गतांक से आगे… हम इसके पूर्व बदला आए हैं कि, आस्ट्रेलिया से लंका होते हुए विदेशियों का एक दल आकर मद्रासप्रांत में आबाद हो गया था। इस आगत दल का राजा रावण था। वह पंडित बहुत और योधा होते हुए भी दुराचारी था।वह इस देश में राज्यकामना से आया था, पर रामचंद्र के द्वारा युद्ध […]
श्रेणी: वैदिक संपत्ति
गतांक से आगे… हिंदुस्तान में आ जाने पर द्रविड़ों के साथ मेलजोल होने से उनकी गणना पच द्रविड़ो में हो गई । जहां नई बस्ती होती है, वहीं पर सब जातियों की वर्गाकार बस्ती बन सकती है ।इस तरह की पद्धतिवार बस्ती वाले गांव कोकण में ही है।इससे सिद्ध हो जाता है कि कोकणस्थ […]
पूनम नेगी (लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं।) कभी सोचा है कि क्यों रात को एक तय समय पर पलकें झपकने लगती हैं और सुबह एक तय समय पर खुद व खुद हमारी आंखें खुल जाती हैं। हम ही नहीं पशु-पक्षियों और वृक्ष-वनस्पतियों का जीवनक्रम भी एक सुनिश्चित प्राकृतिक लय के अनुरूप ही चलता है। यह […]
🛕 कौन कहता है आर्य समाज नया पंथ है? श्रीराम, श्री कृष्ण, भगवान परशुराम,आचार्य चाणक्य आदि हमारे पूर्वज प्रतिदिन जिन श्रेष्ठ कार्यों को करते थे हमारा समाज उन्हें भूल कर अंधविश्वास और कुरीतियों में फंस गया था। उन्हीं कुरीतियों से निकालकर पुनः राम-कृष्ण की परंपरा के पुनर्जागरण अभियान को ही आर्य समाज कहते हैं(आर्य=श्रेष्ठ तथा […]
ओ३म् =========== संसार में धर्म व नैतिकता विषयक अनेक ग्रन्थ हैं जिनका अपना-अपना महत्व है। इन सब ग्रन्थों की रचना व परम्परा का आरम्भ सृष्टि के आदिकाल में ही ईश्वर प्रदत्त वेदों का ज्ञान देने के बाद से हो गया था। सृष्टि को बने हुए 1.96 अरब वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। इस अवधि में […]
रामायण की प्रसिद्ध नगरिया जैसे अयोध्या, चित्रकूट, किष्किंधा इन सभी का बाद में क्या हुआ? ऐसा इसलिए ताकि हम भी यहूदियों की तरह खुद पर हुए अत्याचारों को याद रखे *1) #अयोध्या -* श्री राम और रघुवंशियो की राजधानी, सन 1270 में इस पर मुस्लिम आक्रमणकारी बाबर ने आक्रमण किया। बाबर ने अयोध्या के सभी […]
गतांक से आगे…. इन्द्रो मधैर्मधवा वृत्रहा भुवत्।(ऋ०१०/२3/२) वृत्रहणं पुरन्दरम्। (ऋ० ६/१६/१४) यो दस्योर्हन्ता स जनास इन्द्र:।(ऋ० २/१२/१०) अर्थात् इंद्र ही मधवा और वृत्र के मारनेवाला हुआ। वृत्र को मारने वाला ही पुरन्दर है और जो दस्यु को मारने वाला है, वही इन्द्र है । यह वृत्र और दस्यु शब्द एक ही पदार्थ के वाचक हैं। […]
वैदिक संपत्ति गतांक से आगे… द्वितीय खंड में हम लिख आए हैं कि आर्यों की उत्पत्ति हिमालय के ‘ मानस ‘ स्थान पर हुई।बहुत दिन तक आर्य लोग हिमालय पर ही रहे। संततिविस्तार के कारण उन्होंने हिमालय से नीचे उतर कर भूमि तलाश की। जिस रास्ते से वे आये उस रास्ते का नाम उन्होंने हरद्वार […]
दक्षिणी एशिया पर कुछ लिखने के पूर्व दक्षिण भारत में आबाद द्रविड़ जाति की उत्पत्ति का विवरण विस्तारपूर्वक हो जाना चाहिए। क्योंकि पाश्चात्यों और उनके द्वारा शिक्षा पाए हुए कतिपय एतद्देशीय विद्वानों का मत है कि भारतवर्ष के मूल निवासी कोल और द्रविड़ ही है। आर्य लोग तो यहां कहीं बाहर से आकर आबाद हुए […]
गतांक से आगे… इस शब्दसाम्य के अतिरिक्त, चाल्डिया की डैल्यूज टेबलेट अर्थात् मनु के तूफान की कथा भी ज्यों की त्यों यहां के अनुसार ही लिखी हुई मिलती है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि वे आर्य ही है। हम अभी फिनिशियावालों के वर्णन के साथ लिख आए हैं कि बेबीलोनिया में पणियों और चोलों […]