ऋषि शरभंग के आश्रम के पश्चात श्री राम सुतीक्ष्ण ऋषि के आश्रम में पहुंचे। सायं काल को श्री राम ने संध्योपासन किया। तब महात्मा सुतीक्ष्ण ने सीता सहित राम लक्ष्मण को रात्रि में खाने योग्य पवित्र फल, मूल तथा अन्न आदि सत्कार पूर्वक स्वयं लाकर दिए। श्री राम ने आर्य वैदिक परंपरा का निर्वाह करते […]
श्रेणी: विश्वगुरू के रूप में भारत
श्री राम वन में रहते हुए सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ चित्रकूट से आगे के लिए प्रस्थान करते हैं। वाल्मीकि जी कहते हैं कि चित्रकूट में रहते हुए श्री राम जी इस बात का अनुभव रह रहकर कर रहे थे कि इस स्थान पर मेरा भाई भरत, मेरी माताएं और नगरवासी उपस्थित हुए […]
अगले दिन भरत जी के राज्याभिषेक की तैयारी का आदेश वशिष्ठ जी की ओर से जारी हुआ। विधि के अनुसार विद्वानों ने भरत जी का मंगल गान करना आरंभ कर दिया। जब भरत की को इसकी जानकारी मिली तो वह अत्यंत दु:खी हुए । उन्होंने स्वयं ने उस मंगलगान को रुकवा दिया। तब उन्होंने वशिष्ठ […]
जब रानी कैकेई ने हठ करते हुए अपने निर्णय से राजा दशरथ को अवगत कराया तो वह हतप्रभ रह गए। उन्हें जिस बात की आशंका थी, वही उनके सामने आ चुकी थी। इसके उपरांत भी कहीं ना कहीं वह मान रहे थे कि रानी इतनी निष्ठुर नहीं हो सकती, पर रानी ने सारी मर्यादाओं को […]
जिस समय रामचंद्र जी को युवराज बनाने का संकल्प उनके पिता दशरथ ने लिया, उस समय भरत अपने ननिहाल में थे। कई लोगों ने इस बात पर शंका व्यक्त की है कि जिस समय भरत ननिहाल में थे ,उसी समय राजा ने रामचंद्र जी को युवराज बनाने का संकल्प क्यों लिया? क्या राजा दशरथ को […]
अब अपने गुरु विश्वामित्र जी के साथ चलते हुए रामचंद्र जी अपने भाई लक्ष्मण के साथ जनकपुरी पहुंच गए। यहां पर गुरुवर विश्वामित्र जी को पता चला कि राजा जनक अपनी पुत्री सीता के विवाह को लेकर चिंतित हैं। उन्हें इस घटना की भी जानकारी हुई कि किस प्रकार सीता जी ने शिव जी के […]
प्रत्येक काल में राक्षस प्रवृत्ति के लोग साधुजनों का अपमान और तिरस्कार करते आए हैं। इसका कारण केवल एक होता है कि ऐसे राक्षस गण साधु जनों के स्वभाव से ईर्ष्या रखते हैं। लोग साधुजनों को सम्मान देते हैं और राक्षसों का तिरस्कार करते हैं, यह बात राक्षसों को कभी पसंद नहीं आती। रामचंद्र जी […]
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्म त्रेता काल में हुआ। विद्वानों की मान्यता है कि जिस समय दशरथनंदन श्री राम का जन्म हुआ, उस समय त्रेतायुग के एक लाख वर्ष शेष थे। इस प्रकार अबसे लगभग पौने दस लाख वर्ष पहले मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का आगमन हुआ। वह सद्गुणों के भंडार थे :- दशरथ […]
राम की मूर्ति से संवाद इस प्रकार की अनेक घटनाएं हैं जब रामचंद्र जी ने अपने पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए अधर्मी लोगों का विनाश किया। जब हम किसी मंदिर में जाएं और वहां पर रामचंद्र जी की मूर्ति को देखें तो उस मूर्ति से भी हमारा संवाद होना चाहिए। सचमुच वह हमसे बहुत कुछ […]
श्री राम का महासंकल्प रामचंद्र जी वनवास में जाते हैं तो वहां पर अनेक ऋषि उनके पास आकर उन्हें अपना दुख दर्द बताते हैं। वाल्मीकि जी उसे घटना का वर्णन करते हुए कहते हैं कि ‘धर्मात्मा ऋषियों का वह समूह धर्मधारियों में श्रेष्ठ श्री राम के पास जाकर बोला हे महारथी राम ! जैसे देवताओं […]