गोत्र परम्परा हमारे समाज में सदियों से चलती आयी हैं। इस परम्परा के अनुसार अपने पिता, माता, नानी और दादी के गोत्रों में विवाह करना वर्जित हैं। मीडिया और कुछ छदम बुद्दिजीवी सदा हमारी इस परम्परा की बुराई करते आये हैं। वैसे हमारी कोई भी अच्छी बात, अच्छी परम्परा हो ये लोग उसका सदा […]
श्रेणी: समाज
🙏बुरा मानो या भला🙏 ————मनोज चतुर्वेदी विद्वानों का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति को बर्बाद करना हो तो उसकी औलाद को बिगाड़ दो, यदि समाज को बिगाड़ना हो तो महिलाओं को बिगाड़ दो और अगर किसी देश को बर्बाद करना हो तो उसकी संस्कृति और सभ्यता को नष्ट कर दो। एक समय था […]
रमेश ठाकुर साल-दर-साल बढ़ती बाल श्रमिकों की संख्या वैसे ही चिंता का विषय बनी हुई थी। इसे कोरोना संकट ने और हवा दे दी। कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों का आंकड़ा भयभीत करता है। बड़ी संख्या में बच्चे अपने मां-बाप के न रहने से अनाथ हुए हैं। गनीमत ये है कि केंद्र व राज्य […]
“वृक्ष नामधारी गांव” “””””””””””””””””””””””””””””””” अ से आमका प से पीपलका न से नीमका ढ से ढाकका इ से इमलीयाका यह महज देवनागरी वर्णमाला से बने हुए शब्द पाठशाला पाठ मात्र नहीं है ।यह गौतम बुध नगर के गांवो के नाम है ।जिनकी पहचान नामकरण वहां बहुतायात में कभी पाए जाने वाले देशज वृक्षों के नाम […]
ओ३म् =========== गुरुकुल पौंधा-देहरादून देश में बालकों के प्रमुख गुरुकुलों में से एक है। इसकी स्थापना 21 वर्ष पूर्व जून, 2000 में हुई थी। हम इस स्थापना के अवसर पर उपस्थित थे और उसके बाद से गुरुकुल के सभी उत्सवों एवं अन्य कार्यक्रमों में सम्मिलित होते रहे हैं। बीच में भी जब मन करता है […]
आजादी के बाद हमारे देश के लोगों ने कहाँ तक आध्यात्मिक,नैतिक, राष्ट्रीय तथा आर्थिक उन्नति की है, यदि ईमानदारी से इसकी जांच की जाए तो मालूम होगा कि हमारा नैतिक पतन पराकाष्ठा तक पहुँच रहा है । विद्वानों ने कहा है, ” जिस जाति या व्यक्ति का धन चला जाता है वह वापिस आ सकता […]
रमेश सर्राफ धमोरा यूनिसेफ द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत के कई क्षेत्रों में अब भी बाल विवाह हो रहा है। इसमें कहा गया है कि पिछले कुछ दशकों के दौरान भारत में बाल विवाह की दर में कमी आई है। लेकिन कई प्रदेशों में यह प्रथा अब भी जारी है। […]
ललित गर्ग हमने करीब ढाई लाख से ज्यादा लोगों को खो दिया हैं, पीड़ित लोगों की संख्या करोड़ों में है। अस्पतालों में बेड नहीं। ऑक्सीजन के हाहाकार ने रूला दिया है। जरूरी दवाओं की किल्लत है। सरकारें व्यापक प्रयत्नों में जुटी हैं, लेकिन हम अपने नागरिक कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ सकते। कोरोना महामारी […]
इतिहास गवाह है – भारत में दूध की नदियां बहती थीं, भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, भारत का आध्यात्मिक, धार्मिक, सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से पूरे विश्व में बोलबाला था, भारतीय सनातन धर्म का पालन करने वाले लोग सुदूर इंडोनेशिया तक फैले हुए थे। भारत के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग […]
डॉ. वंदना सेन जिस प्रकार भगवान या दैवीय शक्ति के लिए सारी दुनिया एक है। उसी प्रकार भगवान द्वारा पैदा किए गए व्यक्ति भी एक ही परिवार के हिस्सा हैं। वह किसी भूमि या जाति की दीवारों में कैद नहीं होने चाहिए। भारत में सदियों से प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नारी को महाशक्ति […]