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विशेष संपादकीय

इतिहास का पुनर्लेखन और योगी सरकार

भारत के ऐतिहासिक स्थल आगरा के ताजहमल के निर्माण को लेकर एक बार फिर विवाद उठा है। भाजपा के फायर ब्रांड विधायक संगीत सोम का कहना है कि ताजमहल हमारी गुलामी का प्रतीक है तो असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि यदि ताजमहल गुलामी का प्रतीक है तो यह लालकिला भी गुलामी का प्रतीक है, […]

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विशेष संपादकीय

पीएम मोदी अरूण जेटली को सिखायें ‘राजधर्म’

भारत का लोकतन्त्र एक दीवार है-उन लोगों के लिए जो प्रतिभावान और ईमानदार देशभक्त तो हैं, पर उनके पास लोकतन्त्र को नचाने के लिए अपने साधनों की कमी है। वे धनाढ्य नहीं हैं और ना ही उनके पास पार्टी तन्त्र है। लोकतन्त्र को पार्टीतन्त्र खा रहा है और पार्टी तन्त्र द्वारा निगले जा रहे लोकतन्त्र […]

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विशेष संपादकीय

मैं आया हूं उन राजद्रोही चरणों पर फूल चढ़ाने

मैं आया हूं उन राजद्रोही चरणों पर फूल चढ़ाने आज भारतवर्ष अपना 71वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस पावन अवसर पर अपने नाम-अनाम स्वतंत्रता सेनानियों को पूरा देश नमन कर रहा है। ‘उगता भारत’ अपने इन नाम-अनाम स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हुए उनके विषय में कवियों की कविताओं के माध्यम से अपने श्रद्घासुमन […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

आवश्यकता भारत जोड़ो आंदोलन

अभी-अभी भारत ने 1942 में छेड़े गये-‘अंग्रेजो! भारत छोड़ो’ आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ मनाई है। वैसे हमारा मानना है कि यदि 1857 की क्रांति के इतिहास का और उस समय घटे घटनाचक्र का सूक्ष्मता से अवलोकन किया जाए तो पता चलता है कि भारतवासियों ने 1942 से 85 वर्ष पूर्व अंग्रेजों के विरूद्घ ‘भारत छोड़ो […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

दोहन का उपाय ‘शोधन’ है

मोदी सरकार ने एन.जी.ओ. के विरूद्ध कठोरता का संदेश देकर उचित किया है, या अनुचित, इस पर देश में बहस चल रही है। इसके लिए एक गैर सरकारी संगठन के विषय में यह जानना आवश्यक है कि वास्तव में यह होता क्या है? इसके लिए विद्वानों का मानना है कि समाज का चेहरा बदल देने […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

हामिद अंसारी के अंतिम बोल

हामिद अंसारी के अंतिम बोलदेश के लगातार दो बार उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी दस अगस्त को विदा हो गये। श्री अंसारी ने जाते-जाते भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर सवाल उठाये हैं। उन्हें दस वर्ष देश का उपराष्ट्रपति रहते हुए नहीं लगा कि देश में अल्पसंख्यकों के लिए कोई संकट है, पर अब जब उन्हें यह […]

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विशेष संपादकीय विश्वगुरू के रूप में भारत संपादकीय

विश्वगुरू के रूप में भारत-1

यदि कोई मुझसे ये पूछे कि भारत के पास ऐसा क्या है-जो उसे संसार के समस्त देशों से अलग करता है?-तो मेरा उत्तर होगा-उसका गौरवपूर्ण अतीत का वह कालखण्ड जब वह संसार के शेष देशों का सिरमौर था अर्थात ‘विश्वगुरू’ था। जब मेरे से कोई ये पूछे कि भारत के पास ऐसा क्या है-जिससे वह […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

पूर्णत: सजग भारत की सजग विदेश नीति

पूर्णत: सजग भारत की सजग विदेश नीति : भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में भारत की विदेशनीति पर उठाये गये विपक्ष के प्रश्नों का जिस प्रकार उत्तर दिया-उससे विपक्ष की बोलती बंद हो गयी। उसके पास कोई प्रति प्रश्न नहीं था। विदेशमंत्री के स्पष्टीकरण से लगा कि भारत की वर्तमान विदेशनीति […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

मेरी वाणी के अग्रभाग में मधु रह्वहे

संसार में अधिकांश झगड़े, वाद-विवाद और कलह क्लेश हमारी जिह्वा पर हमारा नियंत्रण न होने के कारण होते हैं। रसना और वासना व्यक्ति की सबसे बड़ी शत्रु हैं। जिह्वा का नियंत्रण समाप्त हुआ नहीं कि कुछ भी घटना घटित हो सकती है। जिह्वा के विषय में यह भी सत्य है कि-  रहिमन जिह्वा बावरी कह […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

उत्तर प्रदेश में विवाह पंजीकरण अनिवार्य

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रदेश में विवाह पंजीकरण को अनिवार्य घोषित कर सामाजिक सुधारों की दिशा में एक क्रांतिकारी निर्णय लिया है। इस निर्णय से महिला अधिकारों की रक्षा होगी, साथ ही इसका सीधा लाभ उन मुस्लिम महिलाओं को अधिक मिलेगा जिनके पति उनकी बिना स्वीकृति और सहमति के किसी अन्य […]

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