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विशेष संपादकीय

अखिलेश जी ! अतीक के अपने कारनामों का परिणाम है यह …..

देश में एक ‘घड़ियाल’ के मरने के बाद घड़ियाली आंसू बहाने वालों की संख्या देखते ही बनती है। कुछ लोग हैं जो अतीक रूपी घड़ियाल के मरने के बाद ऐसे आंसू बहा रहे हैं जैसे उनकी बहुत बड़ी हानि हो गई हो। जबकि ये भली-भांति जानते हैं कि कुछ समय पहले यही अतीक अहमद कितने […]

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विशेष संपादकीय

भारत का अमृत महोत्सव काल अर्थात सजग और सावधान रहने का काल

प्रो. संजय द्विवेदी अमृतकाल का समय सोते हुए सपने देखने का नहीं, बल्कि जागृत होकर संकल्प पूरे करने का है एक राष्ट्र के लिए, विशेष रूप से भारत जैसे प्राचीन देश के लंबे इतिहास में, 75 वर्ष का समय बहुत छोटा प्रतीत होता है। लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर यह कालखंड एक जीवन-यात्रा जैसा है। हमारे […]

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आतंकवाद विशेष संपादकीय

सांप्रदायिक दंगे और हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य

कुछ लोग भारत में सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए यह तर्क देते हैं कि भारत में प्राचीन काल से ही सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने के प्रति लोगों में सतर्कता बनी रही है । इस बात से किसी सीमा तक हम भी सहमत हैं , परंतु हमारी सहमति वहीं तक है जहां तक […]

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विशेष संपादकीय व्यक्तित्व

वेद प्रताप वैदिक थे हिंदी उन्नयन के महान पुरोधा

समकालीन इतिहास के एक दैदीप्यमान नक्षत्र वेद प्रताप वैदिक जी का अवसान हो गया है। भारत की राष्ट्रवादी पत्रकारिता के लिए उनका अवसान निश्चय ही दु:खद है। उन जैसे राष्ट्रवादी चिंतक पत्रकार का जाना पत्रकारिता जगत के लिए अपूर्णनीय क्षति है। उन्होंने पत्रकारिता जगत में रहते हुए भारत के इतिहास के गौरवपूर्ण पक्ष, भारत के […]

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विशेष संपादकीय

भारत की विदेश : नेहरू से मोदी तक

भारत ने अपनी स्वाधीनता के आंदोलन को उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के विरुद्ध लड़ा था। भारत जैसे विशाल देश में चल रहे इस आंदोलन का दुनिया के अन्य देशों पर व्यापक प्रभाव पड़ा और इसी का परिणाम था कि द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के पश्चात ब्रिटेन सहित उन सभी देशों को अपने – अपने सभी उपनिवेशों […]

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आतंकवाद विशेष संपादकीय

केजरीवाल और अशांत होता पंजाब

पंजाब में एक पुलिस थाने पर खालिस्तान समर्थकों का हमला होना इस बात का संकेत और संदेश है कि आम आदमी पार्टी की सरकार के चलते पंजाब फिर आतंकवाद और अलगाववाद की डगर पर चल पड़ा है। वैसे भी यह एक सर्वमान्य सत्य है कि खालिस्तान समर्थकों का दिमाग ठीक नहीं है और विदेशी शक्तियां […]

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विशेष संपादकीय

विषकन्या लेडी माउंटबेटन ,नेहरू और देश की आजादी

1947 में जब देश का विभाजन हुआ तो उस समय विभाजन की पीड़ा को झेलते हुए 10 लाख लोग मरे या 20 लाख लोग मरे ? यह आंकड़ा कभी स्पष्ट नहीं किया गया। कांग्रेस की इसी गलत सोच का परिणाम था कि मुस्लिम लीग और इस्लाम के मजहबपरस्त उन्मादी लोग अपनी सांप्रदायिकता का नंगा नाच […]

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विशेष संपादकीय

नई संभावनाओं का प्रतीक बना योगी आदित्यनाथ का उत्तर प्रदेश

आर्थिक क्षेत्र में ‘प्रिंसिपल ऑफ 4 एम’ अर्थात Man, Money, Material and Management बड़ा कारगर काम करता है। इस प्रिंसिपल की कसौटी पर उत्तर प्रदेश पहले दिन से खरा उतरने की क्षमता रखता था ,पर इसे ठीक से ‘मैनेज’ नहीं किया गया। उसी का परिणाम था कि उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की पूर्व […]

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विशेष संपादकीय

मोहन भागवत का बयान और भारत में जातिवाद

शुद्र को लेकर हमारे देश में अक्सर चर्चा होती रहती है और उनकी दयनीय स्थिति के लिए मनु महाराज को दोषी बताया जाता रहता है। मनु को जातिवाद का जनक भी कहा जाता है। जबकि सच यह नहीं है मनु वर्ण व्यवस्था के समर्थक है। यह वर्ण व्यवस्था पूरे संसार में आज भी ज्यों की […]

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विशेष संपादकीय

आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रही मप्र की लाखों महिला कर्मचारी

पूजा यादव भोपाल, मप्र मध्य प्रदेश में 85 हजार आशा, उषा और इनके कामों में सहयोग करने और निगरानी करने वाली आशा पर्यवेक्षक हैं, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित स्वास्थ्य योजनाओं में काम करती हैं, लेकिन न तो इन्हें स्थायी कर्मचारी का दर्जा प्राप्त है और न ही […]

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