युद्ध में सारथी की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है । जहां युद्ध में योद्धा अपने प्रतिद्वंदी को मार गिराने की युक्तियां खोजता है, वहीं सारथी इस बात का भी ध्यान रखता है कि रथ को किस मोड़ पर खड़ा किया जाए ? कौन सी स्थिति ऐसी हो सकती है, जिससे मेरा महारथी अपने प्रतिद्वंद्वी पर […]
श्रेणी: विश्वगुरू के रूप में भारत
*आप तनिक कल्पना करें। एक नदी है। उस नदी के एक छोर पर एक विशाल टीला स्थित है। नदी बरसात की ऋतु में बार-बार उस टीले को काटने व मिटाने का प्रयास करती है। उसे एक चुनौती देती है और उसकी थोड़ी बहुत मिट्टी हर बार वर्षा ऋतु में अपने साथ बहाकर ले जाती है […]
रामचंद्र जी ने आज युद्ध का मोर्चा स्वयं संभाला हुआ था। वह नहीं चाहते थे कि आज भी लक्ष्मण इधर-उधर से आकर युद्ध में अपनी अहम भूमिका का निर्वाह करते हुए रावण वध के लिए अपने आप को झोंक दे। वे छोटे भाई को एक शक्ति के रूप में बचा कर रखना चाहते थे। उन्हें […]
रामचंद्र जी आज युद्ध का अंत कर देना चाहते थे । यही कारण था कि वह आज लंका के राजा रावण पर भीषण प्रहार कर रहे थे। आज उन्हें अपना परम शत्रु रावण ही दिखाई दे रहा था, जिसके कारण उस समय भयंकर विनाश हो चुका था। जितने भर भी लोग उस युद्ध में मारे […]
जब रामचंद्र जी के साथ सभी दिव्य शक्तियों के सहयोग और संयोग की बात की जाती है तो उसका अभिप्राय यह समझना चाहिए कि न्याय, धर्म और सत्य जिसके साथ होता है, उसके साथ परमपिता परमेश्वर की शक्ति आशीर्वाद के रूप में सदा साथ बनी रहती है। प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा सात्विक भाव के रूप […]
बांह पसारे राम ने, किया लखन सत्कार। गले लगाया प्यार से , सिर सूंघा कई बार।। लक्ष्मण जी की चोट को , सह न पाए राम । नि:श्वास लेने लगे , कहा – करो आराम ।। ( आज रामचंद्र जी के लिए बहुत ही कष्ट का समय था। उन्हें ऐसा लग रहा था कि उनके […]
रावण का एक-एक योद्धा संसार से विदा हो रहा था। अब उसके पास अपना सबसे बड़ा योद्धा उसका अहंकार ही शेष बचा था। यद्यपि इसी अहंकार ने उसके अनेक योद्धाओं का अंत करवा दिया था। उसके हरे-भरे देश को शवों का ढेर बना दिया था। अब ऐसी स्थिति आ चुकी थी, जिससे रावण पीछे हट […]
एक दिन निश्चय होत है, पापी का भी अंत। बचता नहीं अभिशाप से, देता है जब संत।। धर्म विरुद्ध जो भी चले, निश्चय पापी होय। फल कठोर उसको मिले, बचा ना पावे कोय।। न्याय चक्र चलता सदा, धर्म चक्र के साथ। वंश सदा ही डूबता , किया हो जिसने पाप।। विभीषण जी से सारी जानकारी […]
राक्षसी शक्तियां प्राचीन काल से ही युद्ध को येन- केन- प्रकारेण जीतने का प्रयास करती रही हैं। इसके लिए उन्होंने युद्ध में भी धर्म निभाने की भावना को पूर्णतया उपेक्षित किया। हमारे प्राचीन साहित्य में सकारात्मक या धर्म की रक्षा के लिए युद्ध लड़ने वाली शक्तियों के द्वारा कहीं पर भी मायावी या छद्म उपायों […]
विभीषण और हनुमान जी, लेकर हाथ मशाल । घूम रहे रणभूमि में , लाशें पड़ीं विशाल।। जामवंत भी हो गए , घायल थे गंभीर। विभीषण जी के साथ में, पहुंचे हनुमत वीर ।। जामवंत जी बहुत ही विद्वान व्यक्ति थे। वह विद्वान के साथ-साथ एक अच्छे-अच्छे चिकित्सक भी थे। उन्होंने रामचंद्र जी और लक्ष्मण जी […]