*✍️बृजेश सिंह तोमर* (लेखक वरिष्ठ एवं स्वतंत्र पत्रकार है) ★स्वामी दयानंद जी ने कहा था, एक पुरुष के शिक्षित और सुसंस्कृत होने का अर्थ है अकेले उसी का उपयोगी बनना किंतु एक स्त्री यदि शिक्षित,समझदार, सुयोग्य है तो समझना चाहिए कि पूरे परिवार के सुसंस्कृत बनने का सुदृढ़ आधार बन गया है। महिलाओं को घर […]
Category: समाज
रोज़गार के संकट से जूझती गांव की युवा पीढ़ी
मुरमा कंवर लूणकरणसर, राजस्थान कृषि, पशुधन और हस्तशिल्प हमेशा से ग्रामीण राजस्थान की पारंपरिक जीवनशैली का केंद्र रहे हैं. इन स्रोतों से हजारों परिवार अपनी आजीविका कमाते रहे हैं. लेकिन हाल के वर्षों में बदलती परिस्थितियों, जलवायु परिवर्तन और प्रौद्योगिकी के प्रसार ने राजस्थान की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है. जिससे बेरोजगारी […]
शोषण के खिलाफ अब बोलती हैं किशोरियां
रजनी प्रकाश / सोनम कुमारी पटना, बिहार “स्कूल जाते थे तो कुछ लड़के कभी कभी कमेंट करते रहते थे. एक दिन हम लोग अच्छे से सुना दिए, खूब ज़ोर ज़ोर से चिल्ला कर उनको बोलने लगे. आसपास लोग भी जमा हो गए थे. सब मिलकर उन लड़कों को खूब डांटे. उसके बाद से आज तक […]
मंजूनाथ लूणकरणसर, राजस्थान आज़ादी के बाद देश कई स्तर पर समस्याओं का सामना कर रहा था. जिसमें सबसे प्रमुख महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य था. यह समस्या देश के ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे अधिक देखी जा रही थी. जहां बच्चों के लिए दवाइयां, समय पर उनका टीकाकरण के साथ साथ गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण, उनका […]
हेमलता शाक्यवल जयपुर, राजस्थान हमारे देश में लड़का और लड़की के बीच अंतर आज भी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है. वैसे तो यह अंतर सभी जगह नज़र आता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी स्लम बस्तियों के सामाजिक परिवेश में किशोर और किशोरियों के बीच किया जाने वाला भेदभाव अपेक्षाकृत अधिक होता है. […]
-ललित गर्ग – भारतीयों में विदेश जाकर पढ़ने और नौकरी का क्रेज है, यह सालों से रहा है। पंजाब, गुजरात के लोगों ने अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन में अपनी अच्छी जगह बनाई है लेकिन हाल के सालों में बहुत सारे भारतीय गैर-कानूनी यात्रा के शिकार होकर कुछ ने अपनी जान गवांई है तो कुछ अनेक तकलीफों […]
-ललित गर्ग – आत्महत्या दुनियाभर में एक गंभीर मुद्दा एवं बड़ी समस्या है। मौजूदा समय में दुनिया भर में इसके मामले खतरनाक दर से बढ़ रहे हैं। ऐसे में इस गंभीर विषय के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं आत्महत्या का पलायनवादी विचार छोड़ने के उद्देश्य से हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम […]
बच्चों की हिंसा प्रवृत्ति का शिकार होता समाज
– ललित गर्ग – भारतीय बच्चों में बढ़ रही हिंसक प्रवृत्ति चिन्ताजनक है। पिछले कुछ समय से स्कूली बच्चों में बढ़ती हिंसा की प्रवृत्ति निश्चित रूप से डरावनी एवं खैफनाक है। चिंता का बड़ा कारण इसलिए भी है क्योंकि जिस उम्र में बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास की नींव रखी जाती है, उसी उम्र […]
============ युवक व युवतियों के वैदिक विधि से विवाह होने से पति व पत्नी गृहस्थी कहलाते हैं। विवाह के बाद का जीवन गृहस्थ जीवन तथा इसे ही गृहाश्रम भी कहते हैं। गृहस्थाश्रम पर लोगों के तरह तरह के विचार हैं। कोई गृहाश्रम को अच्छा मानता है और ऐसे भी लोग हैं जो इस आश्रम को […]
प्रियंका सौरभ गाजियाबाद ( ब्यूरो डेस्क ) अगर यह बलात्कार संस्कृति नहीं है, जिसे समाज के समझदार पुरुषों और महिलाओं, संस्थानों और सरकारी अंगों द्वारा समर्थित और बरकरार रखा जाता है, तो यह क्या है? आप सभी कानून, सभी तेज़ अदालतें, यहाँ तक कि मौत की सज़ा भी ला सकते हैं, लेकिन कुछ भी नहीं […]