शकुंतला नहीं चाहती थी कि उसके गर्भ का दुरुपयोग हो । उसने आज तक महर्षि कण्व के आश्रम में रहकर जिस प्रकार की सच्ची और सात्विक साधना की थी उसका फल प्राप्त करने का आज समय आ गया था। वह ब्रह्मचारिणी थी और ऋषि के संसर्ग में रहकर राष्ट्र के लिए कोई अनमोल निधि देना […]
Category: कहानी
( महाराज दुष्यंत भरतकुलभूषण, महापराक्रमी और चारों समुद्रों से घिरे हुए समस्त भूमंडल के पालक के रूप में जाने जाते हैं। उनके शासनकाल में चोरों का भय नहीं था। भूख से लोग त्रस्त नहीं थे और रोग या व्याधि का डर भी लोगों में नहीं था। उनके राज्य में समय पर वर्षा होती थी तथा […]
भले ही गांधी की धोती , तेरे खातिर गहना था .. मुझे दिखा दो बस वो फंदा, जिसे भगत सिंह ने पहना था … * चलो मान लिया कि चरखे ने ही, उन सारे अंग्रेजों को पटका था … पर हमको दे दो वो पावन रस्सी , जिस पर मेरा बिस्मिल लटका था.. * हम […]
सफलता की कहानी परवान पर है ग्राम्य विकास का सुनहरा दौर, – डॉ. दीपक आचार्य उप निदेशक, (सूचना एवं जनसम्पर्क) जोधपुर जोधपुर, 01 जून/पंचायतीराज के सशक्तिकरण के साथ ही ग्रामीण विकास की दृष्टि से हाल के वर्षों में सरकार द्वारा कराए गए कार्यों ने ग्रामीणों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करते हुए लोक सेवाओं एवं […]
*शबरी के पैरों की धूल
Rastriy Vimrsh Narendra Singh: * शबरी एक आदिवासी भील की पुत्री थी। देखने में बहुत साधारण, पर दिल से बहुत कोमल थी। इनके पिता ने इनका विवाह निश्चित किया, लेकिन आदिवासियों की एक प्रथा थी की किसी भी अच्छे कार्य से पहले निर्दोष जानवरों की बलि दी जाती थी। इसी प्रथा को पूरा करने के […]
विवेक दर्शन पत्रिका जब प्यार किया तो डरना क्या – प्यार ..किस किस से….. प्रतापसिंह इस्लाम की खूबसूरती इसमें है कि पूरा कुनबा एक साथ एक ही “थाली” में खाये और उपयोग करे भारतीय इतिहास में जब भी अमर प्रेम कहानियों का जिक्र होता है तो सलीम और अनारकली का नाम जरूर आता है। इस […]
आशावादी होकर जिएं
आशावादी होकर जियें अब गरीबी से रमेश का मन टूट चुका था। वह जीवन संग्राम में एक निराश योद्धा की भांति दिखाई दे रहा था। उसे लगता था कि अब उसका जीवन व्यर्थ है। क्यों नहीं उसे अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेनी चाहिए? कहते हैं मां गरीबी में व्यक्ति की सबसे बड़ी मित्र […]
किए हुए कर्म का फल
सोहन के पिता का देहांत उस समय ही हो गया था जब वह माँ के गर्भ में था । माँ ने उसे बड़े लाड प्यार से पाला – पोसा।जल्दी ही वह जवान हो गया था। पिता का साया ना होने के कारण उसके कदम भटक गए और राहजनी करने लगा। एक दिन एक व्यक्ति अपने […]
जीवन राग —————– नाचती हवाओं का संगीत
संजय पंकज चिड़ियों की चहक से नींद खुली तो आंखों को मलते हुए अपने छोटे से बगीचे में आ गया। अभी सूरज निकला नहीं था, पूरब का आसमान लाल भी नहीं हुआ था, कुछ तारे टिमटिमा रहे थे तब भी दिशाओं में धुंध उजाला फैल गया था, सामने का सब कुछ साफ-साफ दिखने लगा […]
माँ के पल्लू पर शानदार निबन्ध
बीते समय की बातें हो चुकी हैं. माँ के पल्लू का सिद्धाँत … माँ को गरिमामयी छवि प्रदान करने के लिए था. इसके साथ ही … यह गरम बर्तन को चूल्हा से हटाते समय गरम बर्तन को पकड़ने के काम भी आता था. पल्लू की बात ही निराली थी. पल्लू पर तो बहुत कुछ […]