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विशेष संपादकीय

खण्डित जनादेश को बांध गये मोदी

भारत के लोकतंत्र को बिकाऊ घोड़ों की मण्डी बनाने वालों और यहां आम चुनावों में मिलने वाले जनादेश की मनमानी व्याख्या करके सिरों की गिनती के आधार पर लोकतंत्र के साथ ‘क्रूर उपहास’ करने वाले लोगों के लिए वास्तव में ही सोचने का समय है। 16वीं लोकसभा में देश के मतदाताओं ने जिस परिपक्वता के […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-19

गतांक से आगे….. कानपुर में हमारे मित्र पं. बेनीमाधवजी प्रसिद्घ पंडित हैं। आपके चार पुत्र थे, चारों के नाम आपने राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न रक्खे थे, जिनमें राम और लक्ष्मण अब तक चिरंजीव हैं। प्रयाग जिले के बघेला ताल्लुकेदार कुंवर भरत सिंह जी यूपी में सैशन जज थे। वे चार भाई थे। चारों के […]

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विशेष संपादकीय

मोदी और पाकिस्तान की स्थिति

हर देश की शासकीय नीतियां कुछ इस प्रकार बनायी जाती हैं कि उनसे उसका पड़ोसी देश उस पर हावी न होने पाए और वह अपने देश की सीमाओं के भीतर पूरी तरह शांति-व्यवस्था बनाये रखकर विकास की राह पर चलता रहे। पर पाकिस्तान की नीतियां इनसे इतर रही हैं। उसे अपने देश की नीतियों का […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा

गतांक से आगे…..सोमक साहदेव्यइसी प्रकार का दूसरा अलंकार ऋग्वेद 4-15 में आए हुए सोमक: साहदेव्य: के विषय का है। जिस पर यहां थोड़ा सा प्रकाश डालने की आवश्यकता है। रायबहादुर चिंतामणि विनायक वैद्य एम.एम. लिखते हैं कि ये सोमक सहदेव महाभारत कालीन व्यक्ति हैं।महाभारत मीमांसा पृष्ठ 107 पर वैद्य जिन सहदेव सोमक का जिक्र करते […]

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विशेष संपादकीय

ज्योति से ज्योति जगाते चलो

चढ़ते सूर्य को नमस्कार करने की भारतीय परंपरा बहुत प्राचीन है, वैज्ञानिक है। सूर्य आकाश में चढ़कर ही ढंग से प्रकाश फेेलाता है। इसलिए इस साधना के पीछे साधक की भावना है कि मैं भी ऊंचा चढ़कर संसार में अज्ञानांधकार को मिटाने के लिए प्रकाश फेेलाने वाला बनूं। इसलिए वेद ने कहा-उद्यानं ते पुरूष नावयानम्। […]

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विशेष संपादकीय

बंद मुट्ठी लाख की…

तीन व्यक्ति जा रहे थे। उन तीनों की मुठ्ठियां बंद थीं और वे आपस में बिना बात किये चुप अपने गंतव्य की ओर बढ़े जा रहे थे। एक व्यक्ति ने दूर से उन्हें अपनी ओर मौनावस्था में आते देखा। वह व्यक्ति उन तीनों के अपने निकट आने पर उनकी बंद मुट्ठी देखकर उनके प्रति और […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-17

गतांक से आगे…..‘उदय अगस्त पंथजल सोखा’ यह तुलसीदास ने भी लिखा है। संभव है नहुष आकाशस्थ पदार्थों में से बादल ही हो। क्योंकि ऋग्वेद 10/49/8 में वह सप्ताहा-सात किरणों का मारने वाला कहा गया है। जो बादल के सिवा और कुछ नही हो सकता। महाभारत की कथा के अनुसार नहुष ने इंद्र का पद पाया […]

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विशेष संपादकीय

हमारी जिन्दादिली और हमारा लोकतंत्र

दिल के टूटने पर भी हंसना,शायद जिंदादिली इसी को कहते हैं।ठोकर लगाने पर भी मंजिल तक भटकना,शायद तलाश इसी को कहते हैं।किसी को चाहकर भी न पाना,शायद चाहत इसी को कहते हैं।टूटे खंडहर में बिना तेल के दीया जलाना,शायद उम्मीद इसी को कहते हैं।गिर जाने पर भी फिर से खड़ा होना,और ये उम्मीद, हिम्मत, चाहत […]

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विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-16

गतांक से आगे…..इन किसानों के पशु क्या हैं? सो भी देखिए-एह यन्तु पशवो से परेयुर्वायुर्येषां सहचारं जुजोष।त्वष्टा येषां रूपघेयानि वेदास्मिन तान गोष्ठे सविता नि यच्छतु ।।अर्थात जिन पशुओं का सहचारी वायु है, त्वष्टा जिनके नामरूप जानता है और जो बहुत दूर है, उनको सविता सूर्य गोष्ठ में पहुंचावे।वैदिक जानते हैं कि सूर्यकिरणों को गौ और […]

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विशेष संपादकीय

नेता बना रहे हैं देश का मूर्ख

मुजफ्फरनगर दंगों के विषय में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि ये दंगा सरकार की लापरवाही से भड़का था। सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार को दंगा रोकने के लिए आवश्यक उपाय न करने और लापरवाही बरतने के लिए उत्तरदायी माना है। इसके लिए माननीय न्यायालय ने दोषी अधिकारियों […]

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