यह लेखमाला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की वैदिक सम्पत्ति नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। गतांक से आगे … कलियुग का वर्णन करते हुए महाभारत वनपर्व अध्याय ११० में लिखा है कि- ये यवान्ना जनपदा गोधूमात्रास्तथैव च । तान् देशान् संश्रयिष्यन्ति युगान्ते पर्युपस्थिते ।। अर्थात् जिन देशों […]
Category: वैदिक संपत्ति
(ये लेखमाला हम पं. रघुनंदन शर्मा जी की ‘वैदिक संपत्ति’ नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहें हैं) प्रस्तुतिः देवेन्द्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’) गतांक से आगे … दूसरे अन्न पशुओं को भी दिया जाता है, जिससे दूध और घृत की प्राप्ति होती है। तीसरे थोड़ा बहुत यज्ञशेषान प्रसाद […]
(ये लेखमाला हम पं. रघुनंदन शर्मा जी की ‘वैदिक संपत्ति’ नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहें हैं) प्रस्तुतिः देवेन्द्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’) गतांक से आगे … अर्थात् जहाँ जहाँ अन्न का वर्णन मिलता है, वहाँ -वहाँ सर्वत्र ही अन्न का तात्पर्य आहार ही है, अनाज नहीं। इसीलिए […]
वेदमंत्रो के उपदेश
(यह लेख माला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की पुस्तक वैदिक सम्पत्ति नामक से अपने सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) गतांक से आगे …. ऐसे आहार को आयों की परिभाषा में सात्त्विक आहार कहते हैं। सात्त्विक आहार का स्वरूप और प्रभाव वर्णन करते हुए भगवद्गीता में कृष्ण भगवान् कहते हैं कि- आयुः […]
(यह लेखमाला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की ‘वैदिक सम्पत्ति’ नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) प्रस्तुति देवेंद्र सिंह आर्य चेयरमेन उगता भारत गतांक से आगे .. यद्यपि संसार में सभी प्राणियों को अर्थ की आवश्यकता है, पर मनुष्य की अर्थसम्बन्धी आवश्यकता अन्य प्राणियों की अपेक्षा बहुत ही […]
(यह लेख माला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की पुस्तक वैदिक सम्पत्ति नामक से अपने सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) प्रस्तुति -देवेंद्र सिंह आर्य चैयरमेन- ‘उगता भारत’ गतांक से आगे …. आ र्यसभ्यता की प्रधान चार आधारशिलाओं में मोक्ष को ही भाँति अर्थ की भी प्रधानता है। अर्थ का ही दूसरा नाम […]
(यह लेख माला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की पुस्तक वैदिक सम्पत्ति नामक से अपने सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) प्रस्तुति -देवेंद्र सिंह आर्य चैयरमेन- ‘उगता भारत’ गतांक से आगे …. यदि गीता के कर्मयोग के अनुसार कर्म से ही मोक्ष हो जाता, तो कर्मयोग के उपदेश करनेवाले स्वयं कृष्ण ही क्यों […]
वैदिक संपत्ति- 350 जाति, आयु और भोग
(ये लेखमाला हम पं. रघुनंदन शर्मा जी की ‘वैदिक संपत्ति’ नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं) प्रस्तुतिः देवेन्द्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’) गतांक से आगे … इसी तरह बिना दुःखों को हटाए और बिना परमात्मा को प्राप्त किये आनन्द भी नहीं मिल सकता । न्यायशास्त्र मैं गौतम […]
(यह लेख माला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की पुस्तक वैदिक सम्पत्ति नामक से अपने सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) प्रस्तुति -देवेंद्र सिंह आर्य चैयरमेन- ‘उगता भारत’ गतांक से आगे …. हम देखते हैं कि संसार में जो कुछ सत् शिक्षा है, जो अध्ययन अध्यापन है और जो कुछ उपदेश है, वह […]
(यह लेख माला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की पुस्तक वैदिक सम्पत्ति नामक से अपने सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) प्रस्तुति -देवेंद्र सिंह आर्य चैयरमेन- ‘उगता भारत’ गतांक से आगे …. कि न्तु वैदिकों के मत से ये दोनों दलीलें जिज्ञासु को उलझन में डालकर मोक्ष के अनुदान ही से उपेक्षा दिलानेवाली […]