Categories
संपादकीय समाज

तीन तलाक पर फिर बहस

मुसलमानों में तीन तलाक की परम्परा उतनी ही पुरानी है जितना पुराना इस्लाम है। इस्लाम के प्रगतिशील उदार और मानवतावादी विद्वानों का मत है कि वैवाहिक जीवन को तोडऩे का अधिकार इस्लाम में ना केवल पति को प्राप्त है अपितु पत्नी को भी प्राप्त है। यदि कोई पति अपनी पत्नी पर अत्याचार करता है और […]

Categories
मुद्दा संपादकीय समाज

देश को जाति युद्घ से बचाओ

हमारे संविधान निर्माताओं ने देश की आर्थिक प्रगति में सभी वर्गों और आंचलों के निवासियों को जोडऩे के लिए और आर्थिक नीतियों का सबको समान लाभ प्रदान करने के लिए ‘आरक्षण’ की व्यवस्था लागू की थी। आरक्षण की यह व्यवस्था पूर्णत: मानवीय ही थी-क्योंकि इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से उपेक्षित रहे, दबे, कुचले लोगों को […]

Categories
समाज

एक दयालु नागरिक बनिए

दयालु होना अपने और दूसरों के भी जीवन को अर्थपूर्ण बनाने का एक महत्वपूर्ण गुण है। पियेरो फेरूबी के अनुसार दयालुता का अर्थ है ”कम प्रयत्न” करना। क्योंकि हमें नकारात्मक व्यवहार और नाराजग़ी, जलन, शंका और धोखेबाजी के बंधन से आजाद करती है। बेहतर मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य और खुशी अधिक सकारात्मक सोच से आती है, और […]

Exit mobile version