Categories
विविधा

ऐसा दोहरा मापदण्‍ड क्‍यों ?

रेल यात्रा और क़ानून का यह दोहरा मापदंड ! निर्मल रानी कहने को तो हमारे देश में प्रत्येक नागरिक के लिए समान कानून बनाए गए हैं। परंतु यदि इस बात की धरातलीय पड़ताल की जाए तो कई ऐसे विषय हैं जिन्हें देखकरयह कहा जा सकता है कि या तो वर्ग विशेष  कानून की धज्जियां उड़ाने […]

Categories
विविधा

सभी धर्मस्थानों से लाऊडस्पीकर हटा दिए जाने चाहिए

निर्मल रानी जनता दल युनाईटेड के अध्यक्ष शरद यादव ने पिछले दिनों अपने एक बयान में कहा कि सभी धर्मस्थानों से लाऊडस्पीकर हटा दिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रद्धालु लोग स्वेच्छा से धर्म स्थलों को जा सकते हैं उन्हें बुलाने की कोई आवश्यकता नहीं है। यादव ने कहा कि धर्मस्थलों पर लाऊडस्पीकर के इस्तेमाल […]

Categories
विविधा

जीत से बढ़ती जिम्मेदारी

                                                                    डा. शशि तिवारी                 विश्वास आदमी को बांधता है लेकिन विश्वास से उपजा विश्वास जब टूटता है तो आदमी न केवल […]

Categories
विविधा

आपदा निवारण के लिए आओ करें सामूहिक प्रार्थना

प्राकृतिक आपदाओं से हमारा रिश्ता ज्यादा से ज्यादा गहरा होता जा रहा है। ज्यों-ज्यों हम प्रकृति को उत्तेजित करते हैं, शोषण के मनोभावों से नैसर्गिक संपदा का अंधाधुंध दोहन करते हैं, त्यों-त्यों प्रकृति हमसे कुपित होती है। कई सारी आपदाएं प्राकृतिक हैं और ढेरों ऎसी हैं जो मानव निर्मित हैं। मानव में जब से स्वार्थ […]

Categories
विविधा

 सियासत का फिल्मी सिनेमा है ‘कालाधन’, जो हमेशा हिट होती है

पुण्‍य प्रसून वाजपेयी ठीक 25 बरस पहले वीपी सिंह स्विस बैंक का नाम लेते तो सुनने वाले तालियां बजाते थे। और 25 बरस बाद नरेन्द्र मोदी ने जब स्विस बैंक में जमा कालेधन का जिक्र किया तो भी तालियां बजीं। नारे लगे। 1989 में स्विस बैंक की चुनावी हवा ने वीपी को 1989 में पीएम […]

Categories
विविधा

रेहाना ! हमें माफ़ करना…

 -फ़िरदौस ख़ान एक लड़की जो जीना चाहती थी… अरमानों के पंखों के साथ आसमान में उड़ना चाहती थी, लेकिन हवस के भूखे एक वहशी दरिन्दे ने उसकी जान ले ली. एक चहकती-मुस्कराती लड़की अब क़ब्र में सो रही होगी… उसकी रूह कितनी बेचैन होगी… सोचकर ही रूह कांप जाती है… लगता है, उस क़ब्र में […]

Categories
विविधा

गीत मिट्टी का गाऊंगा

मिट्टी से जुड़ा हूँ तो गीत मिट्टी का गाऊंगा.जरुरत पड़ी तो खेतों में बन्दूक भी उगाऊंगा. मुझे होगी जरुरत ना तिलक ना चन्दन की,धूल धरती की जब अपने माथे पर लगाऊंगा. अदालत में क़ुरान-ए-पाक और गीता मानिन्द,मिट्टी हाथ में लेकर सौगन्ध मिट्टी की खाऊंगा. फसलों का मैं राजा महलों का ना सही,मलमल नहीं मिट्टी ही […]

Categories
विविधा

कम्युनिस्ट किसे चुने, कुर्सी या क्रांति?

 मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी में आजकल काफी गहरा विचार-मंथन चल रहा है। 1978 में जालंधर अधिवेशन में उसने जो रास्ता पकड़ा था, उसे अब वह छोड़ना चाहती है। वह रास्ता क्या था? वह रास्ता था, गैर-भाजपा दलों से गठबंधन करने का! भाजपा को वह घोर दक्षिणपंथी, सांप्रदायिक और संकीर्ण दल मानती थी, जबकि उसे कांग्रेस, समाजवादी […]

Categories
विविधा

कांग्रेस में नेता बदलें या नीति?

पी चिदंबरम ने बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया। उन्होंने कह दिया कि कांगेस में से माँ-बेटा राज खत्म भी हो सकता है। उनके इस दुस्साहिसक बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देखी जा रही है। क्यों नहीं देखी जा रही है? क्योंकि सभी कांग्रेसी मजबूर हैं। वे क्या करें? उन्हें पता है कि सोनिया […]

Categories
विविधा

पत्रकार और प्रधानमंत्री: परस्पर डरें क्यों?

प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार नरेंद्र मोदी ने पत्रकारों पर मेहरबानी की। उन्हें भाजपा मुख्यालय में बुलाया। मेहमानों का स्वागत करने की हमारी परंपरा है लेकिन मेहमान पत्रकारों ने घंटे-डेढ घंटे प्रतीक्षा की और वहां बैठ कर मेजबान प्रधानमंत्री का स्वागत किया! प्रधानमंत्री ने पत्रकारों को बताया कि कभी भाजपा कार्यालय में वे कैसे […]

Exit mobile version