राणा उदयसिंह हमारे एक ऐसे इतिहास नायक हैं जिनके साथ अभी तक अन्याय ही होता रहा है । बहुत बहादुर , देशभक्त , वीर स्वतंत्रता सेनानी होने के उपरांत भी उन्हें इतिहास में वह स्थान नहीं मिला है जो उन्हें मिलना चाहिए था । वे मेवाड़ के राणा साँगा के पुत्र और महाराणा प्रताप के […]
Category: स्वर्णिम इतिहास
अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व समर्पण करने वाले देशभक्तों से भारत का इतिहास पटा पड़ा है । यहां पर अनेकों ऐसे ‘दधीचि’ हुए हैं जिन्होंने समय आने पर सहर्ष अपनी अस्थियों का दान लोककल्याण और देश व धर्म की रक्षा के लिए कर दिया । ऐसे ही देशभक्तों में से एक हैं […]
वैदिक सृष्टि संवत के शुभ आगमन पर
आज प्रातः कालीन की बेला में आपको मेरा सादर नमस्कार व सुप्रभात । नव संवत्सर 2077 के शुभ अवसर पर आपके लिए आपके परिवार के लिए सभी इष्ट मित्र और बंधु बंधुओं के लिए बहुत-बहुत बधाइयां एवं शुभकामनाएं। जिस प्रकार से देश में और विश्व में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ा है इसमें आप और […]
सभी मतावलंबियों को एक मंच पर आकर देश के लिए काम करने का आवाहन करने वाले महर्षि पहले व्यक्ति थे 1857 की क्रांति के 20 वर्ष पश्चात दिल्ली में एक दरबार का आयोजन 1877 में किया गया। महर्षि दयानंद ने 1857 की क्रांति के समय रह गई चूकों को दूर करने के उद्देश्य से 1877 […]
17 मार्च 1527 को हुए खानवा युद्ध के महानायक महाराणा संग्राम सिंह की स्मृति में एक बार राणा सांगा अपने प्राणों को संकट में फंसा देखकर भागे जा रहे थे । उनका जयमल से युद्ध हो रहा था। जयमल भी राणा का पीछा करता जा रहा था। वह पीछे पीछे था और राणा सांगा आगे […]
मुगल बादशाह बाबर के पश्चात उसका साम्राज्य कई भागों में विभक्त हो गया था। उसका एक लड़का कामरान था। जिसने अपनी राजधानी लाहौर और काबुल में बना रखी थी । उसने अपने शासनकाल में एक बार राजस्थान की ओर अपने साम्राज्य का विस्तार करने का विचार किया । इसके लिए कामरान ने एक विशाल सेना […]
मध्यकाल में अपनी सुरक्षा के लिए बड़े-बड़े किले बनाने और उन किलों की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान देने की परंपरा का तेजी से प्रचलन हुआ। क्योंकि युद्ध और एक दूसरे को समाप्त कर उसके धन व राज्य पर अपना अधिकार स्थापित करना इस काल की विशेषता बन गई थी। इसलिए लोग किलों के दरवाजों […]
बात 1660 ईस्वी की है। जब शिवाजी महाराज पन्हाला किले में डेरा डाले पड़े थे । उनके बारे में यह जानकारी मिलने पर कि वह इस समय पन्हाला किले में हैं ,अली आदिलशाह ने अपनी एक सेना जनरल सिद्धि जौहर के नेतृत्व में शिवाजी को पकड़ने के लिए भेजी। सिद्धि जौहर ने पन्हाला किले को […]
प्राचीन अरबी काव्य-संग्रह ‘शायर-उल्-ओकुल’ में एक महत्त्वपूर्ण कविता है। इस कविता का रचयिता ‘लबी-बिन-ए-अख़्तर-बिन-ए-तुर्फा’ है। यह मुहम्मद साहब से लगभग 2300 वर्ष पूर्व (18वीं शती ई.पू.) हुआ था । इतने लम्बे समय पूर्व भी लबी ने वेदों की अनूठी काव्यमय प्रशंसा की है तथा प्रत्येक वेद का अलग-अलग नामोच्चार किया है— ‘अया मुबारेक़ल अरज़ युशैये […]
भारत के पुराण इतिहास की घटनाओं के बारे में हमें अच्छी जानकारी देते हैं । पुराणों के अनुसार धरती के सात द्वीप थे- जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौंच, शाक एवं पुष्कर। इसमें से जम्बू द्वीप जिसे आजकल हम यूरेशिया के नाम से जानते हैं , इन सबके मध्य स्थित था। एक समय था जब इस […]