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समाज

नकली दवा का दर्द

बाल मुकुंद ओझा घटिया और नकली चिकित्सीय उत्पादों का बाजार, प्रभावी नियंत्रण के अभाव में, लगातार बढ़ रहा है। मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहे इसके खतरनाक प्रभाव को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में एक बेहद चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। भारत सहित अ_ासी देशों में किए गए अध्ययन पर आारित इस […]

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समाज

चिंतित करता है गांवों से पलायन

घनश्याम सिंह हिमाचल प्रदेश में यदि खेतीबाड़ी की दशा सुधारने के लिए प्रयास किए जाएं, तो यह क्षेत्र प्रदेश की तरक्की में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके विपरीत यदि समय रहते हमने इस पर उचित ध्यान न दिया, तो खाद्यान्न संकट के साथ-साथ कई और गंभीर समस्याएं देश-प्रदेश को सताना शुरू कर देंगी। […]

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खेल/मनोरंजन समाज

पद्मावती फिल्म में जौहर का अपमान!

देश में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मूल्यों का उपहास उड़ाने का खेल लम्बे समय से चल रहा है। तथाकथित वामपंथी बुद्धिजीवी के दिमाग की उपज कहे जाने वाले इन उपहासों के पीछे मात्र यही भाव प्रदर्शित होता है कि जिनसे समाज को प्रेरणा मिलती है, उन्हें किसी प्रकार से मिटाया जाए और उनके प्रति लोगों में […]

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समाज

दिव्यांगों को सहानुभूति नहीं, सहयोग चाहिए

दिव्यांगजनों की हमारे समाज में क्या स्थिति है तथा उनके प्रति समाज की क्या मानसिकता है? दरअसल, न केवल भारत में बल्कि समूची दुनिया में एक समय तक दिव्यांगता को सिर्फ चिकित्सा संबंधी समस्या समझा जाता था, लेकिन समय के साथ सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंस आदि दिव्यांग व्यक्तियों द्वारा जिस तरह से जीवन के विभिन्न […]

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मुद्दा समाज

अंधेरा होते ही महिला स्वतंत्रता की बातें हो जाती हैं छू-मंतर

बाल मुकुन्द ओझा भारत में 1975 से हर साल आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर महिलाओं के अधिकार, उनके सम्मान और अर्थव्यवस्था में उनकी भागीदारी की चर्चा होती है, महिलाओं को प्रोत्साहन देने की बात होती है। यह दिन महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक तरक्की दिलाने […]

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समाज

समय की जरूरत है पानी बचाना

अतुल कनक पिछले दिनों जब मुंबई शहर में मानसून की पहली बारिश के बाद सडक़ें दरिया बन कर उफन रही थीं- सुदूर दक्षिण से आई यह खबर विचलित करने वाली थी कि तमिलनाडु इस दशक के सबसे भीषण जल संकट से जूझ रहा है। जून के तीसरे सप्ताह में चेन्नई में पेयजल की आपूर्ति घटा […]

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अन्य महत्वपूर्ण लेख मुद्दा समाज

बाबाओं की समानांतर सत्ता के दुष्फल

बाबाओं के पास जो भीड़ जमा होती है, उसके मूल में दुख है, अभाव है, गरीबी है या अशांति है। कोई बेटे से परेशान है, कोई बहू से, कोई नौकरी से, कोई जमीन के झगड़े में फंसा है और किसी को कोर्ट-कचहरी के चक्कर में जायदाद बेचनी पड़ गई है। या तो धन ही नहीं […]

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पर्यावरण भयानक राजनीतिक षडयंत्र भारतीय संस्कृति मुद्दा राजनीति संपादकीय समाज

भारत का यज्ञ विज्ञान और पर्यावरण नीति, भाग-4

महर्षि दयानंद ने कहा था- ”यदि अब भी यज्ञों का प्रचार-प्रसार हो जाए तो राष्ट्र और विश्व पुन: समृद्घिशाली व ऐश्वर्यों से पूरित हो जाएगा।” इस बात से लगता है कि भारत सरकार से पहले इसे विश्व ने समझ लिया है।  देखिये-फ्रांसीसी वैज्ञानिक प्रो. टिलवट ने कहा है- ”जलती हुई खाण्ड के धुएं में पर्यावरण […]

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खेल/मनोरंजन महत्वपूर्ण लेख मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय समाज

खेल की राजनीति और राजनीति का खेल

खेल की भावना से यदि कोई कार्य किया जाए तो उसे सबसे उत्तम माना जाता है। खेल में बच्चे गिरते हैं-चोट खाते हैं, जीतते और हारते हैं-पर खेल के मैदान से बाहर आते ही हाथ मिला लेते हैं। हार जीत के खट्टे मीठे अनुभवों को वहीं छोड़ देते हैं, और एक अच्छे भाव के साथ […]

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समाज

ध्वनि प्रदूषण न हिन्दू न मुस्लिम,केवल हानिकारक

अनेकता में एकता जैसी विशेषता के लिए जो भारतवर्ष पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता था वही भारतवर्ष इन दिनों जातिवादी तथा क्षेत्रवाद जैसी विडंबनाओं का शिकार हो रहा है। वर्ग विशेष के लोग अपने ही समाज के किसी दूसरे वर्ग के लोगों पर निशाना साधने के कोई न कोई बहाने तलाश कर रहे […]

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