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विश्वगुरू के रूप में भारत

शिक्षा की गुरुकुलीय भारतीय परंपरा, जिसके चलते बना था भारत विश्वगुरु

  डॉ. ओमप्रकाश पांडेय लेखक अन्तरिक्ष विज्ञानी हैं। भारतीय परम्परा में वेद को ब्रह्माण्डीय ज्ञान के मूल स्रोत के रूप में स्वीकार करते हुए इसे ईश्वर का नि:श्वास ही माना गया है (यस्य नि:श्वसितं वेदा यो वेदोभ्योऽखिलं जगत्)। यद्यपि वेदों का प्रतिपाद्य विषय सार्वभौमिक उत्कृष्टता के समुच्चय से ही संबंधित है, जिसे देश या काल […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

राष्ट्रीय सौर कैलेंडर की उपेक्षा करने की दोषी सरकार भी है

  लेखिका:- लीना मेहेंदले (लेखिका सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी हैं) कितने लोगों को पता है कि राष्ट्रीय प्रतीकों की ही भांति देश की सरकार ने अपना एक कैलेंडर भी मान्य किया है, जोकि अपने देश की प्राचीन पंचांग परंपरा पर आधारित है। पंडित नेहरू द्वारा प्रसिद्ध विज्ञानी मेघनाद साहा के नेतृत्व में बनाई गई कैलेंडर समिति […]

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भारतीय संस्कृति विश्वगुरू के रूप में भारत

भारत की गौरवमयी और अनुपम रही है विज्ञान यात्रा

    राणा प्रताप शर्मा आदिकाल से ही हमारे देश में अनेक खोजें होती रहीं हैं। भारतीय गणित के इतिहास का शुभारंभ ऋग्वेद से होता है। आदिकाल (500ई.पू.) भारतीय गणित के इतिहास में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस काल में शून्य तथा ‘दाशमिक स्थानमानÓ पद्धति का आविष्कार गणित के क्षेत्र में भारत की यह निश्चित रूप […]

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इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

भारत के वैदिक गणित की यात्रा को शब्दों से भी समझा जा सकता है

  सुद्युम्न आचार्य शब्दों में भी अनेक प्रकार के परिवर्तन होते रहते हैं। ये शब्द समाज की वाणी से मुखरित होकर कालक्रमानुसार अनेक प्रकार के रूप धारण करते रहते हैं। कभी तो इनकी ध्वनियों में बदलाव हो जाता है। यह बदलाव इतना अधिक होता है कि वह समूचा शब्द नया रूप धारण कर लेता है। […]

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इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

सृष्टि के सभी रहस्यों से पूर्णतया परिचित थे हमारे भारतीय पूर्वज

  डॉ. ओमप्रकाश पांडे (लेखक अंतरिक्षविज्ञानी हैं।) सृष्टि विज्ञान के दो पहलू हैं। पहला पहलू है कि सृष्टि क्या है? आधुनिक विज्ञान यह मानता है कि आज से 13.7 अरब वर्ष पहले बिग बैंग यानी कि महाविस्फोट हुआ था। उसके बाद जब भौतिकी की रचना हुई, अर्थात्, पदार्थ में लंबाई, चौड़ाई और गोलाई आई, वहाँ […]

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इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

हिंदूमय रहा है अरब का अतीत

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 हिन्दू गौरव अभियान :- ————————– सऊदी अरब पर एक शोध- इन गुफ़ाओं के बारे में आपको जानकारी दी जाएं,इससे पहले सऊदी अरब की जानकारी आपको देनी जरूरी है जिससे हमारे तथ्य आपके विश्वास की कसौटी पर भी खरा उतरें; ●सऊदी अरब का नाम मात्र #अरब है,सऊदी नाम तो राजा का नाम था, अतः वही […]

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इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

प्राचीन काल में अरब वालों का धर्म क्या था?

  येरुश्लम ( ईज़राईल ) जिसको अरबी में “बैत् अल मुकद्दस” यानी कि पवित्र स्थान बोला जाता है । ईसाई, यहूदी और मुसलमान इसे पवित्र स्थान मानते हैं । जिसमें एक ८ लाख दिनार का एक पुस्तकालय है जो कि तुर्की के गवर्नर ने सुल्तान अब्दुल हमीद के नाम पर बनवाया था । # इस […]

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इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

प्राचीन भारत में होते थे गांव पूर्ण आत्मनिर्भर और एक स्वाधीन संस्था

राजशेखर व्यास भारतर्वा में ग्राम सभा का विकास बहुत पुराने जमाने में हो गया था। देश के अधिकांश भाग पर यही सभा अपना वर्चस्व रखती थी। इसकी शासन पद्धति बड़ी सुव्यवस्थित थी। वेद, ब्राह्मण और उपनिाद काल में गा्रम-सभा, उसके प्रमुख और अधिठाता का सम्मानपूर्वक उल्लेख है। ग्रामाध्यक्ष को वैदिक काल में ग्रामजी कहा जाता […]

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इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

भारतीय धातु परंपरा और लोक कल्याण की भावना

    आर.के.त्रिवेदी विश्व के कल्याण का भाव लेकर ही भारत में धातुकर्म विकसित हुआ था। धातुकर्म के कारण ही भारत में बड़ी संख्या में विभिन्न धातुओं के बर्तन बना करते थे जो पूरी दुनिया में निर्यात किए जाते थे। धातुकर्म विशेषकर लोहे पर भारत में काफी काम हुआ था। उस परम्परा के अवशेष आज […]

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इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

खेल खेल में ही सिखा दी जाती थी भारतीय परंपरा में युद्ध की विधाएं

  आनंद कुमार सन 1850 के दौर में जब अंग्रेजों को भयानक भारतीय प्रतिरोध का सामना करना पड़ा तो धीरे से उन्होंने एक आर्म्स एक्ट लागु कर दिया। इसका उन्हें फायदा ये हुआ कि भारतीय हथियार रखेंगे नहीं तो यहाँ कि शास्त्रों की परंपरा जाती रहेगी। फिर एक प्रशिक्षित सिपाही भी बिना प्रशिक्षण वाली सौ-दो […]

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