उनके अस्त्रशस्त्रों में अनेक प्रकार के यंत्र शामिल थे।तोप और बन्दूक यंत्र बनाने की विस्तारपूर्वक विधि शुक्र नीति अध्याय 4 में लिखी है।वहां बन्दूक और तोप दोनो का वर्णन है। बारूद बनाने और बारूद के द्वारा उनके चलाने का भी वर्णन है। बोलने वाली पुतलियां पुराने जमाने में ऐसा भी यंत्र पाया जाता था जो […]
श्रेणी: वैदिक संपत्ति
गतांक से आगे……… यहां हम थोड़ा सा उसका इतिहास देकर उसके विषय प्रतिपादन की ओर आना चाहते हैं। तिलक महोदय ने ‘ओरायन मृगशीर्ष’ ग्रंथ लिखने के पांच वर्ष बाद सन 1898 में उत्तरधु्रव निवास लिखा और उसका सारांश एक पत्र द्वारा मैक्समूलर के पास भेजा। पत्र के उत्तर में मैक्समूलर ने लिखा कि कितने ही […]
गतांक से आगे…. हमको, आपको, तिलक महाराज को और अन्य किसी को भी क्या अधिकार है किवह इन समयों को पहिली ही आवृत्ति का समझे? अर्थात वह यह क्यों समझ ले कि यह अवस्था केवल अभी हाल ही की आवृत्ति की है? हम ऊपर लिख चुके हैं, कि किसी जमाने में वसंतसंपात फाल्गुनी पूर्णिमा के […]
गतांक से आगे……ऋग्वेद में है कि-संवत्सरं शशयाना ब्राह्मण व्रतचारिण:।वाचं पर्जन्यजिन्वितां प्र मण्डूका अवादिषु:।।ब्राह्मणासो अतिरात्रे न सोमे सरो न पूर्णमभितो वदन्त:।संवतत्सरस्य तदह: परिष्ठ यन्मण्डूका: प्रावृषीण्र बभूव।।(ऋ 7/103/7)यहां स्पष्ट कहा गया है कि संवत्सर भर सोये हुए मण्डूक पर्जन्य पड़ते ही बोलने लगे, क्योंकि संवत्सरस्य तदह: अर्थात संवत्सर का वही दिन है। कहने का मतलब यह है […]
गतांक से आगे…. इन्हीं दोनों को ऋग्वेद 10 /14/11 में यौ ते श्वानौ यम रक्षितारौ चतुरक्षौ पथिरक्षी कहा गया है। ये श्वान सदैव द्विवचन में कहे गये हैं, जिससे ज्ञात होता है कि वे दो हैं। पर तिलक महोदय श्वान के विषय के जो चार प्रमाण देते हैं, उनमें सर्वत्र एक ही वचनवाला श्वान कहा […]
गतांक से आगे….. ये मिनट बढक़र दो हजार वर्ष में एक मास के बराबर हो जाते हैं। परिणाम यह होता है कि हर दो हजार वर्ष में वसंत सम्पात नाक्षत्र वर्ष से एक महीना पीछे हो जाता है। इसी कारण से कृत्तिकाकाल मृगशीर्षकाल और पुनर्वसुकाल से संबंध रखने वाले तीनों पंचांगों का वर्णन किया गया […]
गतांक से आगे….. ज्योतिष द्वारा स्थिर किया हुआ वेदों का समय अब तक दो आक्षेपों का उत्तर देते हुए दिखलाया गया है कि मिश्र की सभ्यता वेदों से पुरानी नही है और न वेदों में कोई ऐतिहासिक वर्णन ही है। उक्त दोनों आक्षेपों का जिनसे वेदों की आयु कायम की जाती है, संशोधन हो गया। […]
गतांक से आगे….. अति प्राचीन भाष्यकार भी वेदों में इतिहास मानते हैं। इस समय वेदों को छोडक़र शेष समस्त साहित्य में ब्राह्मण ग्रंथ और निरूक्त ही प्राचीन हंै। इन दोनों के देखने से विदित होता है कि अति प्राचीन काल में भी वेदों में इतिहास के मानने और न मानने वाले थे। गोपथ ब्राह्मण 2 […]
गतांक से आगे…..सृष्टि के यही लाखों पदार्थ अपने अपने गुणों और क्रियाओं से अपनी संज्ञा अर्थात अपना नाम आप ही आप चुनकर पुकारने लगते हैं और आज हम इन्हीं सब पदार्थों के व्यवहारों से उत्पन्न हुए लाखों शब्द बोलते हैं।यह मनुष्य बड़ा गंभीर है। इस वाक्य में बड़ा और गंभीर ये दोनों शब्द कहां से […]
गतांक से आगे….. कल्पना करो कि संसार में सबसे प्रथम आज एक विवाह हुआ। किंतु सवाल यह है कि उसी वक्त विवाह शब्द कहां से आ गया, जो इस पहलेपहल आज ही आरंभ होने वाले विवाह के लिए प्रकट किया गया? बात तो असल यह है कि विवाह तब से है जब से विवाह शब्द […]