भारत में किलों का इतिहास उतना ही पुराना है जितना उन्नत वैदिक संस्कृति का इतिहास पुराना है। जब मनुष्य ने जंगली जानवरों से अपनी रक्षा के लिए बाड़ लगानी सीखी थी तो वह मध्यकालीन उन्नत शैली में बने किलों की पहली पीढ़ी थी । उसके बाद जब समाज में कुछ असामाजिक तत्वों ने मुख्यधारा […]
श्रेणी: स्वर्णिम इतिहास
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 १८ जून/इतिहास-स्मृति १८जून,१५७६ को सूर्य प्रतिदिन की भाँति उदित हुआ; पर वह उस दिन कुछ अधिक लाल दिखायी दे रहा था। चूँकि उस दिन हल्दीघाटी में खून की होली खेली जाने वाली थी।एक ओर लोसिंग में अपने प्रिय चेतक पर सवार हिन्दुआ सूर्य महाराणा प्रताप देश की स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए डटे […]
टीम रोशनदान हमारे प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों और ऋषि-मुनियों ने कुछ ऐसे आविष्कार किए हैं जिनके बल पर आज के आधुनिक विज्ञान और यहाँ तक की दुनिया का चेहरा भी बदल गया है। जरा सोचिए शून्य (0) नहीं होता तो क्या हम गणित की कल्पना कर सकते थे? दशमलव नहीं होता तो क्या होता? इसी तरह […]
1001 ई0 से लेकर 1025 ई0 तक महमूद गजनवी ने भारतवर्ष को लूटने की दृष्टि से 17 बार आक्रमण किया तथा मथुरा, थानेसर, कन्नौज व सोमनाथ के अति समृद्ध मंदिरों को लूटने में सफल रहा। सोमनाथ की लड़ाई में उसके साथ उसके भान्जे सैयद सालार मसूद गाजी ने भी भाग लिया था। 1030 ई. में […]
… अपने जन्म के कुछ ही वर्षों के भीतर फारस सहित भारत पर ज़िहादी आक्रमण करने वाला इस्लाम 500 वर्षों से भी अधिक पुराना हो चला है किन्तु उसमें सहिष्णुता के चिह्न लेश भर नहीं हैं। भारत को दारुल इस्लाम बनाने के लिये एक ओर असि अत्याचार है तो दूसरी ओर आक्रान्ता ग़ोरी के […]
अजेय रहा है कुंभलगढ़ का किला कुम्भलगढ़ का दुर्ग भारत के गौरवशाली इतिहास को अपने अंक में समाहित करने वाले महान किलों में से एक है । इसका गौरवशाली इतिहास भारत के स्वर्णिम इतिहास एक उज्ज्वल पृष्ठ है। विदेशी तुर्क आक्रमणकारियों से भारत की स्वाधीनता के लिए संघर्ष करने की कहानी की साक्षी देता यह […]
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 जो राष्ट्र पूरे विश्व का गुरु है, उसका इतिहास जानिए:-‘भारतीय ऐतिहासिक कालानुक्रम'(क्रोनोलॉज़ी) मेरे सर्वाधिक प्रिय विषयों में से है और विगत डेढ़ दशक से मैं इस विषय पर अन्वेषण और लेखन-कार्य कर रहा हूँ।इस सन्दर्भ में सन् २००९ में मेरी पुस्तक ‘भगवान् बुद्ध और उनकी इतिहाससम्मत तिथि’ इलाहाबाद से प्रकाशित हुई थी जिसका विद्वज्जगत् […]
अकबर के नौरत्नों से इतिहास भर दिया पर महाराजा विक्रमादित्य के नवरत्नों की कोई चर्चा पाठ्यपुस्तकों में नहीं है । जबकि सत्य यह है कि अकबर को महान सिद्ध करने के लिए महाराजा विक्रमादित्य की नकल करके कुछ धूर्तों ने इतिहास में लिख दिया कि अकबर के भी नौ रत्न थे । राजा विक्रमादित्य के […]
वैदिक काल में तोप व बन्दूक लेखक- वैदिक गवेषक आचार्य शिवपूजनसिंहजी कुशवाहा ‘पथिक’, विद्यावाचस्पति, साहित्यालंकार, सिद्धान्तवाचस्पति प्रस्तोता- प्रियांशु सेठ वैदिक काल में आर्यों की सभ्यता अत्यन्त उन्नति के शिखर पर थी। वेदों में सम्पूर्ण विज्ञानों का मूल प्राप्त होता है। वैदिक काल में ‘तोप’ व ‘बन्दूक’ का प्रचार था कि नहीं? देखिये इस विषय में […]
रतन सिंह शेखावत कुम्भलगढ़ राजस्थान ही नहीं भारत के सभी दुर्गों में विशिष्ठ स्थान रखता है उदयपुर से ७० कम दूर समुद्र तल से 1087 मीटर ऊँचा और 30 km व्यास में फैला यह दुर्ग मेवाड़ के यश्वी महाराणा कुम्भा की सुझबुझ व प्रतिभा का अनुपम स्मारक है | इस दुर्ग का निर्माण सम्राट अशोक […]