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समाज

मानसिक रुग्णता, समाज और सरकार

मानसिक रोगियों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय की चिंता नई नहीं है। इसके पहले भी न्यायालय देश में बढ़ रहे मानसिक रोगियों को लेकर अपनी चिंता जता चुका है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस बार के आदेश में मानसिक रोगियों के पुनर्वास की बात भी कही गई है। कोर्ट ने माना है कि ऐसे कई रोगी […]

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संपादकीय समाज

तीन तलाक पर फिर बहस

मुसलमानों में तीन तलाक की परम्परा उतनी ही पुरानी है जितना पुराना इस्लाम है। इस्लाम के प्रगतिशील उदार और मानवतावादी विद्वानों का मत है कि वैवाहिक जीवन को तोडऩे का अधिकार इस्लाम में ना केवल पति को प्राप्त है अपितु पत्नी को भी प्राप्त है। यदि कोई पति अपनी पत्नी पर अत्याचार करता है और […]

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मुद्दा संपादकीय समाज

देश को जाति युद्घ से बचाओ

हमारे संविधान निर्माताओं ने देश की आर्थिक प्रगति में सभी वर्गों और आंचलों के निवासियों को जोडऩे के लिए और आर्थिक नीतियों का सबको समान लाभ प्रदान करने के लिए ‘आरक्षण’ की व्यवस्था लागू की थी। आरक्षण की यह व्यवस्था पूर्णत: मानवीय ही थी-क्योंकि इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से उपेक्षित रहे, दबे, कुचले लोगों को […]

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समाज

एक दयालु नागरिक बनिए

दयालु होना अपने और दूसरों के भी जीवन को अर्थपूर्ण बनाने का एक महत्वपूर्ण गुण है। पियेरो फेरूबी के अनुसार दयालुता का अर्थ है ”कम प्रयत्न” करना। क्योंकि हमें नकारात्मक व्यवहार और नाराजग़ी, जलन, शंका और धोखेबाजी के बंधन से आजाद करती है। बेहतर मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य और खुशी अधिक सकारात्मक सोच से आती है, और […]

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समाज

भावशून्य हो रही है नई पीढ़ी

शिक्षा व्यवस्था में हैं खामियां जो माता पिता अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देते वे बच्चे घर पर टीवी, वीडियो आदि के रोग ग्रस्त हो जाते हैं। जो नहीं देखा सुना जाना चाहिए वह सब उसके माध्यम से अबोध बालक जानने लगता है। जिससे पढ़ाई में विशेष ध्यान नहीं दे पाते और उसी में सुख […]

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समाज

मानव अधिकार हमारे स्वभाव में अंतर्निहित हैं

हर कोई दूसरे की तरफ अगुवाई के लिए देख रहा था तथा हमलावरों पर कोई नियंत्रण नहीं रहा। राष्ट्रसंघ अगले युद्ध को रोकने में असमर्थ एक लाचार संस्था साबित हुआ। नाजियों के द्वारा प्रायोजित नस्ल की सर्वोच्चता का झूठा सिद्धांत तथा खून की प्यासी दो अन्य शक्तियों की धनलिप्ता के कारण 1939 में द्वितीय विश्वयुद्ध […]

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