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भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा स्वर्णिम इतिहास

भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा ( है बलिदानी इतिहास हमारा ) अध्याय –3

भारतीय राजधर्म और अहिंसा देश की वर्तमान परिस्थितियों पर यदि चिंतन किया जाए तो पता चलता है कि देश का नेतृत्व और विशेष रूप से अभी तक की कांग्रेस की सरकारें इस दुर्दशा के लिए उत्तरदायी हैं । किसी कवि ने ठीक ही तो कहा है :– न बिजली की अनाइतों से न बादे फसले […]

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भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा ( है बलिदानी इतिहास हमारा ) अध्याय — 2 , वैदिक राष्ट्र और अहिंसा

  वैदिक राष्ट्र और अहिंसा यजुर्वेद में एक सुन्दर ऋचा आयी है :– ओ३म आ ब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायताम आ राष्ट्रे राजन्य: शूरऽइषव्योऽतिव्याधी महारथो जायतां दोग्ध्री धेनुर्वोढानड्वानाशु: सप्ति: पुरन्धिर्योषा जिष्णू रथेष्ठा: सभेयो युवास्य यजमानस्य वीरो जायतां निकामे निकामे न: पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो नऽओषधय: पच्यन्तां योगक्षेमो न: कल्पताम्।। -यजु० २२/२२ अर्थात हे सर्वाधार सर्वेश्वर सर्वव्यापक प्रभो […]

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भारत के प्राचीन इतिहास पर एक महत्वपूर्ण लेख , क्या प्राचीन आर्य इतिहास के बारे में कुछ जानते थे ,?

यहाँ हम पश्चिमी इतिहासवेताओं के इस कथन की परीक्षा करनी है कि “प्राचीन आर्य ऐतिहासिक विद्या से अनभिज्ञ थे” । वास्तव में यदि यह लांछन ठीक हो तो हमें मानना पड़ेगा कि हमारे पुरुष अर्ध सभ्य थे क्योंकि केवल दो ही अवस्थाओं में कोई नेशन या जाति ऐतिहासिक ज्ञान से शून्य हो सकती है :- […]

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भारतीय क्षात्र धर्म और अहिंसा ( है बलिदानी इतिहास हमारा )

अध्याय 1 वैदिक धर्म और अहिंसा भारतवर्ष के पास उसका गौरवपूर्ण सांस्कृतिक इतिहास है । यह इतिहास भारत को शेष संसार से सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है। भारत की संस्कृति अनुपम है , अप्रतिम है । इसका अध्यात्मवाद अनोखा और निराला है , तो वेदज्ञान बेजोड़ और अद्वितीय है , जो कि संसार […]

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निराशा भाव से भरे इस इतिहास को जला दो

शाहजहां और औरंगजेब के काल में जिस पश्चिम (यूरोपियन देशों के लोग ) से भारत पर नए आक्रमण की तैयारियां प्रारंभ होने लगी थी , भारत अब उनसे जूझने की तैयारियां करने लगा था। मुगल बादशाहों ने इन विदेशी लोगों की हिंदुओं के साथ क्रूरता के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की । समकालीन इतिहास का […]

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हूण शासक भी रहे विष्णु मंदिर के निर्माता अभिलेखीय साक्ष्य

लेखक:- डॉ0 श्रीकृष्ण जुगनू मेवाड़ में शिलालेखों का क्रम कुछ इस तरह से मिलता है कि पूर्व ब्राह्मी से लेकर देवनागरी लिपि तक का क्रम पूरा हो जाता है। उदयपुर के प्राचीन शिलालेखाें में एक शिलालेख विक्रम संवत् 1010 तद्नुसार 953 ईस्‍वी का है। गणना के अनुसार 23 अप्रैल, वैशाख शुक्‍ला सप्‍तमी के दिन इस […]

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अपने प्राचीन भारत का गौरवपूर्ण अतीत

आज एक बहुत ही अद्वितीय, अकल्पनीय एवं अद्भुत जानकारी आपके साथ सांझा करना चाहता हूं। अभी मैं ‘यौगिक प्रवचन माला , भाग – 1’ पढ़ रहा था। जो ब्रह्मर्षि कृष्णदत्त ब्रह्मचारी के प्रवचन के आधार पर पुस्तक बनाई गई है। कृष्ण दत्त ब्रह्मचारी के विषय में तो आप सभी परिचित होंगे । जो खुर्रम पुर […]

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‘गुर्जर वंश का गौरवशाली इतिहास’ – पुस्तक का विमोचन होगा आगामी 17 जुलाई को

आदरणीय मित्रो ! आगामी 17 जुलाई को मेरी पुस्तक “गुर्जर वंश का गौरवशाली इतिहास” का विमोचन होने जा रहा है । यह पुस्तक ‘डायमंड पॉकेट बुक्स’ द्वारा प्रकाशित की गई है । जिसका मूल्य ₹350 रखा गया है । पुस्तक की पेज संख्या लगभग 325 है । आशा है आपको मेरा यह प्रयास अवश्य ही […]

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भारतवर्ष के गुरुकुलों में क्या पढ़ाई होती थी, ये जान लेना आवश्यक है!

प्रस्तुति : अजय कुमार आर्य इस शिक्षा को लेकर अपने विचारों में परिवर्तन लाएं और भ्रांतियां दूर करें! १. अग्नि विद्या (Fire & Heat Technologies) २. वायु विद्या (Wind & Aviation Technologist) ३. जल विद्या (Water & Navigation) ४. अंतरिक्ष विद्या (Space Sciences) ५. पृथ्वी विद्या (Environment & Ecology) ६. सूर्य विद्या (Solar System Studies) […]

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भारत में गणित के इतिहास से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलू

डॉ. चंद्रकांत राजू एक योद्धा गणितज्ञ लेखक :- रवि शंकर, कार्यकारी संपादक, भारतीय धरोहर गणित तो हम सभी ने पढ़ा होगा, परंतु क्या कभी गणित को औपनिवेशिक मानसिकता से स्वाधीनता दिलाने की लड़ाई भी हमने लड़ी है? गणित को स्वाधीन कराने की लड़ाई? क्या हमें कभी यह ध्यान में भी आया है कि गणित जैसा […]

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