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वैदिक संपत्ति

वैदिक सम्पत्ति 265 – आर्य गृह, ग्राम और नगर

(ये लेखमाला हम पं. रघुनंदन शर्मा जी की ‘वैदिक सम्पत्ति’ नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहें हैं ) – प्रस्तुतिः देवेन्द्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’) गतांक से आगे …. अच्छे आर्यगृहों में दश छप्पर अर्थात् दश भिन्न भिन्न कमरे होते थे। इनमें पाँच अन्दर की ओर और पाँच […]

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वैदिक सम्पत्ति -264 आर्य गृह, ग्राम और नगर

(यह लेखमाला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की वैदिक सम्पत्ति नमक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) प्रस्तुति:- देवेंद्र सिंह आर्य चेयरमैन ‘उगता भारत’ सा दे सीधे, मिट्टी लकड़ी और घास के छोटे छोटे मकान झाड़ने और लीपने पोतने से नित्य पवित्र हो जाते हैं, परन्तु बड़े ऊंचे और […]

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वैदिक सम्पत्ति -263 आर्य गृह, ग्राम और नगर

( यह लेखमाला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की वैदिक सम्पत्ति नमक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) प्रस्तुति: – देवेंद्र सिंह आर्य चेयरमैन ‘उगता भारत’ गतांक से आगे … अर्थ की तीसरी शाखा गृह है। सर्दी गर्मी और वर्षा के कष्ट से बचने तथा अन्य सामाजिक कार्यों को […]

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आर्य वस्त्र और वेशभूषा, वैदिक सम्पत्ति – 262

ये लेखमाला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की वैदिक सम्पत्ति नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। गतांक से आगे … आ र्य सभ्यता में केशों की भाँति नाखूनों का भी बड़ा महत्व है। नाखूनों के द्वारा श्रम की इयत्ता अर्थात् मर्यादा और प्रकार अर्थात् विधि से सम्बन्ध रखनेवाली […]

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वैदिक सम्पत्ति 261 – आर्य वस्त्र और वेशभूषा

(ये लेखमाला हम पं. रघुनंदन शर्मा जी की ‘वैदिक सम्पत्ति’ नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहें हैं) प्रस्तुतिः – देवेन्द्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत) गतांक से आगे …. राजा के लिए लिखा है कि- शिरो मे श्रीर्यशो मुखं त्विषिः केशाश्च श्मश्रूणि । राजा मे प्राणो अमृत सम्राट् चक्षुविराट् […]

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वैदिक सम्पत्ति 260 – आर्य वस्त्र और वेशभूषा

(ये लेखमाला हम पं. रघुनंदन शर्मा जी की ‘वैदिक सम्पत्ति’ नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहें हैं) गताक से आगे .. वर्तमान समय में वस्त्रों के अनेकों तर्ज और फैशनों से भले आदमी कहलानेवाले गृहस्थों को कितना कष्ट हो रहा है, यह किसी समझदार आदमी से छिपा नहीं है। […]

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वैदिक सम्पत्ति – 259 : वैदिक आर्यों की सभ्यता

(यह लेख वाला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की वैदिक सम्पत्ति नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं।) आर्य वस्त्र और वेशभूषा गतांक से आगे … अर्थ में भोजन के बाद दूसरा नम्बर वस्त्रों का है। भोजन की तरह आर्य सभ्यता में वस्त्रों पर भी विशेष प्रकाश डाला गया […]

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वैदिक सम्पत्ति – 257.. वेद मित्रों के उपदेश

यह लेखमाला हम पंडित रघुनंदन शर्मा जी की वैदिक सम्पत्ति नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। गतांक से आगे … कलियुग का वर्णन करते हुए महाभारत वनपर्व अध्याय ११० में लिखा है कि- ये यवान्ना जनपदा गोधूमात्रास्तथैव च । तान् देशान् संश्रयिष्यन्ति युगान्ते पर्युपस्थिते ।। अर्थात् जिन देशों […]

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वैदिक संपत्ति – 256, वेदमंत्रों के उपदेश

(ये लेखमाला हम पं. रघुनंदन शर्मा जी की ‘वैदिक संपत्ति’ नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहें हैं) प्रस्तुतिः देवेन्द्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’) गतांक से आगे … दूसरे अन्न पशुओं को भी दिया जाता है, जिससे दूध और घृत की प्राप्ति होती है। तीसरे थोड़ा बहुत यज्ञशेषान प्रसाद […]

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वैदिक संपत्ति 255, वेदमंत्रों के उपदेश

(ये लेखमाला हम पं. रघुनंदन शर्मा जी की ‘वैदिक संपत्ति’ नामक पुस्तक के आधार पर सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहें हैं) प्रस्तुतिः देवेन्द्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’) गतांक से आगे … अर्थात् जहाँ जहाँ अन्न का वर्णन मिलता है, वहाँ -वहाँ सर्वत्र ही अन्न का तात्पर्य आहार ही है, अनाज नहीं। इसीलिए […]

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