महाभारत जैसा महान ग्रंथ क्यों लिखा गया ? इसका महत्व क्या है ? इसका अर्थ क्या है ? यह प्रश्न अक्सर आपके मन मस्तिष्क में उठते रहते होंगे । यदि इन् प्रश्नों का उत्तर खोजा जाए तो महाभारत के अन्त में महाभारत का महत्व और उपसंहार करते हुए इस पर प्रकाश डाला गया है। जिसमें […]
श्रेणी: स्वर्णिम इतिहास
इतिहास का महानायक नागभट्ट द्वितीय जिसने अब से 1200 वर्ष पहले कराई थी ‘घर वापसी’ और जिसके भय से मुसलमानों ने बसाया था शहरे महफूज मिहिर भोज के ग्वालियर अभिलेख में नागभट्ट द्वितीय की मुसलमानों पर प्राप्त की गई विजय का उल्लेख किया गया है । जिससे यह भी पता चलता है कि मुसलमानों के […]
भारत के विषय में अक्सर यह कहा जाता है कि यह वह देश है जिसने कभी दूसरे देश की संप्रभुता को हड़पने या समाप्त करने के उद्देश्य से हमला नहीं किया । यह बात तो सही है परंतु इसे कुछ इस प्रकार प्रस्तुत किया जाता है जैसे भारत को हर स्थिति परिस्थिति में मौन साधे […]
सोमनाथ मंदिर के लिए बलिदान देने वाले वे बलिदानी : जिनके लिए न फूल चढ़े न दीप चले सोमनाथ मंदिर की जीत को महमूद गजनवी के पक्ष में कुछ इस प्रकार दिखाया जाता है कि जैसे उसके जाते ही पाला उसी के पक्ष में हो गया था । वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं था […]
यूनान देश के यवना लोगों का हिरैक्लीज’ नाम का एक देवता रहा है। जिसकी वह लंबे समय से पूजा करते रहे हैं । कौन था यह हिरैक्लीज ? यदि इस पर विचार किया जाए तो पता चलता है कि इस नाम का देवता विश्व के सबसे अधिक बलशाली व ज्ञान सम्पन्न श्रीकृष्ण जी ही थे। […]
आज सही 101 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं अमृतसर के जलियांवाला बाग के हत्याकाण्ड की घटना को । 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन ‘रौलट एक्ट’ के विरोध में अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के निकट जलियांवाला बाग में हजारों लोग एकत्र हुए थे। जिससे नाराज होकर जनरल डायर ने अपने अंग्रेज सैनिकों को निहत्थे […]
झांसी के अंतिम संघर्ष में महारानी की पीठ पर बंधा उनका बेटा दामोदर राव (असली नाम आनंद राव) सबको याद है. रानी की चिता जल जाने के बाद उस बेटे का क्या हुआ ? वो कोई कहानी का किरदार भर नहीं था, 1857 के विद्रोह की सबसे महत्वपूर्ण कहानी को जीने वाला राजकुमार था जिसने […]
पहली दिल्ली : महाभारत से पूर्व ओर महाभारत के युद्ध के कुछ काल पश्चात तक दिल्ली को इंद्रप्रस्थ कहा जाता था। यह राजा इन्द्र की राजधानी थी। जिसे पुराणों में बार-बार दोहराया गया है। राजा इन्द्र का स्वर्ग यहीं पर विद्यमान था तो युधिष्ठर का ‘धर्मराज’ भी यहीं से चला था। बाद में उनकी पीढियों ने […]
भारत में छद्म धर्मनिरपेक्षियों का एकमात्र उद्देश्य इस देश में साम्राज्यवाद को बढ़ावा देना है। यह बढ़ावा देने की प्रवृत्ति उनके हिन्दू विरोध को देखने से स्पष्ट हो जाती है। इस हिन्दू विरोध की प्रवृत्ति के कारण इतिहास के कई झूठ ऐसे हैं जो इस देश में पहले तो विदेशियों के द्वारा गढ़े गये और […]