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डॉ राकेश कुमार आर्य की लेखनी से प्रमुख समाचार/संपादकीय राजनीति विविधा

नई राजनीति के खिलाड़ी वरूण गांधी

सूखे पेड़ पर बैठा पक्षी भी बुरा लगता है। यहां तक कि यात्री भी सूखे पेड़ की अपेक्षा हरे-भरे पेड़ को तलाशता है, और अपनी थकान मिटाता है। इस घटना को समझने के दो पहलू हो सकते हैं, एक तो यह कि संसार स्वार्थी होता है, जहां तक आपके पास कुछ है, तब तक लोग […]

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करें आवाहन उजालों का

बहुत हो चुका, खूब भटकते रहे हैं हम, हर बार रोशनी का दरिया उमड़ाते रहते हैं फिर भी जाने क्यों ये अंधेरा पसरने लगता है हमारे भीतर, आस-पास, और दूरदराज तक। जिधर नज़र दौड़ाएं अंधेरों का कोई न कोई कतरा किसी न किसी परछाई के साथ उभर कर सामने आता-जाता रहता है। कभी डरावना लगता […]

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अचूक प्रभाव है लक्ष्मी मंत्रों का

–  आचार्य योगिता दीपावली के उपलक्ष्य में श्रीलक्ष्मी माता की विशेष उपासना की जाती है उनकी उत्पत्ति का विषय यामल ग्रन्थों में वर्णित है। श्री लक्ष्मी को कमला एवं सौभाग्य लक्ष्मी भी कहते हैं। मुख्य श्री तो श्रीविद्या महात्रिपुर सुन्दरी ही है। जब समुद्र मन्थन हुआ तब कमलात्मिका लक्ष्मी उत्पन्न हुई। उन्होंने श्री महात्रिपुर सुन्दरी […]

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मोदी के लिये पवार हथियार भी और ढाल भी

 पुण्‍य प्रसून वाजपेयी पवार का खुला समर्थन बीजेपी को सरकार बनाने के लिये गया क्यों। क्या बीजेपी भी शिवसेना से पल्ला झाड कर हिन्दुत्व टैग से बाहर निकलना चाहती है। या फिर महाराष्ट्र की सियासत में बालासाहेब ठाकरे के वोट बैंक को अब बीजेपी हड़पना चाहती है, जिससे उसे भविष्य में गठबंधन की जरुरत ना […]

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इस जीत का अर्थ क्या है?

हरियाणा और महाराष्ट्र में भाजपा की विजय के अर्थ क्या हैं? इस विजय का सबसे पहला संदेश तो यह है कि यह सच्चे लोकतंत्र की विजय है। जनता के लोकतांत्रिक निर्णय को पलीता लगाने वाली चीजे हैं – जातिवाद, क्षेत्रवाद, संप्रदायवाद! इन अ-राजनीतिक दबावों से ऊपर उठ कर लोगों ने मतदान किया यानी उन्होंने निजी […]

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अच्छे दिन बस आने ही वाले हैं…

अंजू शर्मा बेमौसम बरसात का असर हैया आँधी के थपेड़ों की दहशतउसकी उदासी के मंजर दिल कचोटते हैंमेरे घर के सामने का वह पेड़जिसकी उम्र और इस देश के संविधान कीउम्र में कोई फर्क नहीं हैआज खौफजदा है मायूसी से देखता है लगातारझड़ते पत्तों कोछाँट दी गई उन बाँहों को जो एक पड़ोसीकी बालकनी में […]

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उल्लूओं की तरह भागते न फिरें

असली धन है संतोषी जीवन आजकल इंसान की सर्वाधिक दौड़ धन की ओर लगी हुई। इसमें दो किस्मों के लोग हैं। एक वे हैं जो धर्म एवं नीति संगत कार्यों और स्वयं के पुरुषार्थ से धन संग्रह करते हुए पूरी मस्ती के साथ जीवन जीते हैं। दूसरे प्रकार में वे लोग हैं जिन्हें पुरुषार्थ से […]

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धन वही नहीं जो तिजोरियाँ भरता है

धन के बारे में आम तौर पर यही माना जाता है कि रुपए-पैसे और सोना-चाँदी ही धन है जिन्हें बैंक या घरों के भण्डार में सायास सहेजकर सुरक्षित रखा जाता है अथवा विनिमय में प्रयुक्त होता है। और माना जाता है कि चोर-डकैतों की निगाह इसी धन पर होती है। धन अपने आपमें दुनियावी आकर्षण […]

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आरंभ हुआ व्यवस्था परिवर्तन का दौर

डॉ0 वेद प्रताप वैदिक की कलम  से प्रांतीय चुनावों से मुक्त होते ही सरकार ने तेजी से काम करना शुरु कर दिया है। इसके तीन स्पष्ट संकेत हमारे सामने हैं। पहला श्रम−सुधार की घोषणा, महत्वपूर्ण सचिवों की अदला−बदली और ‘मनरेगा’ का रुपांतरण! यदि इन तीनों परिवर्तनों को एक साथ रखकर देखें तो आशा बंधती है […]

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क्यों हर किसी को शह और मात देने की स्थिति में हैं मोदी ?

पुण्‍य प्रसून वाजपेयी नरेन्द्र मोदी जिस राजनीति के जरिये सत्ता साध रहे हैं, उसमें केन्द्र की राजनीति हो या क्षत्रपों का मिजाज । दोनों के सामने ही खतरे की घंटी बजने लगी है कि उन्हे या तो पारंपरिक राजनीति छोड़नी पडेगी या फिर मुद्दों को लेकर पारपरिक समझ बदलनी होगी । लेकिन मजेदार सच यह […]

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