श्री रामनाथ कोविन्द अब जबकि 66 प्रतिशत मत लेकर और अपनी प्रतिद्वंद्वी श्रीमती मीरा कुमार को परास्त कर भारत के राष्ट्रपति घोषित किये जा चुके हैं, तब उनके राष्ट्रपति बनने के अर्थ, संदर्भ और परिणामों पर विचार करना उचित होगा। श्री कोविन्द के राष्ट्रपति बनने का अर्थ है कि इस समय भारत की राजनीति की […]
श्रेणी: विशेष संपादकीय
बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा की अपनी सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है। ऐसा उन्होंने अपने खिसकते जनाधार को किसी न किसी प्रकार अपने साथ पुन: लाने के लिए किया है। जिससे कि उन्हें दलितों की सहानुभूति मिल सके। उनके इस राजनीतिक दांव के भविष्य में परिणाम क्या होंगे ये तो समय ही बताएगा, परंतु […]
देश को आजाद हुए 70 वर्ष हो गये, पर दुर्भाग्य है हमारा कि आज भी हमारे देश में लगाया पैंतीस हजार वही कानून लागू हैं, जो अंग्रेजों ने अपने शासनकाल के दौरान लागू किये गये थे। कानूनी प्रक्रिया भी वही है, जो अंग्रेजों ने यहां चलायी थी। अंग्रेजों की न्यायप्रणाली में दोष होना स्वाभाविक है […]
अवधूत दत्तात्रेय हर क्षण किसी से ज्ञान प्राप्त करने के लिए तत्पर रहा करते थे। वह पशु-पक्षियों एवं कीट पतंगों की गतिविधियों को बड़े ध्यान से देखा करते और विवेचना कर उनसे शिक्षा प्राप्त किया करते थे। दत्तात्रेय अक्सर कहा करते थे कि ”जिनसे मैं कोई भी शिक्षा लेता हूं वे मेरे गुरू हैं।” एक […]
पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी अपने ‘हठीले’ स्वभाव के कारण चर्चा में बनी रहती हैं। हठीले व्यक्ति के विषय में यह सर्वमान्य सत्य होता है कि वह विवेकहीन होता है, वह स्वार्थी होता है और अपने ‘स्वार्थ’ के सामने उसे और कुछ भी नहीं दिखता है। कहने के लिए वह स्वयं या उसके समर्थक […]
भारत लोकतंत्र की जन्मस्थली है। आज का ब्रिटेन और अमेरीका तो भारत के लोकतंत्र की परछाईं मात्र भी नहीं है। हमारे ‘शतपथ ब्राह्मणादि ग्रंथों’ में राजनीतिशास्त्रियों के लिए कई बातें अनुकरणीय रूप से उपलब्ध हैं। ‘शतपथ ब्राह्मण’ में राजकीय परिवार के लोगों के राजनीतिक अनुभवों से देश को लाभान्वित करने के उद्देश्य से इस परिवार […]
आतंकवाद भारत की ही नहीं, अपितु आज विश्व की एक बड़ी समस्या बन चुका है। सही अर्थों में मानव समाज की यह बुराई मानव के दानवी स्वरूप की सनातन परंपरा का अधुनातन स्वरूप है। विश्व के पिछले दो हजार वर्ष के इतिहास को यदि उठाकर देखा जाये तो जिन लोगों ने ईसाइयत और इस्लाम के […]
भारत की सेना का इतिहास अत्यंत गौरवपूर्ण है और इसका कारण यह है कि भारत ही विश्व का वह प्राचीनतम और पहला देश है जिसने जीवन को उन्नति में ढालने के लिए सर्वप्रथम सैन्य विज्ञान की उत्कृष्टतम खोज की। शेष विश्व तो यह आज तक भी समझ नहीं पाया कि सैन्य विज्ञान क्या होता है? […]
आज से लगभग सवा पांच हजार वर्ष पूर्व भारत में महाभारत हुआ था और यहीं से भारत ‘गारत’ होने लगा था। यही वह बिन्दु है जिसके पश्चात विश्व के अन्य देशों की उल्टी-सीधी सभ्यताओं ने सांस लेना आरंभ किया। यही कारण है कि विश्व के अधिकांश तथाकथित विद्वान इस विश्व की कहानी को मात्र पांच […]
बात 10 मई 1907 की है। देश उस दिन अपने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम अर्थात 1857 की क्रांति की 50वीं वर्षगांठ मना रहा था। सारा देश उस दिन ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ फेंकने का संकल्प ले रहा था। दिल्ली भी उस संकल्प से अछूती रहने वाली नहीं थी। उस समय दिल्ली देश की राजधानी नहीं थी, […]