के. विक्रम राव एक वैधानिक संयोग हुआ। बड़ा विलक्षण भी ! दिल्ली में कल भारतीय संविधान की 73वीं सालगिरह की पूर्व संध्या पर शीर्ष न्यायपालिका तथा कार्यपालिका में खुला वैचारिक घर्षण दिखा। दो विभिन्न मंचों पर, विषय मगर एक ही था : “जजों की नियुक्ति-प्रक्रिया।” वर्तमान तथा भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश, दोनों ही अलग […]
श्रेणी: विधि-कानून
डॉ घनश्याम बादल आज संविधान दिवस है , 73 वर्ष पहले 26 नवम्बर 1949 को भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ । इस दिन की महत्ता को प्रतिपादित करने के लिए 2015 से संविधान दिवस मनाना शुरू हुआ । इससे पहले इसे राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था । भारतीय संविधान दुनिया […]
चन्द्र प्रकाश पाण्डेय सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के मौजूदा कोलेजियम सिस्टम पर अक्सर सवाल उठते हैं। आलोचक आरोप लगाते हैं कि नियुक्ति की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। नियुक्ति के दौरान इस बात को तवज्जो दी जाती है कि कैंडिडेट के बाप-दादा क्या थे। सुप्रीम कोर्ट में मौजूदा 27 जजों के […]
-शंकर शरण १८ नवंबर २०२२ उचित होगा कि संविधान के अनु. 30 के दायरे में देश के सभी समुदाय और हिस्से सम्मिलित किये जाएं।’’ वह मात्र एक पृष्ठ का, किन्तु अत्यंत मूल्यवान विधेयक था। यदि वही विधेयक हू-ब-हू फिर लाकर पास कर दिया जाए, तो राष्ट्रीय हित के लिए एक बड़ा काम हो जाएगा। उस […]
-गौतम मोरारका भारत में चुनाव सुधारों पर लंबे समय से बहस चलती रही है लेकिन यह सुधार इसलिए नहीं हो पाये क्योंकि जिस संस्था पर चुनाव कराने की जिम्मेदारी है उसे कभी ज्यादा अधिकार दिये ही नहीं गये। यही नहीं, हर सरकार द्वारा अधिकारियों को चुनाव आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण पद पर उस समय नियुक्त किया […]
प्रतीकात्मक फोटो/साभार: आज तक केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार (26 अगस्त 2022) को केरल के एक इलाके में नई मस्जिद बनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में कहा कि राज्य में पहले से ही कई मजहबी स्थल हैं जो कि राज्य की जनसंख्या के अनुपात से बहुत अधिक हैं। मीडिया […]
अजय कुमार स्वर्णिम भविष्य बनाने के लिए उसके सामने तमाम क्षेत्रों में रोजगार से लेकर व्यवसाय तक के अवसर खुले होते हैं। फिर आती है घर की जिम्मेदारी उठाने की समय यानी मां-बाप की सेवा करना और अपनी गृहस्थी बनाना। इस दुनिया में जो आया है, उसे जाना भी है। यह अटल सत्य है। मगर […]
पंकज जायसवाल अदालतें आम आदमी, विधायिका, न्यायिक प्रणाली और कार्यकारी शक्ति के बीच सामाजिक बंधन और विश्वास बढाती हैं। जब यह संतुलन बन जाता है, तो देश अपनेपन की भावना, विभिन्न हितधारकों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों और संविधान और इसकी प्रभावशीलता में विश्वास के साथ दृढ़ता से आगे बढ़ता है। “स्थानीय भाषा” सबसे शक्तिशाली स्तंभों […]
अवधेश कुमार यह निश्चित मानिए कि देश में नए सिरे से समान नागरिक संहिता की वैधानिक शुरुआत हो जाएगी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की समान नागरिक संहिता के लिए समिति बनाने की घोषणा कर ही चुके हैं। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि वह राज्य में समान नागरिक संहिता […]
अरुण कुमार सिंह दिल्ली के महरौली स्थित वह गुम्बदनुमा मकान, जो मनमोहन मलिक को 1947-48 में आवंटित किया गया था। अब वक्फ बोर्ड कह रहा है कि यह उसकी संपत्ति है। इस कारण मकान बंद पड़ा है हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका का निपटारा करते हुए कहा है कि बिना प्रमाण किसी […]