यह दुनिया विश्वास और अविश्वास के ध्रुवों के बीच चलायमान है। इसमें इंसान की स्थिति उस पेण्डुलम की तरह है जिसमें उसे खुद को यह भरोसा नहीं होता कि सही क्या है। किस पर विश्वास करे और किस पर नहीं। कुछ लोग विश्वास के सहारे जीते हैं, कुछ इससे भी […]
श्रेणी: विविधा
नई दिल्ली, 31 अक्टूबर, 2014। राजस्थान के जयपुर जिले में नागरिक सुरक्षा द्वारा पूरे देश में उत्कृष्ट कार्य किये जाने के फलस्वरूप गुरूवार को नागपुर में जयपुर को पहले राष्ट्रीय लीडरशिप अवार्ड से नवाजा गया है। राष्ट्रीय लीडरशिप अवार्ड जयपुर जिला कलेक्टर के प्रतिनिधि के रूप में डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी, आई.ए.एस. को नागपुर में […]
तनवीर जाफरी सीरिया व इराक में सक्रिय आतंकवादी जो स्वयं को इस्लामिक स्टेट्स के सिपाही बताते हैं उनका मानवता के विरुद्ध कहर जारी है। यह संगठन अपनी शक्ति तथा क्रूरता के बल पर सीरिया व इराक के अतिरिक्त तुर्की व अन्य कई अरब देशों में अपना विस्तार करना चाह रहा है। इनकी कल्पनाओं के मानचित्र […]
रेल यात्रा और क़ानून का यह दोहरा मापदंड ! निर्मल रानी कहने को तो हमारे देश में प्रत्येक नागरिक के लिए समान कानून बनाए गए हैं। परंतु यदि इस बात की धरातलीय पड़ताल की जाए तो कई ऐसे विषय हैं जिन्हें देखकरयह कहा जा सकता है कि या तो वर्ग विशेष कानून की धज्जियां उड़ाने […]
निर्मल रानी जनता दल युनाईटेड के अध्यक्ष शरद यादव ने पिछले दिनों अपने एक बयान में कहा कि सभी धर्मस्थानों से लाऊडस्पीकर हटा दिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रद्धालु लोग स्वेच्छा से धर्म स्थलों को जा सकते हैं उन्हें बुलाने की कोई आवश्यकता नहीं है। यादव ने कहा कि धर्मस्थलों पर लाऊडस्पीकर के इस्तेमाल […]
डा. शशि तिवारी विश्वास आदमी को बांधता है लेकिन विश्वास से उपजा विश्वास जब टूटता है तो आदमी न केवल […]
प्राकृतिक आपदाओं से हमारा रिश्ता ज्यादा से ज्यादा गहरा होता जा रहा है। ज्यों-ज्यों हम प्रकृति को उत्तेजित करते हैं, शोषण के मनोभावों से नैसर्गिक संपदा का अंधाधुंध दोहन करते हैं, त्यों-त्यों प्रकृति हमसे कुपित होती है। कई सारी आपदाएं प्राकृतिक हैं और ढेरों ऎसी हैं जो मानव निर्मित हैं। मानव में जब से स्वार्थ […]
पुण्य प्रसून वाजपेयी ठीक 25 बरस पहले वीपी सिंह स्विस बैंक का नाम लेते तो सुनने वाले तालियां बजाते थे। और 25 बरस बाद नरेन्द्र मोदी ने जब स्विस बैंक में जमा कालेधन का जिक्र किया तो भी तालियां बजीं। नारे लगे। 1989 में स्विस बैंक की चुनावी हवा ने वीपी को 1989 में पीएम […]
-फ़िरदौस ख़ान एक लड़की जो जीना चाहती थी… अरमानों के पंखों के साथ आसमान में उड़ना चाहती थी, लेकिन हवस के भूखे एक वहशी दरिन्दे ने उसकी जान ले ली. एक चहकती-मुस्कराती लड़की अब क़ब्र में सो रही होगी… उसकी रूह कितनी बेचैन होगी… सोचकर ही रूह कांप जाती है… लगता है, उस क़ब्र में […]
मिट्टी से जुड़ा हूँ तो गीत मिट्टी का गाऊंगा.जरुरत पड़ी तो खेतों में बन्दूक भी उगाऊंगा. मुझे होगी जरुरत ना तिलक ना चन्दन की,धूल धरती की जब अपने माथे पर लगाऊंगा. अदालत में क़ुरान-ए-पाक और गीता मानिन्द,मिट्टी हाथ में लेकर सौगन्ध मिट्टी की खाऊंगा. फसलों का मैं राजा महलों का ना सही,मलमल नहीं मिट्टी ही […]