वैदिक सम्पत्ति गतांक से आगे … जिस समय गोत्र और शाखाप्रचार की धूम हो रही थी , उस समय एक एक वेद की अनेकों शाखाएँ हो गई थीं । मूल मन्त्रों की ज्यों की त्यों रक्षा करते हुए केवल मन्त्रों के उलट फेर से जितनी शाखाएँ हो सकती थीं , उतनी हुई । हम उन […]
वैदिक सम्पत्ति : गतांक से आगे …
