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भारत में बाल तस्करी की बढ़ती आपराधिक प्रवृत्ति

ललित गर्ग- देश की राजधानी दिल्ली में तमाम जांच एजेंसियों की नाक के नीचे नवजात बच्चों की खरीद-फरोश्त की मंडी चल रही थी जहां दूधमुंहे एवं मासूम बच्चों को खरीदने-बेचने का धंधा चल रहा था। दिल्ली की ‘बच्चा मंडी’ के शर्मनाक एवं खौफनाक घटनाक्रम का पर्दापाश होना, अमानवीतया एवं संवेदनहीनता की चरम पराकाष्ठा है। जिसने […]

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…..तो क्या इतिहास मिट जाने दें ? अध्याय 1 ख अतीत के उजालों को प्रस्तुत करना होगा

पंथनिरपेक्षता की अवधारणा में किसी भी दृष्टिकोण से अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों का तब उल्लंघन नहीं होता जब देश अपने गौरवपूर्ण अतीत को उद्घाटित और प्रस्तुत करने के लिए इतिहास को दोबारा लिखने का परिश्रम करना चाहता हो या उन ऐतिहासिक स्थलों के नामों को फिर से बदलने की कवायद करने की इच्छा रखता हो, […]

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बदायूं हत्याकांड: इतना सन्नाटा क्यों है भाई??

✍️मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” 28 जून 2022 को राजस्थान के उदयपुर में हुई एक घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। जिसमें एक निर्दोष दर्जी टेलर मास्टर कन्हैयालाल की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी. हत्या का आरोप मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद पर लगाया गया था। आरोपियों ने इस जघन्य हत्याकांड […]

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महर्षि दयानंद जी का स्वलिखित जीवन चरित्र, भाग 12 • मथुरा के अमरलाल जोशी को कभी न भूलूंगा-

मथुरा में एक भद्रपुरुष अमरलाल नाम का था। उसने भी जब मैं विद्याध्ययन करता था, उस समय जो मेरे पर उपकार किये हैं उनको मैं कभी न भूलूंगा। पुस्तकों की सामग्री, खाने-पीने का प्रबन्ध उसने बहुत ही उत्तम मेरा कर दिया। उसे जब कहीं बाहर रोटी खाने को जाना होता तो प्रथम मुझको घर में […]

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महर्षि दयानंद जी का स्वलिखित जीवन चरित्र, भाग 11 योगियों की खोज में नर्मदा के स्रोत की ओर-

चैत सुदी संवत् १९१४ वि० अर्थात् २६ मार्च सन् १८५७ बृहस्पतिवार को वहां से आगे चल पड़ा और उस ओर प्रयाण किया जिधर पहाड़ियां थीं और जिधर नर्मदा नदी निकलती है अर्थात् उद्गमस्थान की ओर चला (यह नर्मदा की दूसरी यात्रा थी ) मैंने कभी एक बार भी किसी से मार्ग नहीं पूछा। प्रत्युत दक्षिण […]

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महर्षि दयानंद जी का स्वलिखित जीवन चरित्र, भाग 10 रावल जी से अन्तिम भेंट-

मुझे देखकर रावज जी और उनके साथी, जो सब घबराये हुए थे, आश्चर्य चकित रह गये और उन्होंने मुझसे पूछा कि आज सारे दिन तुम कहां रहे ? तब मैंने जो कुछ हुआ था अक्षरशः सुना दिया। उस रात्रि को थोड़ा सा खाना खाकर, जिससे कि मेरी शक्ति नये सिरे से लौटती हुई प्रतीत हुई- […]

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महर्षि दयानंद जी का स्वलिखित जीवन चरित्र, भाग 9 ओखीमठ का आडम्बर, ‘सत्य, योगविद्या व मोक्ष की खोज के लिये पागल ने ऐश्वर्य को यहां भी लात मारी-

परन्तु इस यात्रा की लालसा मुझे ओखीमठ को फिर ले गई ताकि वहाँ गुफा निवासियों का वृत्तान्त जानू । सारांश यह कि वहाँ पहुंच कर मुझे ओखीमठ के देखने का अच्छा अवसर प्राप्त हुआ जो कि बाहरी आडम्बर करने वाले पाखंडी साधुओं से भरा हुआ था। यहां के बड़े महन्त ने मुझे अपना चेला करने […]

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महर्षि दयानंद जी का स्वलिखित जीवन चरित्र, भाग 8 केदार घाट आदि में पंडितों व ब्राह्मणों से भेंट-

तत्पश्चात् मैं वहां से श्रीनगर को चल पड़ा। यहां मैंने केदारघाट पर एक मंदिर में निवास किया। यहां के पंडितों से बातचीत के समय जब कोई वादानुवाद का अवसर होता तो उनको उन्हीं तन्त्रों से हरा देता था। इस स्थान पर एक गंगागिरी नामक साधु से (जो दिन के समय अपने पर्वत से, जो एक […]

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महर्षि दयानंद जी का स्वलिखित जीवन चरित्र, भाग 7 विभिन्न स्थानों पर गुरुओं द्वारा योगसाधन की क्रियात्मक शिक्षा (संवत् १९०६ वि०)

जब यह सुना कि व्यासाश्रम में योगानन्द नामक एक स्वामी रहते हैं, वे योगविद्या में अति निपुण हैं तो शीघ्र वहां पहुंचा और उनके पास योगविद्या पढ़ने लगा और उसके आरम्भ के सब ग्रन्थ अच्छी प्रकार पढ़कर और क्रिया सीख कर चित्तौड़” नगर को गया क्योंकि एक कृष्णशास्त्री चितपावन दक्षिणी ब्राह्मण उसके आस-पास में रहते […]

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महर्षि दयानंद जी का स्वलिखित जीवन चरित्र, भाग 6 नर्मदा तट तथा आबू पर्वत पर अनेक सच्चे योगियों से योग की शिक्षा

नर्मदा तट तथा आबू पर्वत पर अनेक सच्चे योगियों से योग की शिक्षा चाणोद कन्याली में प्रथम बार सच्चे दीक्षित विद्वानों से अध्ययन- बड़ौदा में एक बनारस की रहने वाली बाई से सुना कि नर्मदा तट पर बड़े-बड़े विद्वानों की एक सभा होने वाली है। यह सुनकर मैं तुरन्त उस स्थान को गया । वहां […]

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