Categories
आज का चिंतन समाज

आखिर क्यों बदल रहे हैं मनोभाव और टूट रहे हैं परिवार ?

  भौतिकवादी युग में एक-दूसरे की सुख-सुविधाओं की प्रतिस्पर्धा ने मन के रिश्तों को झुलसा दिया है. कच्चे से पक्के होते घरों की ऊँची दीवारों ने आपसी वार्तालाप को लुप्त कर दिया है. पत्थर होते हर आंगन में फ़ूट-कलह का नंगा नाच हो रहा है. आपसी मतभेदों ने गहरे मन भेद कर दिए है. बड़े-बुजुर्गों […]

Categories
समाज

आत्महत्या से कैसे बचाएं,अपने लाडले के जीवन को

मिथिलेश कुमार सिंह खासकर, लॉकडाउन के समय सुशांत सिंह राजपूत से लेकर और भी कई सेलिब्रिटीज, यहां तक कि पूर्व सीबीआई निदेशक अश्विनी कुमार ने जिस प्रकार सुसाइड करके अपनी जीवन लीला समाप्त की, उसने हमारे समाज की कई परतें खोल कर रख दिया। वर्तमान युग में जहां तमाम सुविधाएं बढ़ी हैं, वहीं सुविधाओं के […]

Categories
समाज

औरों को हंसते देखो मनु, हंसो और सुख पाओ

योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ आज हम सभी कहीं-न-कहीं तनावों में घिरे हुए बेचैनी में जी रहे हैं। भौतिकता में फंसे हम अपने सिवा किसी के बारे में जैसे कभी सोच ही नहीं पाते या फिर सोचने का मन ही नहीं करता। महानगरों में बड़ी-बड़ी अट्टालिकाओं में रहकर भी जाने क्यों, हमें सुख और सुकून की […]

Categories
समाज

समझना ही होगा आधुनिक काल में सोशल मीडिया की संभावनाओं को

*डॉ0राकेश राणा* आधुनिक समाज में सोशल मीडिया एक प्रभावी भूमिका के साथ उभर रहा है। लोग ऑडियो, वीडियो, कॉल, संदेश, फोटो, प्रतीक सब जब चाहे क्षण भर में इधर से उधर दुनियां भर में भेज रहे है। कम खर्च और कम समय में कम उर्जा लगाकर पूरी दुनियां को दूहने में लगे हुए है सोशल […]

Categories
समाज

हाथरस मामले को उछलने के लिए की गई है 100 करोड रुपए की फंडिंग

हाथरस मामले में योगी सरकार को भेजी गई खुफिया जाँच रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। जाँच एजेंसियों को योगी सरकार के खिलाफ खतरनाक साजिश के अहम सुराग मिले हैं। हाथरस के बहाने योगी सरकार को बदनाम करने के लिए बड़ी साजिश रचने की बात सामने आ रही है। मामले में उत्तर […]

Categories
समाज

चरित्र निर्माण में दण्ड की अहम भूमिका

प्रो. लल्लन प्रसाद कहा जाता है कि प्रजातंत्र में जैसे लोग होते हैं, वैसा ही उन्हें राजा मिलता है। परंतु यह बात आंशिक रूप से ही सही है। भारतीय राजनीतिशास्त्रकारों के अनुसार चाहे राजतंत्र हो या प्रजातंत्र, जैसा राजा होता है, वैसी ही प्रजा होती है। यही कारण है कि सभी भारतीय राजनीतिशास्त्री इस बात […]

Categories
समाज

दलित की परिभाषा

डॉ. विवेक भटनागर कहा जाता है कि पुष्यमित्र शुंग के काल में ब्राह्मण और दलित जैसा विभाजन था, जबकि यह विभाजन मुसलमानों और अंग्रेजों की देन है। उन्होंने अपने समय में जो हमारी पुस्तकों से खिलवाड़ किया और हमारे समाज की वर्ण व्यवस्था को समझ नहीं सके। मुसलमानों को शेख सैयद, मुगल व पठान जैसे […]

Categories
कहानी समाज

पंचतंत्र की बकरी की कहानी और आज का सोशल मीडिया

आज सोशल मीडिया के बारे में कुछ बातें करते हैं, बहुत से मित्रों के कई प्रश्न हैं इस विषय पर, तो ये दावा तो नहीं है कि सभी के उत्तर दे सकता हूँ लेकिन कुछ बातें अवश्य समझने जैसी हैं। पंचतंत्र से ही बात शुरू करते हैं ब्राह्मण की बकरी को ठगों द्वारा चुराने की […]

Categories
समाज

स्त्रियों के प्रति अपराध अगर कम करने हैं तो वैदिक शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए

विकास पराशर आधुनिकता और शहरीकरण के नाम पर समाज में एक सोची समझी नीति के तहत हिंदुओं में पूजनीय स्त्री के प्रति निकृष्ट नजरिया सिनेमा जगत व अन्य संचार माध्यमों के द्वारा पैदा कर दिया गया है। इस सामाजिक पतन में संस्काररहित अधूरी शिक्षा नीति का योगदान है। इस शिक्षा से लोगों में भोगवादी नजरिया […]

Categories
समाज

आपका स्वागत (नहीं) है

सामाजिक व्यवस्था पर एक करारा व्यंग *************** – _राजेश बैरागी-_ किसी भी कार्यालय का मुख्य प्रवेश द्वार स्वागत पटल से बाधित होता है। अच्छे खासे सूटेड-बूटेड आदमी से स्वागत पटल पर जैसी पूछताछ होती है वैसी शायद सीबीआई भी नहीं करती। स्वागत करने वाली बाला या बाल आपसे तनिक भी प्रभावित नहीं होते। उन्हें अंदर […]

Exit mobile version