डाॅ. कृष्णगोपाल मिश्र माँ शब्दकोश का ही नहीं अपितु जीवन के वाड्मय का भी सबसे प्यारा शब्द है। शिशु के मुख से सबसे पहले यही एकाक्षरी शब्द फूटता है। यद्यपि माँ के अतिरिक्त माता, माई, अम्मा, जननी, मैया आदि कितने ही शब्द इस अर्थ में प्राप्त होते हैं, किंतु माँ शब्द में जो महिमा है […]
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उगता भारत ब्यूरो परमात्मा को अनेक रूपों में पूजा जाता है। कोई ईश्वर की आराधना मूर्ति रूप में करता है, कोई अग्नि रूप में तो कोई निराकार! परमात्मा के बारे में सभी की अवधारणाएं भिन्न हैं, लेकिन ईश्वर व्यक्ति के हृदय में शक्ति स्रोत और पथ-प्रदर्शक के रूप में बसा है। जैसे दही मथने से […]
उगता भारत ब्यूरो दक्षिण भारत के विजयनगर (इसकी राजधानी कर्नाटक के हम्पी के नजदीक थी) के प्रसिद्ध राजाओं (1336-1564) ने सिंचाई की सुविधाओं को विकसित करने पर काफी जोर दिया। वे इसे खेती में सुधार के लिए जरूरी मानते थे। विजयनगर के शासकों में सबसे प्रसिद्ध और निपुण राजा कृष्णदेव राय (1509-1530) ने एक बार […]
उदय माहुरकर स्वातंत्र्यवीर सावरकर वह राष्ट्रवादी विभूति थे जिन्होंने आजादी के बाद के कालखण्ड में समाज को एकजुट रखने में भरपूर योगदान दिया। आज आवश्यकता है उनके दीर्घकालिक और तार्किक राष्ट्रवाद के प्रकाश में भीमा-कोरेगांव, जातिवादी दंगों और पत्थर गढ़ी जैसी घटनाओं पर रोक लगाई जाए और उन्हें झूठे प्रचार के जरिए नीचा दिखाए जाने […]
मोतीलाल नेहरू (बाएँ) जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गाँधी (दाएँ) आज भाजपा और मोदी विरोधी किस मुंह से समाजवाद और धर्म-निरपेक्षता की बात करते हैं, अपने इतिहास को नहीं छुपा कर रख जनता को गुमराह किया जाता रहा है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और राष्ट्रपिता महात्मा को भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य […]
उगता भारत ब्यूरो ब्रह्माण्ड (Universe) और मानव मस्तिष्क (Human brain) की तुलना करने पर शोधकर्ताओं ने पाया है कि दोनों में कई तरह की समानताएं हैं. शोध मे पता चला है कि ब्रह्माण्ड (Universe) और दिमाग (Brain) की संचरना में कई तरह की समानता है। ब्रह्माण्ड (Universe) का कितना विशाल है यह हमारे वैज्ञानिक सुनिश्चित […]
एक गुरु के दो शिष्य थे। दोनों लम्बे समय से गुरु के निर्देशन में साधना करते आ रहे थे। एक बार दोनों ने अपने गुरु से दीक्षा देकर सन्यासी बनाने का आग्रह किया। गुरु ने कहा उचित ठीक है आप दोनों को कल दीक्षा देंगे। आप दोनों कल नदी पर स्नान कर नवीन वस्त्र धारण […]
ललित गर्ग मुनव्वर फारूकी का समर्थन करने वाले भारत के गौरव को कुचलने की चेष्टाओं का एक तरह से समर्थन कर रहे हैं। प्रश्न है कि फारूकी या किसी भी कॉमेडियन, कलाकार, पत्रकार या आम नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर राष्ट्रीय अस्मिता को बदनाम करने की आजादी कैसे दी जा सकती है? […]
#डॉविवेकआर्य इतिहास की छठी कक्षा की पुस्तक को उठा कर देखे तो उसमें लिखा मिलेगा की आर्य लोग बाहर से इस देश में आये और उन्होंने इस देश में रह रहे मूल निवासियों जैसे द्रविड़, कोल, संथाल जिन्हें दस्यु या दास कहा जाता था उन्हें युद्ध में हरा दिया ,उनकी बस्तियों का विध्वंस कर दिया […]
आर्यसमाज के सौ वर्ष और हरयाणा में उसका प्रभाव लेखक – प्रो. प्रकाशवीर विद्यालंकार अध्यक्ष संस्कृत विभाग राजकीय महिला महाविद्यालय रोहतक प्रस्तुतकर्ता :- आर्य सागर खारी राजनैतिक क्षेत्र में सामाजिक क्षेत्र में धार्मिक क्षेत्र में सांस्कृतिक व शैक्षणिक क्षेत्र में । आर्य समाज की स्थापना दस अप्रैल १८७५ को महर्षि दयानन्द के करकमलों द्वारा बम्बई […]