🙏बुरा मानो या भला 🙏 —मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” कहावत है कि ख़रबूज़े को देखकर खरबूजा रंग बदलता है। अब देखिए पहले झारखंड विधानसभा में नमाज के लिए एक अलग से कमरा आवंटित किया गया और उसके बाद कुछ इसी तरह की मांग उत्तर प्रदेश में भी उठ रही है. समाजवादी पार्टी के कानपुर से विधायक […]
Category: समाज
अजीत द्विवेदी अब तक देश का प्रतिबद्ध मीडिया और आईटी सेल की ओर से प्रायोजित सोशल मीडिया अकाउंट्स विपक्षी पार्टियों, सामाजिक व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, किसान आंदोलनकारियों, छात्र व युवा नेताओं आदि को निशाना बनाते रहे थे, लेकिन अब पहली बार न्यायपालिका भी उनके निशाने पर है क्योंकि सर्वोच्च अदालत ने उनके ऊपर गंभीर सवाल खड़े […]
…कहां गये वे दिन
गुरबचन जगत मैं अपने अंकल के कंधों पर बैठा हुआ था और हम लोग खेतों से होकर गांव के बाहर मैदान की ओर जा रहे थे। जैसे-जैसे हम नजदीक पहुंचते, बढ़ते कोलाहल से रोमांच महसूस होने लगा था। मैं उस वक्त बहुत छोटा था, कंधे पर बैठा मैं रास्ते भर गंतव्य को लेकर जिज्ञासु रहा, […]
नवबुद्ध बनना: नौटंकी या फैशन
बुद्ध मत स्वीकार करने वाला 99.9 %दलित वर्ग बुद्ध मत को एक फैशन के रूप में स्वीकार करता हैं। उसे महात्मा बुद्ध कि शिक्षाओं और मान्यताओं से कुछ भी लेना देना नहीं होता। उलटे उसका आचरण उससे विपरीत ही रहता हैं। उदहारण के लिए- 1. मान्यता- महात्मा बुद्ध प्राणी हिंसा के विरुद्ध थे एवं मांसाहार […]
उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद
डॉ. वंदना सेन उपन्यास सम्राट प्रेमचंद्र का जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तरप्रदेश के वाराणसी शहर से चार मील दूर लमही नामक गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम अजायब राय और माता का नाम आनंदी देवी था। प्रेमचंद ने साहित्य की अनेक विधाओं पर अपनी लेखनी चलायी। महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद का साहित्य कालजयी […]
भारतीय इतिहास के विकृतिकरण के प्रति संकल्पित भारत-द्वेषी लोगों ने कई ढंग या उपाय अपनाएं हैं ।उनमें से एक उपाय यह भी है कि भारत प्रेमी इतिहासनायक या नायकों को बदनाम करो और फिर जनता में उनके प्रति तिरस्कार भाव उत्पन्न हो जाए तो धीरे-धीरे उन्हें इतिहास के पन्नों से विलुप्त कर दो। ऐसा […]
भेड़िया अगर भेड़ की खाल पहन भी ले तो भी ……
🙏बुरा मानो या भला 🙏 —मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” एक पंडित जी के घर एक छोटी सी बच्ची आई जिसने पंडित जी को एक प्लेट में खीर दी, पंडित जी ने उस बच्ची से पूछा कि – बेटे, आज ये खीर किस खुशी में लाई हो? बच्ची बड़ी मासूमियत से बोली कि पंडित जी, इस […]
भिक्षावृति देश और समाज के सामने बड़ी समस्या
अशोक मधुप पहले हम दया और ममता के कारण इन गरीबों भिखारियों की मदद करते थे। अब समझदार लोग, मेरे मित्र इनकी मदद करने से मना करते हैं। वे कहते हैं कि भीख देने से इनमें आरामतलबी आ गई। दुनिया का हर प्राणी अपनी जरूरत के लिए संघर्ष करता है। देश बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा जैसी […]
ललित गर्ग रेस्तरां के किचन की लाइव स्ट्रीमिंग और वेटरों के चेहरों पर मास्क जैसे कई बदलाव दिखाई देने वाले हैं। शिक्षा में व्यापक बदलाव होंगे। दुनिया भर में लॉकडाउन के चलते स्कूलों के बंद करने पर जोर हर जगह दिखा। टीचरों और छात्रों के बीच ऑनलाइन संपर्क बढ़ा। कोरोना महामारी ने हमारी जीवनशैली की […]
मृत्यु भोज जैसे पाप पर कब विचार करेगा समाज?
मृत्युभोज पाप है इसलिए बन्द करो, शादी में खर्च करना पाप है इसलिए कोर्ट मैरिज करो लेकिन हनीमून बहुत बड़ा पुण्य है इसको मनाने विदेश जाओ पैसा लुटाओ क्योंकि हनीमून से हजारों गरीबों का पेट भरता है। मतलब परिवार, रिश्तेदार, गाँव-समाज, पड़ोसी गाँव के परिचित व्यक्ति, पिताजी के हितैषी और व्यवहारियों को एकजुट करना, […]