26 जनवरी 1930 ई0 का दिन कांग्रेस के इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन के रूप में अंकित है । क्योंकि इसी दिन पंजाब में रावी नदी के किनारे कांग्रेस के अध्यक्ष पंडित नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेसियों ने झंडा फहराकर पूर्ण स्वाधीनता का संकल्प लिया था । कांग्रेस के कार्यकर्ता सर्वत्र हर्षोल्लास व्यक्त कर रहे […]
Category: स्वर्णिम इतिहास
महमूद गजनवी द्वारा सोमनाथ के मंदिर को तोड़े जाने की घटना 1026 ईस्वी की है । इसके बारे में अक्सर यह कहा जाता है कि महमूद गजनवी आया और वह आराम से हमारे मंदिर को तोड़ कर चला गया । यहां के लोगों में और यहां के तत्कालीन राजनीतिक नेतृत्व में किसी प्रकार की कोई […]
गुर्जर प्रतिहार वंश के शासकों ने भारतवर्ष में उन हिंदुओं को फिर से शुद्ध कर स्वधर्म में दीक्षित किया था जो किन्ही कारणों से मुसलमान बन गए थे । इसी वंश के शासकों ने आज के सिंध से लेकर ईरान तक का सारा क्षेत्र शुद्धि अभियान के माध्यम से विदेशी मजहब अर्थात मुस्लिमों से खाली […]
जब जब भी मई का महीना आता है तो प्रत्येक राष्ट्रभक्त भारतवासी के मन मस्तिष्क में 1857 की क्रांति के नायकों से जुड़ी वीर गाथाएं अनायास ही उभर आती हैं । 10 मई 1857 को उत्तर प्रदेश के मेरठ से इस क्रांति का शुभारंभ करने वाले क्रांतिवीर कोतवाल धनसिंह गुर्जर , महर्षि दयानंद , तात्या […]
हमारे देश के इतिहास में विकृतिकरण से अधिक इतिहास का विलोपीकरण किया गया है । इतिहास के विलोपीकरण की यह षड्यंत्रकारी योजना जानबूझकर यूरोपियन देशों के इतिहास लेखकों , मुस्लिम इतिहास लेखकों के साथ-साथ कम्युनिस्ट विचारधारा के लेखकों ने बनाई है । विलोपीकरण की इस प्रक्रिया को पूरा करने के दृष्टिकोण से इन लोगों […]
भारत एक गौरवपूर्ण विश्व धरोहर का नाम है । विश्व के अतीत से भारत को निकाल दो तो यह सत्य है कि समस्त संसार के पास फिर ऐसा कुछ भी नहीं रहेगा जिस पर उसे गर्व और गौरव हो सकता हो । वैदिक सृष्टि संवत के अनुसार अभी तक हमारा यह सूर्य और हमारी […]
भारत प्राचीन काल से ही वैज्ञानिक आविष्कारों के लिए जाना जाता रहा है। यहाँ पर व्योमयान अर्थात विमान दो प्रकार के बनाए जाते थे। ऋषि भारद्वाज ने अपने ग्रंथ ‘वृहदविमानभाष्य’ में ऐसे विमान के बारे में भी उल्लेख किया है जो एक साथ जल , थल और नभ में उड़ान भर सकता था या […]
पृथ्वीराज चौहान भारतीय त्याग, तपस्या, साधना और पौरूष का प्रतीक है। वह अपने गुणावगुणों से तत्कालीन हिंदू राजाओं में से कई के लिए ईर्ष्या और द्वेष का कारण बन गया था। कई इतिहासकारों ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान के एक से अधिक विवाहों के होने का उल्लेख किया है। अत: थोड़ी सी असावधानी से एक […]
नहीं दिया गया था सीता जी को वनवास
रामायण एक ऐसा ग्रंथ है जिसके प्रमुख पात्र रामचन्द्र जी को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रूप में सम्मान प्रदान किया गया है । इसी रूप में मर्यादा पुरुषोत्तम रामचंद्र जी को न केवल भारतवर्ष अपितु संसार के सभी देशों में समान रूप से सम्मान प्रदान किया गया है । यह अलग बात है कि ईसाइयत […]
भारत की राजधानी दिल्ली में दिल्ली की आन , बान और शान के नाम से प्रसिद्ध कुतुबमीनार हिंदू स्थापत्य कला का एक बेजोड़ नमूना है । विश्व इतिहास में स्थापत्य कला का ऐसा कोई अन्य उदाहरण मिलना दुर्लभ है । इस स्तंभ के देखने से पता चलता है कि भारत के आर्यों की वास्तुकला […]