अथर्व वेद बहुत से लोगों का ख्याल है कि , अथर्ववेद ऋगादि तीनों वेदों के बाद बना है । वे अपने इस विचार की पुष्टि में दो दलीलें पेश करते हैं । वे कहते हैं कि , एक तो अनेकों जगह त्रयीविद्या का ही नाम आता है और ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद ही के […]
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वैदिक संपत्ति : वेद और ब्राह्मण
गतांक से आगे …. वेद और ब्राह्मण प्राचीन काल में वेद शब्द बड़े महत्व का समझा जाता था । जिस प्रकार शास्त्र शब्द किसी समय अनेक विषयों के लिए प्रयुक्त होने लगा था और धर्मशास्त्र , ज्योतिषशास्त्र आदि नामों से अनेकों विद्याएँ कही जाती थीं , जिस प्रकार किसी जमाने में सूत्रों का महत्व बढ़ा […]
गतांक से आगे…. इसके पूर्व तीन खण्डों में हमने वेदों की प्राचीनता , वेदों की अपौरुषेयता और वेदों की उपेक्षा पर प्रकाश डाला है । हमने यथाशक्ति यह दिखलाने का यत्न किया है कि , वेद अपौरुषेय और ईश्वरप्रदत्त हैं , अतः जब तक आर्यों ने उनके अनुकूल अपनी रहन – सहन , शिक्षा – […]
गतांक से आगे….. यहाँ तक हमने विदेशियों द्वारा नवीन सम्प्रदायों का प्रवर्तन और वैदिक साहित्य का विध्वंस दिखलाया । अब हम यह समस्त कथा यहीं पर समाप्त करते हैं । इतने ही वर्णन से अनुमान करने के लिए मौका न छोड़ना चाहिये और तुरन्त ही यह बात ध्यान में ले लेना चाहिये कि जब दीर्घकाल […]
गतांक से आगे…… हमने यहाँ तक यह थोड़ी सी किन्तु देर तक गौर करने योग्य बात ईसाइयों , ईसाई शासकों और ईसाई थियोसो फिस्ट की लिखी है । यह वर्तमान जमाने की बात है , जो सबके सामने है , तो भी कितनी पेंचदार है ? पढ़े लिखे हिन्दू , पारसी , मुसलमान आदि सभी […]
गतांक से आगे.. स्वामी विवेकानन्द की इस वक्तृता से स्पष्ट हो जाता है कि , थियोसोफिस्ट भारत का उत्कर्ष नहीं चाहते । उनका उद्देश्य तो संसार को ईसाई बनाना है । एनी बीसेंट सब धर्मावलम्बियों को थियोसोफी में केन्द्रित करके ईसा को संसार का धर्मगुरु मनवाने का यत्न करती हैं और कृष्णमूर्ति को ईसा का […]
गतांक से आगे… होमरूल लीग से पृथक् लो ० तिलक ने तो अपनी एक अलग संस्था निकाली । महात्मा गांधी भी कुछ काम करना ही चाहते थे और इसके लिए केवल देश का वातावरण ही देख रहे थे । इतने में हिंदू यूनिवर्सिटी का उत्सव हुआ । इसी में महात्मा गांधी के कार्य का भविष्य […]
गतांक से आगे… इस तरह से उस नवीन शिक्षक के द्वारा शिक्षा दिलाकर संसार को ईसाई धर्म के अनुकूल बनाने और सब धर्मों में ईसाइयत का शासन जमाने का उत्तम साधन किया गया । परन्तु पाप की नाव बहुत दिन तक नहीं चलती । भूतप्रेत दिखलानेवाले यंत्रों का भण्डाफोड़ खुद उसी आर्टिस्ट ने कर दिया […]
गतांक से आगे….. हम पहिले ही लिख आए हैं कि, कोलब्रुक आदिकों ने वेदों को प्राप्त करना चाहा था, पर द्रविड़ो ने उन्हें ठग लिया और वेदों को न दिया। किंतु पादरियों ने सोचा कि लोभी द्रविडों को रुपया देकर बाइबिल के सिद्धांतों को संस्कृत में लिखवा कर एक वेद तैयार करना चाहिए। वही किया […]
गतांक से आगे….. चौथी यूरोपनिवासिनी ईसाई जाती है, जिसने भारत में आकर आर्यों के रहे रहे विश्वासों को बदलने और वैदिक साहित्य के द्वारा अपने सिद्धांतों का प्रचार करने के लिए महान प्रयत्न किया हैं।यद्यपि ईसाई जाति ने इस देश को बहुत बड़ी हानि पहुंचाई है, परन्तु हम यहां वह सब नहीं लिखना चाहते हैं। […]