मानव चिकित्सा के लिए आयुर्वेद की खोज करके जहां भारत के ऋषियों ने महान कार्य किया, वहीं पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी सर्वप्रथम भारत ने ही पहल की थी। इस क्षेत्र में संपूर्ण संसार के चिकित्सा विज्ञानी आज तक भी पूर्णता का दावा नहीं कर पाए हैं। उनका कहना होता है कि मनुष्य से […]
श्रेणी: विश्वगुरू के रूप में भारत
अत्याचार के घोर विरोधी : महर्षि परशुराम लोगों को बताया जाता है कि परशुराम जी ने पृथ्वी को 21 बार क्षत्रियविहीन किया। ऐसा करके परशुराम जी के साथ न्याय नहीं किया जाता। इसके विपरीत भारत की हिंदू समाज की एकता को भंग करने का प्रयास किया जाता है। परशुराम जी कोई आतंकवादी या बुद्धि शून्य […]
महर्षि विश्वामित्र प्राचीन काल में शस्त्र विद्या के ज्ञाता के रूप में जाने जाते थे। उनके बारे में अनेक प्रकार की किंवदंतियां प्रचलित हैं। हम उन किंवदंतियों के आधार पर बनी कहानियों का उल्लेख यहां पर नहीं करेंगे। इतिहास की साक्षी है कि प्रजापति के पुत्र कुश, कुश के पुत्र कुशनाभ और कुशनाभ के पुत्र […]
जो दिल्ली के लाल किले के बारे में कुछ नहीं जानते, वह इसे देखकर भी देख नहीं पाते। ऐसे लोगों की दृष्टि में लालकिला पत्थर की ऊंची – ऊंची दीवारों और किसी अज्ञात काल में किसी राजा के निवास स्थान के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। पर जो लोग लाल किला के विषय में जानते […]
महर्षि च्यवन का नाम हमारे देश में बहुत प्रसिद्ध है। उनके द्वारा बनाया गया ‘च्यवनप्राश’ आज भी स्वास्थ्य वर्धक रसायनों में सम्मिलित है। वे महर्षि भृगु और पुलोमा के पुत्र थे। जब कुछ समय पहले सारे विश्व को कोरोना जैसी बीमारी ने अपनी चपेट में लिया था तो उस समय संसार भर के चिकित्साशास्त्री और […]
संसार के पहले कुलपति : शौनक ऋषि नैमिषारण्य का भारतीय वांग्मय में विशिष्ट स्थान है। यहां पर अनेक ऋषियों ने तपस्या की और मोक्ष पद प्राप्त किया। जिन ऋषियों ने यहां पर दीर्घकाल तक तपस्या की है, उनमें ऋषि शौनक का भी नाम सम्मिलित है। ऋषि शौनक एक वैदिक आचार्य थे, जो भृगुवंशी शुनक ऋषि […]
ऋग्वेद के एक मंत्र में इंद्र और वृत्रासुर का उल्लेख मिलता है , जिसका अर्थ का अनर्थ करते हुए लोगों ने इसे एक कहानी का रूप दे दिया है। जिसके अनुसार त्वष्टा के पुत्र वृत्रासुर ने देवों के राजा इन्द्र को युद्ध में निगल लिया। तब सब देवता भयभीत होकर कांपने लगे और वे अपनी […]
भारत के महान समाज वैज्ञानिक महात्मा बुद्ध बौद्ध मत के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध संसार के इतिहास के एक महान समाज सुधारक थे। उनके बारे में यह मिथ्या धारणा है कि उन्होंने कोई नया पंथ चलाकर आर्य वैदिक सिद्धांतों की आलोचना की। सच यह है कि उन्होंने समकालीन समाज में वैदिक सिद्धांतों के प्रति आई शिथिलता […]
आदर्श प्रेरणा के स्रोत महावीर स्वामी वेदों के नाम पर यज्ञों का आयोजन करके उसमें पशु बलि देना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं था, परंतु एक काल ऐसा आया था जब इस प्रकार का अत्याचार पशुओं पर निरंतर बढ़ता जा रहा था । मानवता और वेदों की मूल अवधारणा के प्रतिकूल अपनाए जा रहे […]
आयुर्वेद के मर्मज्ञ ऋषि अग्निवेश भारत के वैदिक ऋषियों में अग्निवेश का महत्वपूर्ण स्थान है । ये भी आयुर्वेद के मर्मज्ञ ऋषि के रूप में जाने जाते हैं। जब शेष संसार के लोग चिकित्सा क्षेत्र में कुछ भी नहीं जानते थे तब भारत चिकित्सा क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित कर रहा था। भारत के इन कीर्तिमानों को […]