आयुर्वेद के महान ऋषि पुनर्वसु मानव स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए अपने जीवन को ऊंची साधना में समर्पित करने वाले महान ऋषियों में ऋषि पुनर्वसु का नाम भी बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्हें आयुर्वेद का गहरा ज्ञान था। जिसके आधार पर उन्होंने आयुर्वेद की स्वास्थ्य परंपरा को आगे बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण […]
श्रेणी: विश्वगुरू के रूप में भारत
प्राणाचार्य धन्वंतरि भारत के महान ऋषियों ने संसार को प्राणशक्ति अर्थात स्वास्थ्य प्रदान किए रखने के लिए आयुर्वेद का आविष्कार करके दिया। यह बहुत संभव है कि संसार में रहते हुए व्यक्ति चौबीसों घंटे और हर दिन खाने-पीने के प्रति सतर्क नहीं रह सकता, कहीं न कहीं चूक हो सकती है। आहार-विहार और आचार-विचार को […]
प्राणाचार्य धन्वंतरि भारत के महान ऋषियों ने संसार को प्राणशक्ति अर्थात स्वास्थ्य प्रदान किए रखने के लिए आयुर्वेद का आविष्कार करके दिया। यह बहुत संभव है कि संसार में रहते हुए व्यक्ति चौबीसों घंटे और हर दिन खाने-पीने के प्रति सतर्क नहीं रह सकता, कहीं न कहीं चूक हो सकती है। आहार-विहार और आचार-विचार को […]
प्रवीण गुगनानी, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार मे राजभाषा सलाहकार 9425002270 बुद्ध जयंती, बुद्ध पूर्णिमा, वेसाक या हनमतसूरी समूचे भारत वर्ष के लिए एक महत्वपूर्ण, आस्था जन्य और उल्लासपूर्वक मनाया जाने वाला पर्व है। विश्व के अनेक भागों में फैले हुए हिंदू, बौद्ध इस पर्व को वेसाक (हिंदू कैलेंडर के वैशाख का अप्रभंश) के नाम से […]
संसार के सबसे पहले पत्रकार : महर्षि नारद मन की गति को जो समझ ले और उस पर अधिकार करके जितनी तीव्रता से कहीं मन पहुंचने में सक्षम हो पाता है ,उतनी तीव्रता से अपने आपको उस स्थान पर उपस्थित करा दे, उसे नारद कहते हैं। महर्षि नारद को संसार का सबसे पहला पत्रकार कहा […]
न्याय दर्शन के प्रवर्तक : महर्षि गौतम न्याय दर्शन के प्रवर्तक ऋषि गौतम हैं। जिनका न्यायसूत्र इस दर्शन का सबसे प्राचीन एवं प्रसिद्ध ग्रन्थ है। अहिल्या इन्हीं की पत्नी का नाम था। इनके पुत्र का नाम शतानंद और पुत्री का नाम विजया था। न्याय दर्शन को सूत्रबद्ध और व्यवस्थित स्वरूप देने का श्रेय महर्षि गौतम को ही जाता है। महर्षि […]
उत्तर मीमांसा के रचनाकार बादरायण व्यास उत्तर मीमांसा या वेदांत दर्शन का प्रवर्तक महर्षि व्यास को माना जाता है। धर्म जिज्ञासा के उपरांत मनुष्य की दूसरी जिज्ञासा ब्रह्म जिज्ञासा की होती है। ब्रह्यसूत्र का प्रथम सूत्र इसी जिज्ञासा की ओर संकेत करता है- अथातो ब्रह्यजिज्ञासा।। ब्रह्य के जानने की लालसा। ब्रह्म जिज्ञासा का अभिप्राय है […]
उत्तर मीमांसा के रचनाकार बादरायण व्यास उत्तर मीमांसा या वेदांत दर्शन का प्रवर्तक महर्षि व्यास को माना जाता है। धर्म जिज्ञासा के उपरांत मनुष्य की दूसरी जिज्ञासा ब्रह्म जिज्ञासा की होती है। ब्रह्यसूत्र का प्रथम सूत्र इसी जिज्ञासा की ओर संकेत करता है- अथातो ब्रह्यजिज्ञासा।। ब्रह्य के जानने की लालसा। ब्रह्म जिज्ञासा का अभिप्राय है […]
भारत की सांस्कृतिक विरासत में षड्दर्शनों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इनमें जिस दार्शनिक शैली में तत्व विवेचन किया गया है ज्ञान की प्रस्तुति की उस पराकाष्ठा के समक्ष संसार के अच्छे-अच्छे विद्वान पानी भर जाते हैं। इन षड्दर्शनों में सम्मिलित ‘पूर्व मीमांसा’ और ‘उत्तर मीमांसा’ को ‘मीमांसा’ के नाम से जाना गया है। इन […]
जिस समय श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ उस समय कंस जैसा एक राक्षस इस धरती पर शासन कर रहा था। उसने अपनी बहन देवकी और उनके पति वसुदेव को ही कारागार में डाल रखा था। हम सभी जानते हैं कि कृष्ण जी के जन्म लेने से पूर्व वह कंस नाम का राक्षस कृष्ण जी […]