वैदिक सरकार ने धारा 370 को वापिस ले आने का कोई संकेत नहीं दिया है। कश्मीरी पार्टियों के नेताओं ने अपनी इस मांग को उठाया जरूर लेकिन उसे ही एक मात्र मुद्दा नहीं बनाया। समझा जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव पहले होंगे और उसे राज्य का दर्जा बाद में मिलेगा। जम्मू-कश्मीर […]
स्वदेशी खिलौने और भारतीय संस्कृति
क्षमा शर्मा भारत में विश्व के बारह साल तक के बच्चों में से पचीस प्रतिशत बच्चे रहते हैं। इसी साल फरवरी के महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारतीय बच्चों के लिए प्राकृतिक चीजों से बने इको फ्रेंडली खिलौने बनने चाहिए। प्लास्टिक को खिलौनों से दूर रखना चाहिए। उन्होंने कठपुतली आदि का […]
प्रस्तुति – श्रीनिवास आर्य यह ऐतिहासिक और दुर्लभ क्षण है जब डीजल के दाम दो अंकों के सीमित दायरे से बाहर निकल कर तीन अंकों के आंकड़ों को प्राप्त हुए हैं। पेट्रोल इस बात से बेहद खुश है कि यह उपलब्धि वह पहले ही अर्जित कर चुका है। देर सवेर ही सही मगर डीजल को […]
भारतीय विदेश नीति और तालिबान
प्रस्तुति – श्रीनिवास आर्य तालिबान को कौन नियंत्रित कर रहा है, इसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा। मगर जिनके हाथों से इस समूह में ‘खुल जा सिम-सिम’ हो रहा है, उनमें तीन बड़े नाम मुल्ला उमर का बेटा मुल्ला मोहम्मद याकूब, तालिबान के सह संस्थापक मुल्ला अब्दुल ग़नी बारादर, और हक्कानी नेटवर्क का सरगना सिराजुद्दीन […]
रमेश सर्राफ धमोरा भाजपा जैसे-जैसे बड़ी पार्टी बनती जा रही है। वैसे-वैसे दूसरे दलों के नेता भी लगातार भाजपा में शामिल हो रहे हैं। उनमें से कई लागों को बड़े पद भी दिए गए हैं। बाहर से आने वाले नेताओं के कारण पार्टी में वर्षों से काम कर रहे लोगों को असहज स्थिति का सामना […]