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विश्वगुरू के रूप में भारत

भास्कराचार्य : प्राचीन भारतीय गणितज्ञ

हमारे देश में ऐसे कई प्राचीन नगर रहे हैं जो अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए समकालीन विश्व में विख्यात थे। उनमें उज्जैन का नाम सर्वोपरि है। इसी उज्जैन की वेधशाला के प्रधान के रूप में काम करने वाले भास्कराचार्य भारत की महान धरोहर हैं। भास्कराचार्य का जन्म विद्वानों ने 1114 ई0 में माना है जबकि […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

भारत के महान वैज्ञानिक महर्षि कणाद

भारत ऋषि और कृषि का देश है। इसकी ऋषि परंपरा ने ऐसे अनेक महान वैज्ञानिक ,अनुसंधानकर्ता, बुद्धि की उत्कृष्टता में ढले हुए महापुरुष संसार को दिए हैं , जिनकी दिव्यकीर्ति से संसार आज तक आलोकित है। महर्षि कणाद भारत की ऋषि परंपरा की एक ऐसी ही दिव्य और भव्य महान विभूति हैं। जिनका जन्म गुजरात […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत संपादकीय

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़े और भारत की अर्थव्यवस्था

भारत अपनी जीवंतता का परिचय देते हुए निरंतर ऊंचाई की ओर अग्रसर है। कई क्षेत्रों में इस समय भारत विश्वगुरु के अपने दायित्व का निर्वाह करता हुआ दिखाई दे रहा है। राजनीतिक क्षेत्र में जहां भारत की शक्ति को संसार के बड़े से बड़े देश ने पहचाना है, वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष भी भारत को […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

भारत के उत्थान में विश्व का उत्थान निहित है

भारत वर्ष के इतिहास से संसार भर का अर्थात कभी के आर्यावर्त का संबंध है। भारतवर्ष से ही सभ्यता और संस्कृति का संचार समस्त संसार में हुआ। भारत संस्कारों का देश है। यही कारण है कि इसने संस्कृति पर बल दिया। जबकि संसार के अन्य देशों ने भारत की वैदिक संस्कृति के प्रतिगामी हवा चलाकर […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

अखंड भारत के गौरवपूर्ण इतिहास के कुछ तथ्य

#अखंड_भारत_का_इतिहास……. आज तक किसी भी इतिहास की पुस्तक में इस बात का उल्लेख नहीं मिलता की बीते 2500 सालों में हिंदुस्तान पर जो आक्रमण हुए उनमें किसी भी आक्रमणकारी ने अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया हो। अब यहां एक प्रश्न खड़ा होता है कि यह देश कैसे […]

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इतिहास के पन्नों से विश्वगुरू के रूप में भारत

भारतीय स्थापत्य शास्त्र रहा है दुनिया में बेजोड़

लेखक:- प्रशांत पोळ   किसी भी वस्तु की वारंटी अथवा गारंटी का अनुमान, हम सामान्य लोग कितना लगा सकते हैं? एक वर्ष… दो वर्ष… पांच वर्ष या दस वर्ष..? आजकल ‘लाइफ टाइम वारंटी’ बीस वर्ष की आती हैं. हमारी सोच इससे अधिक नहीं जाती. है ना? परन्तु निर्माण अथवा स्थापत्य क्षेत्र के प्राचीन भारतीय इंजीनियरों […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत स्वर्णिम इतिहास

हमारा श्रेय, जो हमसे छिन गया…

  लेखक:- प्रशांत पोळ हाल ही में एक समाचार पत्र में यह समाचार प्रकाशित हुआ था कि विभिन्न प्रकार की खोज और शोध के अनुसार हमारे पृथ्वी की आयु लगभग ४.५ बिलियन वर्ष आँकी गई है… अर्थात ४५४ करोड़ वर्ष. मजे की बात यह है कि हमारे पुराणों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है. […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत स्वर्णिम इतिहास

प्राचीन भारत में लौह स्तंभ का निर्माण

लेखक:- प्रशांत पोळ दक्षिण दिल्ली से मेहरोली की दिशा में जाते समय दूर से ही हमें ‘क़ुतुब मीनार’ दिखने लगती हैं. २३८ फीट ऊँची यह मीनार लगभग २३ मंजिल की इमारत के बराबर हैं. पूरी दुनिया में ईटों से बनी हुई यह सबसे ऊँची वास्तु हैं. दुनियाभर के पर्यटक यह मीनार देखने के लिए भारत […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

प्राचीन काल में भारत का उन्नत धातु शास्त्र

लेखक:- प्रशांत पोळ हमारे भारत में, जहां-जहां भी प्राचीन सभ्यता के प्रमाण मिले हैं (अर्थात नालन्दा, हडप्पा, मोहन जोदड़ो, तक्षशिला, धोलावीरा, सुरकोटड़ा, दायमाबाग, कालीबंगन इत्यादि), इन सभी स्थानों पर खुदाई में प्राप्त लोहा, तांबा, चाँदी, सीसा इत्यादि धातुओं की शुद्धता का प्रतिशत ९५% से लेकर ९९% है. यह कैसे संभव हुआ? आज से चार, साढ़े […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

भारतीय शिल्प कला : कला की सर्वोच्च अभिव्यक्ति

लेखक:- प्रशांत पोळ सन १९५७ की घटना है. उज्जैन में रहने वाले एवं पुरातत्व विषय के विश्व प्रसिध्द जानकार, डॉक्टर श्रीधर विष्णु वाकणकर, ट्रेन से दिल्ली से इटारसी प्रवास कर रहे थे. भोपाल स्टेशन निकलने के बाद उन्हें पहाड़ों के बीच कुछ विशेष फॉर्मेशन दिखाई दिए. डॉक्टर वाकणकर ने वे फॉर्मेशन तत्काल पहचान लिए, क्योंकि […]

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