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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास

सम्राट ललितादित्य मुक्तापीड़ के शासनकाल में भारत फैल गया था रूस तक

सूर्यवंशी दिग्विजयी सम्राट ललितादित्य मुक्तापीढ़ जिनके काल में भारत रूस तक फ़ैल गया था !! विजीयते पुण्यबलैर्बर्यत्तु न शस्त्रिणम परलोकात ततो भीतिर्यस्मिन् निवसतां परम्।। वहां (कश्मीर) पर शस्त्रों से नहीं केवल पुण्य बल द्वारा ही विजय प्राप्त की जा सकती है। वहां के निवासी केवल परलोक से भयभीत होते हैं न कि शस्त्रधारियों से। – […]

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स्वर्णिम इतिहास

सम्राट प्रद्योत का गौरवपूर्ण इतिहास

दिग्विजयी सम्राट प्रद्योत और महाराज मनमोरी सिंह का इतिहास :- भारत के कुरु वंशी महाराज प्रद्योत जिनका राज्यकाल (1367-1317 BC) अखंड भारतवर्ष के सम्राट थे राजधानी महिष्मति थे १३६७ -१३१७ (ई पू) था इन्होंने असुरों पर आक्रमण किया था और मिश्र अरब देशो पर विजय प्राप्त किया था । दिग्विजयी सम्राट महाराज प्रद्योत इतिहास विलुप्त […]

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स्वर्णिम इतिहास

भारत के विश्व विजेता सम्राटों में महत्वपूर्ण स्थान है महाराज भोज का

  राजा भोज जैसे अनेक राजाओं के बारे में हमारी इतिहास की किताबें मौन हो जाती हैं। सन् 1000 से आज तक भारत के इतिहास में आजतक ऐसा राजा नहीं हुआ। राजा भोज के बारे में थोड़ा सा भी पढ़ोगे तो पता चलेगा कि भारत में कैसे कैसे राजा होते थे। भोजराज परमार इतिहास में […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास

विश्व विजेता सिकंदर नहीं सम्राट शालीवाहन थे

  सम्राट विक्रमादित्य के ५९ वर्ष बाद शालिवाहन परमार की राज्याभिषेक ७७ (इ.) हुआ था तो मुर्ख वामपंथीयों का यह तथ्य बिलकुल गलत हैं की सम्राट विक्रमादित्य की हत्या उनके परपोत्र शालिवाहन ने किया हैं । मित्रों मैकॉले ने तो इतिहास को बर्बाद किया हैं पर मैकॉले के मानसपुत्र काले अंग्रेज़ो ने इस परंपरा को […]

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स्वर्णिम इतिहास

भारत के दिव्य भव्य और स्वर्णिम इतिहास की एक झलक : आर्यों का विदेश गमन

    पश्चिमी एशिया भारत में पश्चिम की ओर सबसे प्रथम अफरीदी काबुली और बलूची देश आते हैं । इन देशों में इस्लाम के प्रचार के पूर्व आर्य ही निवास करते थे । यहीं पर गांधार था। गांधार को इस समय कंधार कहते हैं। जिसका अपभ्रंश कंदार और खंदार भी है। इसी के पास राजा […]

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स्वर्णिम इतिहास

……जिन के बिना भारत अधूरा है

  610 ई0 में इस्लाम की स्थापना पैगंबर मोहम्मद साहब द्वारा की गई । इसके कुछ समय पश्चात ही इस्लाम के आक्रमणकारियों के भारत पर आक्रमण आरंभ हो गए ।638 ई0 से 712ई0 तक के 73वर्ष के कालखंड में 9 खलीफाओं ने 15 आक्रमण भारतवर्ष पर किए । यद्यपि यह सारे आक्रमण बहुत ही कम […]

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आओ कुछ जाने स्वर्णिम इतिहास

भारत के इतिहास के विषय में कितना प्रामाणिक है यूरोपियन लेखन

-प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज भारत के इतिहास के विषय में 15 अगस्त 1947 ईस्वी के बाद सरकार द्वारा नियंत्रित शिक्षण संस्थाओं में केवल उसे ही प्रामाणिक तथ्य की तरह प्रस्तुत किया गया जो यूरोपीय लेखकों ने लिखा। महत्वपूर्ण यह है कि किसी भी यूरोपीय देश में उनका इतिहास इस आधार पर एक शब्द भी नहीं […]

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स्वर्णिम इतिहास

प्राचीन भारत में ज्योतिष विज्ञान

1000 वर्ष पूर्व और 1000 वर्ष बाद कौन सी तारीख को , कितने बज कर कितने बजे तक ( घड़ी , पल , विपल ) कैसा सूर्यग्रहण या चन्द्र ग्रहण लगेगा या होगा , यह हमारा ज्योतिष विज्ञान बिना किसी अरबों खरबों का संयत्र उपयोग में लाये हुए बता देता है ! क्या कभी नोटिस […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास

समय सापेक्षता का सिद्धांत और भारतीय मनीषी

सापेक्षता का सिद्धांत और भारतीय मनीषि… हम न्यूटन को जानते हैं, स्वामी ज्येष्ठदेव को नहीं.. 👆🏻👆🏻👆🏻👆🏻ये दो लेख एकसाथ संग्रहित कर रहा हूँ, भारतीय मनीषी नामक शीर्षक से.. भारतीय मनीषी =============== विश्व भर में कुछ वर्ष पहले अल्बर्ट आइंस्टीन की General Theory of Relativity (GTR) की सौंवी वर्षगांठ मनाई गई. इस सन्दर्भ में 25 नवम्बर […]

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आओ कुछ जाने स्वर्णिम इतिहास

प्राचीन काल में विष के चिकित्सक रहे हैं ऋषि कश्यप

  प्रस्तुति:- राकेश कुमार आर्य (बागपत) एक बार राजा परीक्षित आखेट हेतु वन में गये। वन्य पशुओं के पीछे दौडऩे के कारण वे प्यास से व्याकुल हो गये तथा जलाशय की खोज में इधर उधर घूमते घूमते वे शमीक ऋषि के आश्रम में पहुँच गये। वहाँ पर शमीक ऋषि नेत्र बंद किये हुये तथा शान्तभाव […]

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