पंडित जवाहरलाल नेहरू वेद में आए ‘दक्षिणा’ शब्द का अर्थ नहीं जानते थे। भौतिक जगत में मंदिरों में होने वाली दक्षिणा को वह ‘हिंदू सांप्रदायिकता’ के साथ जोड़कर देखते थे। यही कारण था कि वे मंदिरों को भी संप्रदाय का प्रतीक मानते थे और नए मंदिर बनाने की वकालत नए-नए उद्योग ,हॉस्पिटल, स्कूल आदि बनाकर […]
श्रेणी: समाज
अंजू नायक बीकानेर, राजस्थान हमारे देश की अर्थव्यवस्था मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों पर निर्भर करती है। आज भी देश की 74 प्रतिशत आबादी यहीं से है। लेकिन इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्र आज भी कई प्रकार की बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। इनमें सड़क की समस्या भी अहम है। कुछ दशक पूर्व देश के ग्रामीण क्षेत्रों के […]
आज पश्चिमी जगत के अनेक विद्वान इस बात पर बल देते हैं कि संसार को व्यक्ति की मौलिक स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाने वाला पश्चिमी जगत है, पर सच यह नहीं है। पश्चिमी जगत का इतिहास उठाकर देखिए , वहां पर लाखों करोड़ों लोगों को मार-मारकर समाप्त किया गया । इसके पीछे व्यक्ति के अधिकारों को […]
तसनीम कौसर पुंछ, जम्मू “मुमताज अब तीन साल की है, यास्मीन चार साल की और इम्तियाज तथा नियाज पांच और सात साल के हैं। मैं अपने बच्चों से बहुत प्यार करता हूं। इसलिए एक मां की तरह उनका ख्याल रखता हूं। हालांकि उनकी मां अभी जीवित है, लेकिन वह बच्चों की परवरिश करने की स्थिति […]
भारत में प्रत्येक राष्ट्रवासी को ( नागरिक नहीं) समान अधिकार प्राप्त हों और प्रत्येक व्यक्ति अपनी मानसिक, शारीरिक और आत्मिक उन्नति कर सके , इसके लिए ऋषियों ने तप किया। स्वामी दयानंद जी महाराज भारत के आधुनिक इतिहास के ऐसे पहले महानायक हैं जिन्होंने तप को राष्ट्र का आधार बनाया। उन्होंने इस बात को गंभीरता […]
इन सभी नेताओं का वीर सावरकर जी के प्रति बहुत श्रद्धा का भाव था । वीर सावरकर जी जेलों में रहते हुए भी जिस प्रकार भारतीय धर्म , संस्कृति और इतिहास के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे थे , उसका भारत के ये सभी नेता हृदय से सम्मान करते थे । वीर सावरकर जी […]
बात 1920 – 21 की है , जिस समय अंग्रेजी सरकार ने तुर्की के बादशाह को उसके पद से हटा दिया था , जो कि मुस्लिम जगत का खलीफा अर्थात धर्मगुरु था। इसको लेकर भारत के मुसलमानों में आक्रोश था । मुसलमान चाहते थे कि उनके खलीफा का पद यथावत बना रहे और अंग्रेज उसमें […]
आज आर्यसमाज के लिए अपने अंत:करण में झांकने का समय है। अपने आपसे ही कुछ पूछने का समय है। प्रश्न भी टेढ़े- मेढ़े नही अपितु सपाट सीधे कि ‘ऋषि मिशन भटका या हम भटके, हमारी वाणी कर्कश हुई या हम रूखे फीके और नीरस हो गये? अंतत: हम ऋषि के राष्ट्र जागरण को एक दिशा […]
ऋषि दयानन्द संसार के इतिहास के एकमात्र ऐसे महापुरुष हैं जिनके जाने के पश्चात उनके विरोधियों ने भी उनकी मृत्यु पर अफसोस व्यक्त किया था। उन्होंने अपनी दिव्य प्रतिभा से विरोधियों पर भी अपनी अद्भुत छाप छोड़ी। उन्होंने संसार के प्रत्येक वर्ग ,समुदाय या संप्रदाय के बुद्धिजीवियों को बौद्धिक रूप से झकझोर कर रख दिया […]
आर्य समाज एक ऐसी साबुन है जो समाज के प्रत्येक दाग धब्बे को धोने का काम करती है। स्वामी दयानंद जी महाराज ने दीर्घकाल के परिश्रम के उपरांत यह निर्णय लिया था कि देश को निरंतर शुद्ध बनाए रखने के लिए किसी ऐसे संगठन की आवश्यकता है जो चौबीसों घंटे समाज और राष्ट्र की आराधना […]