‘निरुक्त’ और ‘निघंटु’ के रचयिता महर्षि यास्क भारत के ही नहीं विश्व के एक अद्भुत शब्दशास्त्री के रूप में प्रसिद्ध हैं। आजकल विद्यालयों के पाठ्यक्रम से यास्क आचार्य जैसे विद्वानों को बहुत दूर कर दिया गया है और भाषा को केवल अभिव्यक्ति का माध्यम मान लिया गया है। फिर चाहे वह कितनी ही गरिमाहीन और […]
श्रेणी: विश्वगुरू के रूप में भारत
संसार के सबसे पहले कवि महर्षि वाल्मीकि हैं। जिन्होंने रामायण जैसा ग्रंथ लिखकर अपने नाम को अमर किया। वैसे तो परमपिता परमेश्वर की वेद वाणी भी काव्यमय है, पर उस काव्यात्मक धारा को संसार में सबसे पहले आगे बढ़ाने का कार्य महर्षि वाल्मीकि ने किया। उन्हें किसी जाति विशेष से सिद्ध करके देखना उनके साथ […]
भारत के 6 दर्शनों में सांख्य दर्शन का विशिष्ट स्थान है। इसके रचनाकार कपिल मुनि जी हैं। सांख्य दर्शन का अध्ययन करने से इस महान ऋषि के चिंतन और चिंतन की पवित्रता का सही – सही पता चल जाता है। महाभारत जैसे ग्रंथ में इस महान ऋषि को सांख्य के वक्ता के रूप में स्थान […]
महात्मा बुद्ध के जीवन काल में जीवक नाम के एक महात्मा रहते थे। आयुर्वेद के महान ज्ञाता जीवक उस समय के एक महान चिकित्सक माने जाते थे। अनेक असाध्य रोगों की चिकित्सा उनके पास उपलब्ध थी। इसके उपरांत भी बड़ी बात यह थी कि धन, कोठी, कार, बंगला की उन्हें कोई किसी प्रकार की इच्छा […]
राजीव दीक्षित जी अपने वचनों में जिस ऋषि चिकित्सक का सबसे अधिक नाम लेते रहे हैं वे वाग्भट्ट (वाग्भट) रहे हैं। ऋषि वाग्भट्ट का मानना था कि मनुष्य शरीर में जितने भी रोग होते हैं उनमें से 85% ऐसे होते हैं जो बिना चिकित्सक के ही नष्ट हो सकते हैं। केवल 15% रोग ही ऐसे […]
कठोपनिषद में एक बहुत सुंदर आख्यान आया है। वहां पर उल्लेखित किया गया है कि एक बार वाजश्रवा के पुत्र उद्दालक आरुणि ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। बताया गया है कि ऋषि उद्दालक ने उस यज्ञ में अपना सारा धन दान में दे दिया था। ऋषि उद्दालक आरुणि के पुत्र का नाम नचिकेता […]
हमारे प्राचीन ऋषि प्रकृति की गोद में दूर जंगल में जाकर शान्त और एकांत स्थान पर अपना आश्रम बनाया करते थे । आश्रमों में बैठकर वह चराचर जगत के रहस्यों को खोजा करते थे। जीवन और जगत की समस्याओं पर गहन शोध किया करते थे। इसके साथ ही आत्मिक उन्नति करते हुए मानव किस प्रकार […]
व्याकरण के महान आचार्य पाणिनि व्याकरण के महान आचार्य के रूप में महर्षि पाणिनि का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। व्याकरण के क्षेत्र में उन्होंने जो कीर्तिमान स्थापित किया है उसे आज तक कोई लांघ नहीं पाया है। उनकी वैज्ञानिक वैयाकरण क्षमता के चलते यह बात भी पूर्णतया सिद्ध हो जाती है कि संसार […]
वर्तमान विश्व का कोई भी आविष्कार ऐसा नहीं है जिसकी जानकारी हमारे प्राचीन ऋषि वैज्ञानिकों को ना रही हो। वास्तव में वेद ज्ञान-विज्ञान के धर्म ग्रंथ हैं। एक षड़यंत्र के अंतर्गत वेदों को सांप्रदायिक ग्रंथ बनाने का प्रयास किया गया जो आज भी जारी है। यही कारण रहा कि वैदिक मत और वैदिक शिक्षा के […]
भारत के लोग अपने आप को सनातनधर्मी कहने और मानने में इसीलिए गर्व और गौरव की अनुभूति करते हैं कि उनका ज्ञान का खजाना शाश्वत है , सनातन है । वेदज्ञान जब सृष्टि दर सृष्टि चलता है तो इसका अर्थ यही है कि यह ज्ञान कभी समाप्त होने वाला नहीं है , यह कभी पुरातन […]