आनंद स्वरूप काशिव अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषण: । कृप: परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविन: ।। अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और पराशुराम ये सातो चिरंजीवी हैं। इन सातों के चिरजीवी होने के दर्शन पर ध्यान केंद्रित करें। अश्वत्थामा: प्रतिशोध, हिंसा, वीभत्सता, घृणा, षड्यंत्र, निर्लज्जता, अविवेक, भयहीनता का जीवंत उदाहरण है। ऐसे आचरण के लोग हमेशा से हर […]
Category: समाज
डॉ. वेदप्रताप वैदिक सर्वोच्च न्यायालय ने इधर जातीय भेदभाव के आधार पर होनेवाली हिंसा के बारे में कुछ बुनियादें बातें कह डाली हैं। जजों ने 1991 में तीन लोगों के हत्यारों की सजा पर मोहर लगाते हुए पूछा है कि इतने कानूनों के बावजूद देश में से जातीय घृणा का उन्मूलन क्यों नहीं हो रहा […]
भारत में विवाह संस्कार और चार ऋण
उगता भारत ब्यूरो भारतवर्ष में विवाह मनुष्य को पशु से ऊपर उठाकर मनुष्यत्व से युक्त करने की एक विधा है। विवाह संस्कार की प्रक्रियाओं को अगर हम देखें तो पाएंगे कि वैदिक विवाह संस्कार जैसा वैज्ञानिक और व्यवहारिक विधान विश्व के किसी भी मजहब, समुदाय तथा देश की विवाह प्रथा में नहीं हैं। उदाहरण के […]
भारत में जातीय विद्वेष का इतिहास
रवि शंकर हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के एक निर्णय के विरुद्ध संसद में लाए गए अनुसूचित जाति/जनजाति विधेयक के बाद देश में भूचाल जैसा आ गया है। सही बात तो यह है कि जातीय घृणा और विद्वेष का भाव भारतीय, वैदिक अथवा सनातनी भाव नहीं है। जातीय घृणा और भेदभाव का […]
================================ आचार्य श्री विष्णु गुप्त धनपशु भी गजब के होते हैं, उन्हें ज्ञान से नफरत होती है। एक प्रसंग बहुत ही रोचक है। हुआ यह कि मेरे एक जानने वाले धनपशु हैं। वे मुझसे हमदर्दी हमेशा जताते रहते थे। मेरे फकर स्वभाव को देख कर वह बहुत दूख भी जताते थे, कहते थे कि आपने […]
“हर महीने 1-2 किलो मांस खाने के बजाय, आधा किलो खाओ। हम 2 किलो टमाटर खरीदते हैं, उनमें से आधे कूड़ेदान में चले जाते हैं। अब से सिर्फ 2 टमाटर खरीदो।” तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआँ (Erdogan) की पार्टी के सांसद ज़ुल्फ़ु डेमिरबाग (Zülfü Demirbağ) ने यह बात कही है। कारण है – तुर्की की मुद्रा […]
ओ३म् गुरुकुल पौंधा-देहरादून के सुयोग्य स्नातक, कम्प्यूटर-प्रकाशन-सम्पादन कला का गहन ज्ञान रखने वाले युवा आचार्य श्री शिवदेव आर्य जी की ऋषि भक्ति एवं कार्य प्रशंसनीय हैं। आज उनका जन्म दिवस है। वह आज 27 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। हम उनके विषय में कुछ पंक्तियां लिखने के लिये प्रेरित हुए हैं। हम उनके […]
डॉ विवेक आर्य शंका- पराचीन काल में राजा लोग वैशयावृति में लिपत थे। हमारे यहा पर कामसूतर वं खजराओ कि मूरतियां हैं जोकि हमारी संसकृति का भाग हैं। वेशयावृति को सरकारी मानयता देने से AIDS, STD, ILLEGAL TRAFFICKING आदि कि रोकथाम होगी। समाधान- जो राजा लोग वेशयावृति में लिपत थे वे कोई आदरश नहीं […]
सभ्यता के संस्कार और सिनेमा
जयप्रकाश सिंह उपलब्ध ऐतिहासिक साक्ष्यों से यह स्पष्ट हो जाता है कि मिशनरियों द्वारा सिनेमा के जरिए पश्चिमी आदर्शों को भारत पर थोपे जाने का विरोध करने के लिए दादा साहब ने भारतीय सिनेमा को स्थापित किया। यह एक स्थापित तथ्य है कि औपनिवेशिक शासनकाल में मतांतरण की प्रकिया को राज्याश्रय प्राप्त था। हिन्दू धर्मावलम्बियों […]
करवा चौथ व्रत- एक भेड़ चाल, एक पाखंड
प्रस्तुति – देवेंद्र सिंह आर्य [चेयरमैन ‘उगता भारत’ समाचार पत्र] करवा चौथ की मनघड़ंत कहानी- एक धोबी की पत्नी थी दोनों पति पत्नी कपड़े धोने का काम करते और नदी में जाकर कपड़े धोते और वही सुखा के बाद में जिसके भी कपड़े होते वो घर पहुंचा देते उससे उनकी आजीविका चलती थी इस प्रकार […]