प्रस्तुति – देवेंद्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’ समाचार पत्र) पिछले दिनों देश में घर वापसी की काफी चर्चा हुई है। यह चर्चा शुरू हुई आगरा में कुछ मुस्लिम परिवारों को वापस सनातन मत में लाने के एक कार्यक्रम से। घर वापसी किए एक व्यक्ति ने लालच दिए जाने की बात कह दी और हंगामा […]
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ओ३म् वैदिक धर्म एवं संस्कृति के उन्नयन में स्वामी श्रद्धानन्द जी का महान योगदान है। उन्होंने अपना सारा जीवन इस कार्य के लिए समर्पित किया था। वैदिक धर्म के सभी सिद्धान्तों को उन्होंने अपने जीवन में धारण किया था। देश भक्ति से सराबोर वह विश्व की प्रथम धर्म-संस्कृति के मूल आधार ईश्वरीय ज्ञान ‘‘वेद” के […]
जजमानी व्यवस्था बनाम बाजार
जजमानी व्यवस्था बनाम बाजार “मतोली कोंहार खांचा भर दियली, कोसा, घंटी, खिलौना, गुल्लक लिए दरवाजे बइठे हैं। बच्चों की रूचि बार बार घंटी बजाने और मिटटी के खिलौनों को देखने और छूने में है। बीच बीच में मतोली डपट लगाते जा रहे हां हां गदेला लोगन खेलौना जादा छू छा जिनि करा टूटि जाये । […]
दिए गए वचन को पूरा करो रामचंद्र जी के बारे में हरिओम पवार जी की कविता की ये पंक्तियां बड़ी सार्थक हैं :- “राम हमारे गौरव के प्रतिमान हैं, राम हमारे भारत की पहचान हैं, राम हमारे घट-घट के भगवान हैं, राम हमारी पूजा हैं अरमान हैं, राम हमारे अंतरमन के प्राण हैं, मंदिर-मस्जिद पूजा […]
लेखकीय निवेदन भारत और भारतीय संस्कृति के विषय में कवि की कितनी सुंदर और सार्थक पंक्तियां हैं :— ज्ञान ही हमने दिया था ज्ञान का भंडार भारत। आज के इस विश्व का भी है अमर आधार भारत।। है अमित सामर्थ्य तुझ में मत किसी से याचना कर। अरे साधक साधना कर ! अरे साधक साधना […]
ललित गर्ग देश में किसान आन्दोलन हो या ऐसे ही अन्य राजनैतिक आन्दोलन, उनमें हिंसा का होना गहन चिन्ता का कारण बना है। हिंसा और आतंकवाद की स्थितियों ने जीवन में अस्थिरता एवं भय व्याप्त कर रखा है। अहिंसा की इस पवित्र भारत भूमि में हिंसा का तांडव सोचनीय है। अहिंसा ताकतवरों का हथियार है। […]
गणित पढ़िए मैथेमेटिक्स छोड़िये
वह दिन अब दूर नहीं जब अंक गणना लेखन में एक इकाई ,दो इकाई, को लिखने पढ़ने समझने वाले चुनिंदा व्यक्ति रहेंगे। दो एकम दो ,दो दूनी चार नहीं। टू वन जा टू टू टू जा फोर” हो गया है कितनी आसानी से हमने यह कर दिया लेकिन यूनान रोम यूरोप को हजारों वर्ष लग […]
किसान खोल में गुंडे और देशद्रोहियों को हिंसा की छूट क्यों मिली है ? *विष्णुगुप्त* अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार की तथाकथित किसान आंदोलन के प्रति नरम नीति काल बन रही है, देश की सुरक्षा, मानवता की सुरक्षा, निर्दोष लोगों की जान की सुरक्षा पर आंच आ रही है, आने-जाने के अधिकार का हनन […]
ललित गर्ग आंदोलन से उपजी समस्याओं से सुप्रीम कोर्ट भी अवगत है, लेकिन समझना कठिन है कि वह कोई फैसला सुनाने से क्यों बच रहा है? वह न तो किसान संगठनों की ओर से सड़कों को बाधित किए जाने का संज्ञान ले रहा है और न ही कृषि कानूनों की समीक्षा करने वाली समिति की […]
ललित गर्ग आचार्य विनोबा भावे ने अंग्रेजी शिक्षा के स्थान पर भारतीय मूल्यों के अनुरूप शिक्षा देने की आवश्यकता को महसूस किया, लेकिन उनके सुझाव एवं विचारों को अनसूना किया गया। इतना ही नहीं देश की शिक्षा उन लोगों के हाथों में सौंपी जो अंग्रेजी मानसिकता से ग्रस्त थे। भारत को विश्वगुरु का दर्जा दिलाने […]