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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

ईश्वर ‘ड्रैगन’ को सद्बुद्घि दे

1962 में देश चीन के हाथों परास्त हुआ। तब हमारे तत्कालीन नेतृत्व ने अपनी भूलों पर प्रायश्चित किया और सारे देश को यह गीत गाकर रोने के लिए बाध्य किया-‘ऐ मेरे वतन के लोगो, जरा आंख में भर लो पानी।’….हम अपने उन शहीदों की पावन शहादत पर रो रहे थे-जिनके हाथों से बंदूक छीनकर हमने […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

हम उस देश के वासी हैं

भारत के गौरव पर प्रकाश डालते हुए मैक्समूलर ने अपनी पुस्तक इंडिया व्हाट कैन इज टीच असष् में लिखा है. यदि मैं विश्वभर में से उस देश को ढूंढने के लिए चारों दिशाओं में आंखें उठाकर देखूं जिस पर प्रकृति देवी ने अपना संपूर्ण वैभवए पराक्रम तथा सौंदर्य खुले हाथों लुटाकर उसे पृथ्वी का स्वर्ग […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र भारतीय संस्कृति विशेष संपादकीय संपादकीय

विश्वात्मा भाषा: संस्कृत

भारत जब-जब भी भारतीयता की और भारत केे आत्म गौरव को चिन्हित करने वाले प्रतिमानों की कहीं से आवाज उठती है, तो भारतीयता और भारत के आत्मगौरव के विरोधी लोगों को अनावश्यक ही उदरशूल की व्याधि घेर लेती है। अब मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने कहीं संस्कृत के लिए कुछ करना चाहा […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

इन घोटालों पर कौन सोचेगा?

भारत में ऐसी-ऐसी मूर्खताएं शासन स्तर पर की गयी हैं कि उनसे देश का भारी अहित हुआ है। आज जबकि मोदी सरकार देश में भ्रष्टाचार के विरूद्घ आंदोलन छेड़ रही है, और बिहार में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को भ्रष्टाचार के शिकंजे में लाकर देश के बड़े भ्रष्टाचारियों को जेल की हवा खिलाने […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

‘गया नीतीश आया नीतीश’

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू की भालू पार्टी से मुक्ति पाकर पुन: मुख्यमंत्री बनने के लिए अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। यह त्यागपत्र प्रत्याशित था। जिस समय बिहार में महागठबंधन किया गया था, उसी समय अधिकांश राजनीतिक समीक्षकों की दृष्टि में यह निश्चित था कि यह ‘गठबंधन’ कुछ समय पश्चात ‘लठबंधन’ […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

कुछ नई पहल करें नये राष्ट्रपति

भारत के शीर्ष संवैधानिक पद अर्थात राष्ट्रपति के रूप में श्री रामनाथ कोविन्द ने 25 जुलाई को अपना कार्यभार संभाल लिया। उन्होंने राष्ट्रपति का पद संभालते समय देश के सवा अरब लोगों को संविधान की रक्षा का भरोसा दिलाया और बड़ी विनम्रता व सादगी का प्रदर्शन किया। नये राष्ट्रपति को संसद के केन्द्रीय हॉल में […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

प्रणव दा का अन्तिम सन्देश

प्रणव मुखर्जी अब भारत के पूर्व राष्ट्रपति हो गये हैं। इसमें कोई दो मत नहीं कि उनका व्यक्तित्व असाधारण है और उन्हें अपने जीवन में राष्ट्रपति के रूप में नहीं अपितु प्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्र की सेवा करने का अवसर मिलना चाहिए था। परंतु कांग्रेस में जब तक एक ही परिवार की आरती उतारने […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

हिमाचल राजभवन में राष्ट्रनीति की गूंज

हिमाचल राजभवन में राष्ट्रनीति की गूंजहमारा मानना है कि भारत को ‘विश्वगुरू’ बनाने का हमारा संवैधानिक लक्ष्य तभी पूर्ण हो सकता है जबकि हमारे राजभवनों में तपे हुए संत प्रकृति के और दार्शनिक बुद्घि के राजनेता विराजमान होंगे। राजभवनों में यदि निकृष्ट चिंतन के लोगों को भेजा जाएगा तो उनसे भारतीयता का भला होने वाला […]

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भारतीय संस्कृति राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

महात्मा गांधी जी की वसीयत

महात्मा गांधी जी की वसीयत महात्मा गांधी की अहिंसा को लेकर आरंभ से ही वाद विवाद रहा है। इसमें कोई संदेह नही कि अहिंसा भारतीय संस्कृति का प्राणातत्व है। पर यह प्राणतत्व दूसरे प्राणियों की जीवन रक्षा के लिए हमारी ओर से दी गयी एक ऐसी गारंटी का नाम है, जिससे सब एक दूसरे के […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

15 अगस्त सन 1947 और भारत का विभाजन

भारत के साथ सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि इसका इतिहास जो आज विद्यालयों में पढ़ाया जा रहा है वह इसका वास्तविक इतिहास नहीं है। यह इतिहास विदेशियों के द्वारा हम पर लादा गया एक जबर्दस्ती का सौदा है और उन विदेशी लेखकों व शासकों के द्वारा लिखा अथवा लिखवाया गया है जो बलात् हम […]

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