सुमित पांडे कालक्युलस का आविर्भाव चंद्र ग्रहण का एक सटीक मानचित्रा विकसित करने के दौरान आर्यभट्ट को इनफाइनाटसिमल की परिकल्पना प्रस्तुत करना पड़ी, अर्थात् चंद्रमा की अति सूक्ष्म कालीन या लगभग तात्कालिक गति को समझने के लिए असीमित रूप से सूक्ष्म संख्याओं की परिकल्पना करके उसने उसे एक मौलिक डिफरेेेंशल समीकरण के रूप में प्रस्तुत […]
श्रेणी: स्वर्णिम इतिहास
सुमित पाण्डे दर्शनशास्त्र और गणित दार्शनिक सिद्धांतों का गणितीय परिकल्पनाओं और सूत्राीय पदों के विकास पर गहरा प्रभाव पड़ा। विश्व के बारे में उपनिषदों के दृष्टिकोण की भांति जैन दर्शन में भी आकाश और समय असीम माने गये। इससे बहुत बड़ी संख्याओं और अपरिमित संख्ययओं की परिभाषाओं में गहरी रुचि पैदा हुई। रीकरसिव /वापिस आ […]
सुमित पाण्डे सभी प्राचीन सभ्यताओं में गणित विद्या की पहली अभिव्यक्ति गणना प्रणाली के रूप में प्रगट होती है। अति प्रारंभिक समाजों में संख्यायें रेखाओं के समूह द्वारा प्रदर्शित की जातीं थीं। यद्यपि बाद में, विभिन्न संख्याओं को विशिष्ट संख्यात्मक नामों और चिह्नों द्वारा प्रदर्शित किया जाने लगा, उदाहरण स्वरूप भारत में ऐसा किया […]
स्वामी विवेकानंद और योगी अरविंद का मत रहा है कि – “भारत की शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य अपने देश की विरासत की आध्यात्मिक महानता पर बल देना और उसे बनाए रखने के लिए हमारे दायित्व के निर्वाह पर बल देना होना चाहिए । जिससे हम विश्व को प्रकाश का मार्ग दिखा सकें। यदि आध्यात्मिकता भारत […]
भारत के इतिहास लेखन में जानबूझकर सबसे बड़ी चूक यह की गई है कि यहाँ के शासकों को विदेशी आक्रमणकारियों के विरुद्ध या तो पूर्णतया असावधान दिखाया गया है या फिर इस प्रकार प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया है कि जैसे उन्हें राष्ट्र और राष्ट्रधर्म की कोई चिंता नहीं थी । इसी धारणा […]
बीबीसी ने अपने उक्त आलेख में यह भी लिखा है कि — “भारतीय इतिहास में मध्यकाल को देखने के अलग-अलग दृष्टिकोण रहे हैं । एक दृष्टिकोण वामपंथी इतिहासकारों का है। इनका मानना है कि मध्यकाल कई लिहाज़ से काफ़ी अहम था। वामपंथी इतिहासकारों का मानना है कि मध्यकाल में तेज़ी से शहरीकरण हुआ, स्थापत्य कला […]
दिनांक 25 दिसंबर 2015 स्थान : राजस्थान के राजसमंद जिले का कुंभलगढ़ दुर्ग समय – शाम के 7:00 बज रहे हैं। लाइट एंड शो का कार्यक्रम सपरिवार देखने के लिए मैं पहुंच गया हूं। कुंभलगढ़ का दुर्ग अरावली पर्वत श्रंखला के मध्य महाराणा कुंभा द्वारा सन 1500 में निर्माण प्रारंभ किया गया था। लेकिन 15 […]
अक्टूबर 2017 में बीबीसी ने उपरोक्त शीर्षक से एक समीक्षा भारत के इतिहास के संबंध में प्रस्तुत की थी । जिसमें उसने यह स्थापित करने का प्रयास किया था कि भारत में मुगलों से पहले ऐसा कोई शासक नहीं हुआ जिसने देश की जीडीपी को बढ़ाने के लिए और लोगों के आर्थिक स्तर को ऊंचा […]
हिंदुत्व की लंबी साधना , कोर्ट कचहरी की लड़ाई और इसके साथ ही साथ बलिदानों की लंबी परंपरा के पश्चात वह शुभ दिन आ गया है , जब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण आरंभ हो गया है । सचमुच इस पावन दिवस के लिए हमने लाखों की संख्या में बलिदान दिये हैं । अब […]
महाभारत के बारे में तथ्यों के विपरीत जाकर एक दन्तकथा यह भी प्रचलित की गई है कि जब युद्ध के अन्त में गदा युद्ध में भीम ने दुर्योधन का वध कर दिया तो उसके पश्चात मौत की अन्तिम घड़ियां गिन रहे दुर्योधन के पास अश्वत्थामा , कृपाचार्य और कृतवर्मा रात्रि में आए । तब दुर्योधन […]