” स्वामीजी महाराज पहले महापुरूष थे जो पश्चिमी देशों के मनुष्यों के गुरू कहलाये।… जिस युग में स्वामीजी हुए उससे कई वर्ष पहले से आज तक ऐसा एक ही पुरूष हुआ है जो विदेशी भाषा नहीं जानता था, जिसने स्वदेश से बाहर एक पैर भी नहीं रखा था, जो स्वदेश के ही अन्नजल से पला […]
श्रेणी: विशेष संपादकीय
महर्षि दयानन्द सरस्वती जी महाराज की 194वीं जयन्ती के अवसर पर विशेष सम्पादकीय महर्षि दयानन्द के व्यक्तित्व को किसी एक आलेख में आबद्घ किया जाना सर्वथा असम्भव है। जो व्यक्ति सम्पूर्ण क्रान्ति का अग्रदूत बनकर अपने देश में आया और सम्पूर्ण मानवता के उद्घार व कल्याण का मार्ग अज्ञानान्धकार में भटकते विश्व समुदाय को देकर […]
देश के विषय में ना तो कुछ सोचो ना कुछ बोलो ना कुछ करो और जो कुछ हो रहा है उसे गूंगे बहरे बनकर चुपचाप देखते रहो-आजकल हमारे देश में धर्मनिरपेक्षता की यही परिभाषा है। यदि तुमने इस परिभाषा के विपरीत जाकर देश के बारे में सोचना, बोलना, लिखना, या कुछ करना आरम्भ कर दिया […]
मैं अधिवक्ता समाज व पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता का ध्यान इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूत्र्ति मुख्य न्यायाधीश (तत्कालीन) डा. डी.वाई. चन्द्रचूड़ के उस पत्र की ओर दिलाना चाहता हूं जिसे उन्होंने 8 जनवरी 2015 को विधि मंत्रालय भारत सरकार को यह स्पष्ट करते हुए लिखा था कि राज्य सरकार का कोई प्रस्ताव पश्चिमी उत्तर […]
दीपावली के अवसर पर महर्षि दयानंद को निर्वाण मिला था। अत: इस पावन पर्व पर महर्षि दयानंद का स्मरण हो आना स्वाभाविक है। उनका भारतीय स्वातन्त्र्य संग्राम में अनुपम और अद्वितीय योगदान था। भारत में राष्ट्रवाद की अलख जगाने वाले महर्षि दयानंद के विषय में ‘भारतीय स्वातन्त्र्य संग्राम में आर्यसमाज का योगदान’ के विद्वान लेखक […]
ईसाई नववर्ष 2018 का आगमन हो गया है। इस अवसर पर सभी लोगों का परस्पर शुभकामनाओं का आदान-प्रदान हो रहा है। हम भी अपने सभी पाठकों को ईसाई नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं अर्पित करते हुए उनके अच्छे स्वास्थ्य, मंगलमय भविष्य और चिरायुष्य की कामना करते हैं। हम भारतीयों की एक आदत सी हो गयी है […]
देश के अन्य बहुत से लोगों की तरह देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रारम्भ से ही लोकसभा व विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने के पक्षधर रहे हैं। प्रधानमंत्री की यह सोच उचित ही है और इसे प्रधानमंत्री की सोच न कहकर इस देश के बहुसंख्यक मतदाताओं की भी सोच कहा जा सकता है। अधिकतर […]
भारतवर्ष हिन्दुओं की अंतिम शरणस्थली है। हिन्दू ही हैं जो इस देश को अपना मानते हैं और अपना मानकर भी इससे प्रेम करते हैं। आज यह विचारणीय है कि यदि विश्व के किसी भी कोने में, हिन्दुओं पर आक्रमण होते हैं तो हिन्दू कहां जायेंगे..? स्वाभाविक रूप से वे हिन्दुस्थान में अर्थात भारत वर्ष में […]
यदि कोई मुझसे ये पूछे कि भारत के पास ऐसा क्या है-जो उसे संसार के समस्त देशों से अलग करता है?-तो मेरा उत्तर होगा-उसका गौरवपूर्ण अतीत का वह कालखण्ड जब वह संसार के शेष देशों का सिरमौर था अर्थात ‘विश्वगुरू’ था। जब मेरे से कोई ये पूछे कि भारत के पास ऐसा क्या है-जिससे वह […]
(एक दिन प्रात:काल में मुझसे श्रद्घेय ज्येष्ठ भ्राताश्री प्रो. विजेन्द्रसिंह आर्य-मुख्य संरक्षक ‘उगता भारत’-ने अपनी समीक्षक बुद्घि से सहज रूप में पूछ लिया कि-‘देव! महर्षि पतंजलि के ‘योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:’ पर तुम्हारे क्या विचार हैं? तब मैंने श्रद्घेय भ्राताश्री को अपनी ओर से जो प्रस्तुति दी, उसी से यह आलेख तैयार हो गया। हमारी उक्त चर्चा चलभाष […]