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किशोरियों की शिक्षा में डिजिटल दुनिया का सहयोग

ज्योति दिल्ली काजल (बदला हुआ नाम) एक 15 वर्षीय लड़की है जो अपने परिवार के साथ दिल्ली स्थित उत्तम नगर इलाके में रहती है. उसके परिवार में कुल छः सदस्य हैं. काजल अपनी चार बहनों, मां और मौसी के साथ किराए के घर में रहती है. कोरोना महामारी के दौरान उसके पिता की एक दुर्घटना […]

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1 अप्रैल, मूर्ख दिवस‌ अप्रैल फूल पर विशेष- एक दिन हास परिहास‌ का भी जरूरी

सुरेश सिंह बैस शाश्वत अप्रैल फूल दिवस पश्चिमी देशों में प्रत्येक वर्ष पहली अप्रैल को मनाया जाता है। कभी-कभी इसे ऑल फूल्स डे के नाम से भी जाना जाता हैं। एक अप्रैल वैसे तो छुट्टी का दिन नहीं है परन्तु इसे व्यापक रूप से एक ऐसे दिन के रूप में जाना और मनाया जाता है, […]

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रीति रिवाजों के नाम पर लैंगिक भेदभाव से मुक्त नहीं हुआ समाज

उत्तराखंड हमारे समाज में अक्सर ऐसे कई रीति रिवाज देखने को मिलते हैं जिससे लैंगिक भेदभाव स्पष्ट रूप से नज़र आता है. लड़का और लड़की के जन्म से लेकर उसके शादी-ब्याह, दहेज और संपत्ति के अधिकार तक के मामले में यह भेदभाव नज़र आता है. लड़का के जन्म पर जहां जश्न मनाया जाता है, तो […]

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ग्रामीण क्षेत्रों में किशोरियों की शिक्षा में मददगार साबित होता डिजिटल साक्षरता

सैय्यदा तैयबा कौसर पुंछ, जम्मू डिजिटल तकनीक के विकास ने भारत के जिन क्षेत्रों को सबसे अधिक लाभ पहुंचाया है उसमें शिक्षा भी प्रमुख है. इसकी मदद से न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों की किशोरियां भी अपनी शैक्षणिक बाधाओं को दूर कर रही हैं. डिजिटल साक्षरता ग्रामीण भारत में किशोरियों को शैक्षिक संसाधनों की […]

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मनुष्य अपने स्वभाव से शाकाहारी है या मांसाहारी ?

हवा-पानी-भोजन सभी जीवधारियों के जीवन आधार हैं। हवा-पानी साफ हों प्रदूषित न हों, यह भी सर्वमान्य है। मनुष्य को छोड़ कर शेष सभी शरीरधारी अपने भोजन के बारे में भी स्पष्ट हैं उनका भोजन क्या है? यह कितनी बड़ी विड़म्बना है कि सबसे बुद्धिमान् शरीरधारी मनुष्य अपने भोजन के बारे में स्पष्ट नहीं है। मैं […]

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21 मार्च विश्व वानिकी दिवस पर विशेष- मनुष्य की सभ्यता वन वानकी से कायम

सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” भारतवर्ष में वनसंपदा का बहुत महत्व है। मान्यता है कि सघन वनों की छाया में ही भारतीय संस्कृति पनपी है। भारतीय जनमानस को इन्हीं वनों की छाया में साधनारत महापुरुषों से समय समय पर आदर्श जीवन संदेश प्राप्त होता रहा है। वृक्षों की धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्ता के अतिरिक्त भारतीय जन […]

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20, मार्च विश्व गौरैया दिवस- “आओ मिलकर गौरैया को बचाएं”

— सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” विश्व गौरैया दिवस प्रतिवर्ष 20 मार्च को मनाया जाता है। गौरैया चिकने, गोल सिर और गोलाकार पंखों वाली सुंदर पक्षी हैं। उनके पास सुंदर आवाजें हैं, उनकी चहकती और गायन की आवाज हर जगह सुनाई देती है। इन खूबसूरत पक्षियों को समर्पित एक खास दिन को विश्व गौरैया दिवस के […]

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रोजगार के क्षेत्र में लैंगिक भेदभाव का सामना करती महिलाएं

महिमा जोशी बागेश्वर, उत्तराखंड जन्म से लिंग भेद का शिकार होने वाली महिलाएं, रोजगार के क्षेत्र में भी भेदभाव का सामना करती हैं. बात चाहे रोजगार की हो या वेतन की, दोनों ही मामलों में यह भेदभाव न केवल ग्रामीण बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी होता है. आज भी देश में महिलाओं की श्रम शक्ति […]

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सरकारी योजनाएं और भारत का देहात

संगीता चौहान उदयपुर, राजस्थान राजस्थान का एतिहासिक उदयपुर शहर झीलों की नगरी के नाम से भी प्रसिद्ध है. जहां सालों भर देश और दुनिया के पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है. यहां कि सुंदरता की मिसाल इसी से लगाई जा सकती है कि दुनिया के बड़े बड़े उद्योगपति और फ़िल्मी सितारे वेडिंग स्थल के रूप […]

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गजेंद्र मोक्ष कथा

** डॉ डी के गर्ग गजेंद्र मोक्ष की कथा भागवत पुराण में आती है जिसमें ग्राह और गजेंद्र के युद्ध का वर्णन है। कथा इस प्रकार है. एक बार की बात है। गजेन्द्र अपने साथियो सहित तृषाधिक्य (प्यास की तीव्रता) से व्याकुल हो गया। वह कमल की गंध से सुगंधित वायु को सूंघकर एक चित्ताकर्षक […]

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