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वैदिक सम्पत्ति तृतीय खण्ड अध्याय -ईसाई और आर्यशास्त्र

गतांक से आगे… इस तरह से उस नवीन शिक्षक के द्वारा शिक्षा दिलाकर संसार को ईसाई धर्म के अनुकूल बनाने और सब धर्मों में ईसाइयत का शासन जमाने का उत्तम साधन किया गया । परन्तु पाप की नाव बहुत दिन तक नहीं चलती । भूतप्रेत दिखलानेवाले यंत्रों का भण्डाफोड़ खुद उसी आर्टिस्ट ने कर दिया […]

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वैदिक सम्पत्ति, तृतीय खण्ड : अध्याय – ईसाई और आर्यशास्त्र

गतांक से आगे….. हम पहिले ही लिख आए हैं कि, कोलब्रुक आदिकों ने वेदों को प्राप्त करना चाहा था, पर द्रविड़ो ने उन्हें ठग लिया और वेदों को न दिया। किंतु पादरियों ने सोचा कि लोभी द्रविडों को रुपया देकर बाइबिल के सिद्धांतों को संस्कृत में लिखवा कर एक वेद तैयार करना चाहिए। वही किया […]

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वैदिक सम्पत्ति : तृतीय खण्ड ,: यूरोप निवासी ईसाई और आर्य लोग

गतांक से आगे….. चौथी यूरोपनिवासिनी ईसाई जाती है, जिसने भारत में आकर आर्यों के रहे रहे विश्वासों को बदलने और वैदिक साहित्य के द्वारा अपने सिद्धांतों का प्रचार करने के लिए महान प्रयत्न किया हैं।यद्यपि ईसाई जाति ने इस देश को बहुत बड़ी हानि पहुंचाई है, परन्तु हम यहां वह सब नहीं लिखना चाहते हैं। […]

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वैदिक सम्पत्ति तृतीय – खण्ड , अध्याय -मुसलमान और आर्यशास्त्र

गतांक से आगे… जिस प्रकार कबीर साहब गुरु बन गए थे, उसी तरह अकबर बादशाह भी गुरु बनना चाहता था। उसने यह प्रसिद्ध कर दिया था कि, मैं पूर्व जन्म का हिंदू हूं और मेरा नाम मुकुन्द ब्रह्मचारी था। उसने मुकुन्द ब्रह्मचारी होने की पुष्टि में जो श्लोक बनाया था वह इस प्रकार है – […]

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वैदिक सम्पत्ति तृतीय – खण्ड अध्याय -मुसलमान और आर्यशास्त्र

गतांक से आगे… इसके आगे मुसलमानी धर्म में सब को लाने के लिए लिखा है कि- चीला छोड़ो न दीन का धांचा मत खाव, सुनो बटाऊ बाबरे मत भूल न जाव। सांचा दीन रसूल का सो तमे सही करिजाणों, जो कोई आवे दीन में उनको दीन में आणों।। अर्थात् हे मुसाफिर! सुन। भूलना नहीं, धोखा […]

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वैदिक सम्पत्ती तृतीय – खण्ड अध्याय – मुसलमान और आर्यशास्त्र

गतांक से आगे… खोजों के मुकदमे में इनके धर्म- प्रचार का जो ढंग जजों ने वर्णन किया है, वही तरीका इस विद्यालय की इस शिक्षाप्रणाली में पाया जाता है और इनका वही ढंग हम यहां भारत में भी देख रहे हैं। इन्होंने इस्लाम धर्म के प्रचार के लिए जो ग्रन्थरचना की है और हिन्दू बनकर […]

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वैदिक सम्पत्ती तृतीय – खण्ड अध्याय – मुसलमान और आर्यशास्त्र

गतांक से आगे… इन आगाखानी गुरुओं के पूर्वज बड़े ही चालाक थे। इन्होंने अपनी चालाकी से दूर-दूर तक अपने धर्म का प्रचार किया।इन्होंने मिश्रियों में, ईसाइयों में और दूसरे फिर्को में बड़ी ही चातुरी से प्रचार किया। इनकी प्रचार सम्बन्धी चालाकीयों का पता खोजों के एक मुकदमे का फैसला देखने से लगता है। यह फैसला […]

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वैदिक सम्पत्ति तृतीय – खण्ड अध्याय – मुसलमान और आर्यशास्त्र

गतांक से आगे…. इस तरह से मुसलमानों ने संस्कृत भाषा के द्वारा अपने भाव, अपने विचार और विश्वासों को हमारे भावों, विचारों और विश्वासों में भरा है और हमारी संस्कृति में क्षोभ पैदा कर दिया है इसी तरह उनके दूसरे दल ने गुरु बनकर और देसी भाषा में नये-नथे ग्रन्थ रचकर भी हिन्दुओं के विश्वासों […]

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वैदिक संपत्ति ; तृतीय खण्ड, अध्याय – मुसलमान और आर्यशास्त्र

गतांक से आगे… जिसको इन बातों के जाने की न तो फुर्सत है न जरूरत है, उसे नहीं मालूम कि हमारी वास्तविक दशा क्या है, हमारे प्राचीन वैदिक धर्म क्या है और हमारा प्राचीन आर्य आदर्श क्या है ? अभी गत पृष्ठों में हमने दो जातियों के द्वारा शास्त्रविध्वंस का वर्णन किया और दिखलाया दिया […]

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वैदिक संपत्ति (तृतीय – खण्ड) अध्याय – चितपावन और आर्य शास्त्र

गतांक से आगे…. जाली ग्रंथों के रचने का एक नमूना हमने खुद देखा है। उड़ीसा में आठगण नामी एक देसी राज्य है। वहां के राजा का नाम विश्वनाथ है। राजा साहब संस्कृत में कविता कर लेते हैं। उन्होंने व्यास के नाम से अपने गांव के महादेव का माहात्म्य वर्णन किया है और एक पुस्तक में […]

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