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विधि-कानून

अदालत का मारा ! कहां पनाह पाये ?

के. विक्रम राव आज एक खबर पढ़ी, इलाहाबाद हाईकोर्ट की बाबत। लुभावनी लगी। हृदयग्राही भी। मगर थी बड़ी पीड़ादायिनी । व्यथित हुआ। हाईकोर्ट का हाईटेक होना तो सुना था पर उसका अर्दली भी हाईटेक हो जाये ? अद्यतन बन जाए ! (हाईटेक का अर्थ हैं ऑक्सफोर्ड शब्दकोश के अनुसार : “अत्याधुनिक मशीनों, खासकर इलेक्ट्रॉनिक तथा […]

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अन्य विधि-कानून

गैर आरक्षित वर्ग एकजुट नहीं है, इसलिए राजनीतिक दलों को कोई परवाह नहीं है

योगेंद्र योगी आरक्षण बोतल का ऐसा जिन्न है, जिसे सभी राजनीतिक दल निकाल कर अपनी स्वार्थसिद्धी करना चाहते हैं। यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसके नुकसान-फायदे के बारे में कभी विचार नहीं किया जाता। विशेषकर देश और समाज को होने वाले नुकसान की किसी को चिंता नहीं है। आर्थिक आधार पर दिए गए आरक्षण के […]

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विधि-कानून

जजों की नियुक्ति ? अपनों ही द्वारा होना बेढंगा है

के. विक्रम राव एक वैधानिक संयोग हुआ। बड़ा विलक्षण भी ! दिल्ली में कल भारतीय संविधान की 73वीं सालगिरह की पूर्व संध्या पर शीर्ष न्यायपालिका तथा कार्यपालिका में खुला वैचारिक घर्षण दिखा। दो विभिन्न मंचों पर, विषय मगर एक ही था : “जजों की नियुक्ति-प्रक्रिया।” वर्तमान तथा भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश, दोनों ही अलग […]

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विधि-कानून

भारतीय संविधान : सत्य की विजय का उद्घोषक संविधान 

डॉ घनश्याम बादल आज संविधान दिवस है , 73 वर्ष पहले 26 नवम्बर 1949 को भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ ।  इस दिन की महत्ता को प्रतिपादित करने के लिए 2015 से संविधान दिवस मनाना शुरू हुआ । इससे पहले इसे राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था । भारतीय संविधान दुनिया […]

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विधि-कानून

न्यायपालिका में वंशवाद… कितनी गहरी हैं जड़ें

चन्द्र प्रकाश पाण्डेय सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के मौजूदा कोलेजियम सिस्टम पर अक्सर सवाल उठते हैं। आलोचक आरोप लगाते हैं कि नियुक्ति की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। नियुक्ति के दौरान इस बात को तवज्जो दी जाती है कि कैंडिडेट के बाप-दादा क्या थे। सुप्रीम कोर्ट में मौजूदा 27 जजों के […]

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मुद्दा राजनीति विधि-कानून

समान नागरिक संहिता: हिन्दू-हित या चुनावी प्रपंच

-शंकर शरण १८ नवंबर २०२२ उचित होगा कि संविधान के अनु. 30 के दायरे में देश के सभी समुदाय और हिस्से सम्मिलित किये जाएं।’’ वह मात्र एक पृष्ठ का, किन्तु अत्यंत मूल्यवान विधेयक था। यदि वही विधेयक हू-ब-हू फिर लाकर पास कर दिया जाए, तो राष्ट्रीय हित के लिए एक बड़ा काम हो जाएगा। उस […]

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विधि-कानून

आखिर 72 साल में भी चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का कानून क्यों नहीं बना?

-गौतम मोरारका भारत में चुनाव सुधारों पर लंबे समय से बहस चलती रही है लेकिन यह सुधार इसलिए नहीं हो पाये क्योंकि जिस संस्था पर चुनाव कराने की जिम्मेदारी है उसे कभी ज्यादा अधिकार दिये ही नहीं गये। यही नहीं, हर सरकार द्वारा अधिकारियों को चुनाव आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण पद पर उस समय नियुक्त किया […]

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आतंकवाद विधि-कानून

कुरान में नहीं लिखा हर नुक्कड़ पर मस्जिद हो: केरल हाईकोर्ट

प्रतीकात्मक फोटो/साभार: आज तक केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार (26 अगस्त 2022) को केरल के एक इलाके में नई मस्जिद बनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में कहा कि राज्य में पहले से ही कई मजहबी स्थल हैं जो कि राज्य की जनसंख्या के अनुपात से बहुत अधिक हैं। मीडिया […]

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विधि-कानून

रक्त संबंधों में अब उत्तर प्रदेश में हो सकेंगे 5000 के स्टांप पर बैनामे

अजय कुमार  स्वर्णिम भविष्य बनाने के लिए उसके सामने तमाम क्षेत्रों में रोजगार से लेकर व्यवसाय तक के अवसर खुले होते हैं। फिर आती है घर की जिम्मेदारी उठाने की समय यानी मां-बाप की सेवा करना और अपनी गृहस्थी बनाना। इस दुनिया में जो आया है, उसे जाना भी है। यह अटल सत्य है। मगर […]

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विधि-कानून

भारत की विधिक व्यवस्था में स्थानीय भाषा का औचित्य

पंकज जायसवाल अदालतें आम आदमी, विधायिका, न्यायिक प्रणाली और कार्यकारी शक्ति के बीच सामाजिक बंधन और विश्वास बढाती हैं। जब यह संतुलन बन जाता है, तो देश अपनेपन की भावना, विभिन्न हितधारकों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों और संविधान और इसकी प्रभावशीलता में विश्वास के साथ दृढ़ता से आगे बढ़ता है। “स्थानीय भाषा” सबसे शक्तिशाली स्तंभों […]

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