लेखकीय निवेदन श्री राम को समझने के लिए हमें वाल्मीकि कृत रामायण का अध्ययन करना चाहिए। उनका सही स्वरूप हमें वहीं से प्राप्त होगा। उन पर अभी बहुत कुछ सत्यान्वेषण करने की आवश्यकता है। जब हम वाल्मीकि कृत रामायण को पढ़ते हैं तो पता चलता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम हमारे सनातन के साकार […]
श्रेणी: विश्वगुरू के रूप में भारत
सत्यकेतु विद्यालंकार अपनी पुस्तक ‘राजनीति शास्त्र’ के पृष्ठ 492 पर लिखते हैं-‘भारत में कभी सैकड़ों हजारों छोटे-छोटे राज्य थे। मालव, शिवि, क्षुद्रक, अरहट, आग्नेय आदि राज्य पंजाब में तथा शाक्य, वज्जि, मल्ल, मोरिय, बुलि आदि राज्य उत्तरी बिहार में थे। मगध के सम्राटों ने इन सबको जीतकर अपने अधीन किया। यदि इन सब राज्यों में […]
देशभक्त राजर्षि चाणक्य संसार के एक बहुत बड़े भूभाग के लोगों पर विभिन्न प्रकार के अत्याचार कर करके सिकंदर एक विशाल साम्राज्य का स्वामी बना। जिस समय वह संसार से विदा ले रहा था उस समय उसके साम्राज्य में इतिहासकारों की मान्यताओं के अनुसार मैसीडोनिया,सीरिया, बैक्ट्रिया, पार्थिया, आज का अफ़ग़ानिस्तान एवं उत्तर पश्चिमी भारत के […]
मृत्युंजय ऋषि शरभंग हमारे देश में प्राचीन काल में ऐसे अनेक ऋषि- मुनि, योगी, महात्मा थे जो मृत्युंजय कहे जाते थे। जब वह देखते थे कि अब उनका यह शरीर काम करने के योग्य नहीं रहा ,तब वह इसे स्वेच्छा से त्याग दिया करते थे। जब भारत के चक्रवर्ती राजाओं की परंपरा समाप्त होने लगी […]
सिक्ख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जब भारत को विदेशी मुस्लिम शासक अपने अत्याचारों से उत्पीड़ित और त्रस्त कर रहे थे, तब भारत के वैदिक धर्म की पताका को लेकर जन्मे गुरु नानक देव जी ने सामाजिक क्रांति करते हुए भारतीयता को नवजीवन देने का महनीय कार्य किया था। विश्वबंधुत्व और मानवता के पुजारी […]
सनातन संस्कृति के रक्षक महर्षि दयानंद सनातन के रक्षक के रूप में महर्षि दयानंद जी का नाम बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्होंने सनातन धर्म और वैदिक सत्य सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए अनेक प्रकार के यत्न किए। जीवन को ज्ञान की भट्टी में तपाया और अपनी तपश्चर्या से जीवन और […]
सामान्यतया एक ऐसी धारणा हमारे देश में बनाई गई है कि ऋषि मनीषियों का धर्म और राजनीति से किसी प्रकार का मेल नहीं होता। जबकि सच यह है कि शस्त्र की धार जब कभी काल विशेष में हल्की पड़ी है तो शास्त्ररक्षकों ने उसे तेज करने में अपने दायित्व का निर्वाह किया है। समाज की […]
वैदिक हिंदू धर्म के रक्षक ऋषि देवल सामान्यतया एक ऐसी धारणा हमारे देश में बनाई गई है कि ऋषि मनीषियों का धर्म और राजनीति से किसी प्रकार का मेल नहीं होता। जबकि सच यह है कि शस्त्र की धार जब कभी काल विशेष में हल्की पड़ी है तो शास्त्ररक्षकों ने उसे तेज करने में अपने […]
भारत के प्राचीन चिकित्साशास्त्री : माधवकर भारत में दक्षिण की ओर पड़ने वाले आज के हैदराबाद राज्य में गोलकुंडा हीरों के लिए विशेष रूप से विख्यात है। इसी क्षेत्र को रामायण काल में किष्किंधा के नाम से जाना जाता था। किष्किन्धा का शाब्दिक अर्थ बंदरों का राज्य है’। यही वह क्षेत्र है जहां कभी राजा […]
भारत के महान चिकित्साविज्ञानी भाव मिश्र जब भारत के राजनीतिक गगन मंडल पर अनेक विदेशी आक्रमणकारियों के द्वारा आक्रमण कर भारत की राजनीतिक स्थिति को अत्यंत दुर्बल किया जा रहा था और भारत की राजनीतिक शक्ति उन विदेशी आक्रमणकारियों से लोहा ले रही थी, तब भी भारत की मेधा शक्ति मानवता की सेवा में लगी […]